बांबे हाईकोर्ट: गैंगस्टर प्रसाद पुजारी के मौसेरे भाई सुकेश को मकोका मामले में मिली जमानत

  • प्रसाद पुजारी की मां के साथ हांगकांग समेत विदेश में किया था यात्रा
  • शूटरों को देता था पैसा

Tejinder Singh
Update: 2024-04-30 16:37 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई. बांबे हाईकोर्ट ने गैंगस्टर प्रसाद पुजारी के मौसेरे भाई सुकेश कुमार सुवर्ना को महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के दो मामलों में जमानत दी है। आरोप है कि याचिकाकर्ता गैंगस्टर प्रसाद पुजारी की मां इंदिरा पुजारी के साथ हांगकांग गया था। अदालत ने माना कि याचिकाकर्ता पर संगीन आरोप है, लेकिन वह काफी समय तक जेल में बंद है। उसके खिलाफ मुकदमे में सुनवाई होने में समय लगेगा। ऐसे में उसे अधिक समय तक जेल में रखा नहीं जा सकता है। न्यायमूर्ति भारती डांगरे की एकल पीठ के समक्ष वकील यश वर्धन तिवारी और वकील तमन्ना शेख द्वारा सुकेश कुमार सुवर्ना की दायर जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के वकील यश वर्धन तिवारी ने दलील दी कि गैंगस्टर प्रसाद पुजारी की मां इंदिरा पुजारी के साथ याचिकाकर्ता को गिरफ्तार किया गया था। वह पिछले पांच साल से जेल में बंद है। उस पर मौसी इंदिरा पुजारी के साथ मिल कर गिरोह के शूटरों पर भाई प्रसाद पुजारी के कहने पर पैसे देने का आरोप है। जबकि मकोका के मामले में ही इंदिरा पुजारी को जमानत मिल गई है। ऐसे में याचिकाकर्ता को जमानत मिलनी चाहिए। सरकारी वकील ने सुकेश सुवर्ना की जमानत का विरोध किया। पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद याचिकाकर्ता को कुछ शर्तों पर यह कहते हुए जमानत दे दी कि याचिकाकर्ता के मुकदमे की सुनवाई में समय लगेगा। ऐसे में उसे अधिक समय तक जेल में नहीं रखा जा सकता है। इंदिरा ने सागर के एक खाते में बीते साल दिसंबर में 50 हजार रुपए जमा कराए थे। पुजारी की मां इंदिरा और मौसेरे भाई सुकेश कुमार ने मंगलुरू की एक एटीएम मशीन के जरिए एक शूटर के बैंक खाते में 25 हजार रुपए जमा कराए थे। मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच ने मंगलुरू से सुकेश कुमार को गिरफ्तार किया था। इंदिरा ने उसे पैसे देकर शूटर के बैंक खाते में जमा कराने के लिए कहा था। इंदिरा तब कुमार के साथ एटीएम तक भी गई थी।

पीडब्ल्यूडी आरे मिल्क कॉलोनी में 37 किलो मीटर और बीएमसी 7 किलो मीटर आंतरिक सड़कों का दो साल में करेगी पुनर्निर्माण

वहीं राज्य के लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) आरे कॉलोनी के 37 किलोमीटर और मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) 7 किलोमीटर आंतरिक सड़कों का दो साल में निर्माण करेगी। दो साल में का आदेश दिया। राज्य सरकार और बीएमसी ने मंगलवार को बॉम्बे हाई कोर्ट को 45 किलोमीटर आरे कॉलोनी के आंतरिक सड़कों के निर्माण करने की बात कही। अदालत ने कहा कि पीडब्ल्यूडी और बीएमसी सड़क बनाते समय इस बात का ध्यान रखे कि इससे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं हो। इसके साथ ही अदालत ने आरे कॉलोनी की सड़कों को लेकर दाखिल याचिका को समाप्त कर दिया। मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ एस.डॉक्टर की खंडपीठ के समक्ष भारतीय नौसेना के पूर्व कर्मी और आरे कॉलोनी निवासी विनोद अग्रवाल की याचिका पर सुनवाई हुई। बीएमसी के अधिकारी, राज्य के लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी), डेरी डेवलपमेंट और फारेस्ट के सचिव की कमेटी ने अदालत में आरे कालोनी की सड़कों के निर्माण को लेकर सर्वे रिपोर्ट पेश किया था। उसी रिपोर्ट के आधार पर पीडब्ल्यूडी और बीएमसी आरे कालोनी के मयूर नगर और आरे बाजार के बीच की 45 किलोमीटर की सड़कों का निर्माण करेंगे। यह सड़क गोरेगांव (पूर्व) वेस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे, विंडसर गेट और फिल्टर पाड़ा रोड की ओर जाती है। आरे कॉलोनी को केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय (एमओईएफ) द्वारा पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र घोषित किया गया है। पीडब्ल्यूडी और बीएमसी को एमओईएफ से 45 किलोमीटर के रास्तों के निर्माण के लिए अनुमति मिल गई है। चुनाव आयोग के अधिकारी ने मंगलावर को अदालत में सड़क के निर्माण में चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन नहीं होने की बात कही। जल्द ही पीडब्ल्यूडी और बीएमसी सड़क के निर्माण को लेकर निविदा (टेंडर) निकालेगी। ईएसजेड में आंतरिक सड़कों की लंबाई 45 किलोमीटर है, इसमें से 7 किलोमीटर का हिस्सा 2014 में बीएमसी को सौंप दिया गया था।

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