हाईकोर्ट: 37 साल पहले बना था बिजली सब-स्टेशन, जमीन मालिक को अब मिलेगा मुआवजा

  • राज्य सरकार जिम्मेदारी से नहीं बच सकती
  • हाईकोर्ट की टिप्पणी
  • जमीन मालिक को मुआवजा मिलेगा

Tejinder Singh
Update: 2024-01-10 15:34 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई। हाईकोर्ट ने ठाणे के भदानी परिवार को उनकी भूमि के अधिग्रहण के लिए 37 साल बाद राज्य सरकार को मुआवजा अदा करने का आदेश दिया है।हाई कोर्ट ने कहा है कि जिनकी निजी संपत्ति जब्त कर मुआवजा दिए बिना सार्वजनिक उपयोग के लिए ले ली गई है, राज्य सरकार उन लोगों के प्रति अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए देरी से अदालत का दरवाजा खटखटाने का हवाला नहीं दे सकती है।

न्यायमूर्ति बीपी कोलाबावाला और सोमशेखर सुंदरेसन की खंडपीठ ने ठाणे के दामोदर प्रसाद भदानी परिवार के पक्ष में फैसला सुनाया है। जिन्होंने चार दशक पहले 6,685 वर्ग मीटर की अपनी जमीन बिजली सब-स्टेशन बनाने के लिए दिया था। उन्होंने साल 2021 में अदालत का दरवाजा खटखटाया था। खंडपीठ ने कहा कि न तो अधिग्रहण की कार्यवाही किसी दान के रूप में की गई है और न ही मुआवजे का भुगतान किया गया है।

राज्य सरकार देरी के आधार पर उन लोगों के प्रति अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकती है, जिनसे उनकी निजी संपत्ति जब्त की गई है। याचिकाकर्ता की ओर से विपुल मकवाना के साथ वरिष्ठ अधिवक्ता विश्वजीत सावंत ने दलील दी कि भूमि अभी भी एमएसईडीसीएल के कब्जे में है।

उसके पास अधिग्रहण की एवज में मुआवजे के भुगतान को प्रदर्शित करने के लिए कोई सबूत नहीं है। उन्होंने एमएसईडीसीएल पर गैरकानूनी रूप से जमीन हड़पने का आरोप लगाया। एमएसईडीसीएल के लिए वकील दीपा चव्हाण ने कहा कि याचिका दायर करने में देरी से अधिग्रहण दस्तावेज उपलब्ध नहीं हैं।

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