बॉम्बे हाईकोर्ट: दापोली साईं रिसॉर्ट मामले में सरकार फटकार, बढ़ते वायु प्रदूषण पर भी जताई चिंता
- सरकार सीआरजेड का उल्लंघन कर बने अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई को लेकर हलफनामा दाखिल करने में नाकाम
- सदानंद कदम ने साईं रिसार्ट के अपने अवैध निर्माण को 1 महीने में खुद तोड़ने का दिया है आश्वासन
- अदालत ने एमपीसीबी और बीएमसी को लगाई फटकार
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने रत्नागिरी के दापोली साईं रिसॉर्ट के अवैध निर्माण के अलावा सीआरजेड का उल्लंघन कर बने दूसरे अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई को लेकर हलफनामा दाखिल नहीं करने पर राज्य सरकार को फटकार लगाई। अदालत ने सरकार को हलफनामा दाखिल कर जवाब देने का निर्देश दिया था कि दापोली साईं रिसॉर्ट के अलावा सरकार ने सीआरजेड का उल्लंघन कर बने कितने अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई की है? न्यायमूर्ति माधव जामदार की पीठ के समक्ष शिवसेना (यूबीटी) नेता अनिल परब के करीबी सहयोगी सदानंद कदम द्वारा 6 दिसंबर 2023 को अतिरिक्त जिला अधिकारी के साईं रिसॉर्ट को तोड़ने की नोटिस को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान सरकार अदालत में हलफनामा दाखिल करने में नाकाम रही। इस पर पीठ ने सरकार से फटकार लगाते हुए पूछा कि रत्नागिरी ही नहीं, बल्कि राज्य भर में सीआरजेड का उल्लंघन करने वाले कितने निर्माणों पर कार्रवाई की गई है? सरकार इस पर 10 दिनों में हलफनामा दाखिल कर जवाब दे। मामले की अगली सुनवाई 17 अप्रैल को रखी गई है। 13 मार्च को कदम ने अदालत में हलफनामा दाखिल कर आश्वासन दिया कि वह एक महीने के भीतर अपने खर्च पर दापोली साईं रिसॉर्ट के अतिरिक्त और अनधिकृत हिस्से को तोड़ देंगे। इससे पहले 12 जनवरी को वकील साकेत मोने ने कहा था कि जिलाधीकारी की दापोली साईं रिसॉर्ट के खिलाफ कार्रवाई दुर्भावनापूर्ण थी और तटीय विनियमन क्षेत्र (सीआरजेड) अधिसूचना के उल्लंघन में निर्मित कई अवैध संरचनाएं मौजूद थीं। इस पीठ ने सरकार को सीआरजेड उल्लंघन करने वाले अन्य निर्माण के खिलाफ कार्रवाई को लेकर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने मुंबई मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र में उद्योगों के कारण बढ़ते वायु प्रदूषण पर जताई चिंता
बॉम्बे हाई कोर्ट ने सोमवार को मुंबई मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र (एमएमआर) में उद्योगों के कारण बढ़ते वायु प्रदूषण पर चिंता जताई। अदालत ने महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) और मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) से पूछा कि वायु प्रदूषण के नियंत्रण को लेकर क्या कदम उठाए गए हैं? क्या उद्योगों का प्रदूषण ऑडिट हुआ है। जिन 7 सार्वजनिक परियोजनाओं के वजह से वायु प्रदूषण हो रहा था, उन पर कोई कार्रवाई की गई है? शहर में बिगड़ते वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) के लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति जी.एस.कुलकर्णी के समक्ष शहर में बिगड़ते वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) को लेकर अदालत की स्वत: संज्ञान में ली गई जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान राज्य सरकार की ओर से पेश महाधिवक्ता महाधिवक्ता वीरेंद्र सराफ कहा कि एमएमआर में 25723 इंडस्ट्रीयल यूनिट हैं, जिसमें मुंबई में 6034, नवी मुंबई में 5511, कल्याण में 6396, ठाणे में 5125 और रायगढ़ में 2657 इंडस्ट्रीयल यूनिट हैं। वायु प्रदूषण को लेकर एमपीसीबी के 2022-23 के वार्षिक रिपोर्ट इसमें 191 इंडस्टीयल यूनिट को अत्यधिक प्रदूषण फैलाने वाले 17 कैटगरी में रखा गया है. जबकि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक 7268 इंडस्ट्रियल यूनिट को रेड, 7841 को एलो और 10614 को ग्रीन कैटगरी में रखा गया है। मुंबई की रेड कैटगरी में 1124 इंडस्ट्रियल यूनिट हैं। इन पर एमपीसीबी समय-समय पर कार्रवाई करती है। महाधिवक्ता ने एमपीसीबी में अधिकारियों एवं कर्मचारियों के कम संख्या होने की बात कही। खंडपीठ ने कहा कि उद्योगों द्वारा वायु (प्रदूषण निवारण) अधिनियम और जल (प्रदूषण निवारण) अधिनियम के तहत निर्धारित मानदंडों का उल्लंघन नहीं हो, एमपीसीबी को इस पर ध्यान रखना चाहिए। खंडपीठ ने सार्वजनिक परियोजनाओं से वायु प्रदूषण बढ़ने पर भी नाराजगी जताई। पिछले दिनों अदालत ने बीएमसी और एमपीसीबी को शहर के सात प्रमुख सार्वजनिक परियोजना स्थलों का संयुक्त निरीक्षण करने का निर्देश दिया था। संयुक्त निरीक्षण में 7 सार्वजनिक परियोजना स्थलों में से 5 परियोजनाओं को वायु प्रदूषण के नियमों का उल्लंघन करते पाया गया था। खंडपीठ ने पूछा कि वायु प्रदूषण के नियमों का उल्लंघन करने वाली परियोजनाओं और निर्माण स्थल पर क्या कार्रवाई की गई है? इस पर महाधिवक्ता सराफ ने कहा कि 900 से अधिक निर्माण स्थल को नोटिस दी गई है। तीन साइट पर ताला लगा दिया गया है। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 20 जून को रखा है।