मुंबई में नहीं रुकेगा ठेकेदार का काम - बिहार में निर्माणाधीन गंगा नदी पुल था ढहा
- आयुक्त ने भाजपा और कांग्रेस की मांग खारिज की
- गोरेगांव-मुलुंड लिंक रोड प्रोजेक्ट में तीन फ्लाईओवर बनाएगी कंपनी
- तीनों ठेकों का मूल्य 666 करोड़ रुपए से ज्यादा
डिजिटल डेस्क, मुंबई. बिहार में रविवार को गंगा नदी में ढहे निर्माणाधीन पुल को लेकर आर्थिक राजधानी मुंबई में राजनीति गरमा गई है। पुल में घटिया सामग्री के इस्तेमाल के आरोपों से घिरी ठेकेदार मेसर्स एसपी सिंगला कंस्ट्रक्शन को मुंबई के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट गोरेगांव मुलुंड लिंक रोड (जीएमएलआर) में तीन फ्लाईओवर बनाने का ठेका मिला है। इस ठेके का कुल मूल्य 666 करोड़ रुपए से ज्यादा है। भाजपा और कांग्रेस ने एसपी सिंगला कंस्ट्रक्शन को काली सूची में डालने और ठेका किसी अन्य कंपनी को देने की मांग की थी। मुंबई मनपा आयुक्त और प्रशासक इकबाल सिंह चहल ने मंगलवार को कहा कि कंपनी का काम नहीं नहीं रोका जाएगा। आयुक्त ने यह बात मुख्यमंत्री के सांसद पुत्र श्रीकांत शिंदे की मौजूदगी में मीडिया से कही।
बिहार में भाजपा नेताओं का कहना है कि गंगा नदी पर बनाया जा रहा पुल दूसरी बार गिरा है। आरोप है कि ठेकेदार कंपनी ने पुल निर्माण में घटिया सामग्री इस्तेमाल की। यह भी कहा जा रहा कि पुल के डिजाइन में खामियां हैं। भाजपा विधायक राम कदम ने वही बात दोहराई। उन्होंने कहा कि उद्धव ठाकरे नीत पूर्व राज्य सरकार ने ऐसी कंपनी को जीएमएलआर प्रोजेक्ट में फ्लाईओवर बनाने का ठेका दिया है, जिसकी विश्वसनीयता खत्म हो गई है। कदम ने कहा कि एसपी सिंगला का ठेका रद्द कर देना चाहिए। कमीशनखोरी के लिए ऐसी कंपनी को काम देने का महापाप ठाकरे सरकार ने किया है।
दोनों काम में अंतर
मनपा सदन में विपक्ष के नेता रहे रवि राजा ने भी सोमवार को ठेकेदार को कालीसूची में डालने और ठेका निरस्त करने की मांग की थी। आयुक्त चहल ने आज कहा कि बिहार और मुंबई के ठेके में अंतर है। वहां डिजाइन में गड़बड़ी के चलते पुल दो बार गिर चुका है। जीएमएलआर के फ्लाईओवर का काम आईआईटी बॉम्बे के अप्रूवल के बाद दिया गया है। आईआईटी की डिजाइन के अनुसार काम हो रहा है या नहीं, इसे देखने के लिए अलग से सलाहकार नियुक्त किया है। अभी तक कोई खामी नहीं मिली है।
हादसा हुआ तो जिम्मेदार होंगे आयुक्त
रवि राजा, पूर्व विरोधी पक्ष नेता, मनपा के मुताबिक हम अपनी मांग पर अड़े हैं कि कंपनी का काम रोका जाना चाहिए। यदि आयुक्त और अतिरिक्त आयुक्त कंपनी से काम कराने पर आमादा हैं, तो भविष्य में होने वाली किसी दुर्घटना की जिम्मेदारी भी इन्हीं दोनों पर होगी।