आक्रोश: दर नहीं मिलने से नाराज उत्पादक किसानों ने बहाया दूध, जलाया शासनादेश
सड़क पर उतकर गुस्सा जताया
डिजिटल डेस्क, मुंबई। अहमदनगर, सातारा, सांगली और नांदेड़ सहित कई जिलों में दूध उत्पादक किसानों ने सड़क पर दूध बहाकर राज्य सरकार के खिलाफ रोष व्यक्त किया। किसान संगठनों ने आगामी समय में मंत्रियों के द्वार पर दूध बहाने की चेतावनी दी है। दरअसल राज्य सरकार ने गाय के दूध के लिए प्रति लीटर 34 रुपए न्यूनतम दर तय किया है। लेकिन सहकारी और निजी दूध संघ किसानों को केवल 25 से 26 रुपए प्रति लीटर की दर रहे हैं। इससे नाराज दूध उत्पादक किसानों ने शुक्रवार को सड़क पर उतकर गुस्सा जताया। किसानों ने गाय के दूध के लिए तय 34 रुपए के दर वाले 14 जुलाई 2023 के शासनादेश की प्रतियों को भी जलाया।
सांगली में आंदोलन के बाद रयत क्रांति संगठन के अध्यक्ष तथा प्रदेश के पूर्व राज्य मंत्री सदाभाऊ खोत ने कहा कि राज्य के हर संभाग में किसानों ने सड़क पर उतकर सरकार से 34 रुपए की दर देने वाले शासनादेश को प्रभावी रूप से लागू करने की मांग की है। क्योंकि सहकारी और निजी संघ किसानों को सिर्फ 25 से 26 रुपए दाम दे रहे हैं। वहीं मुंबई में ग्राहकों को गाय का दूध 55 रुपए प्रति लीटर की दर पर मिल रहा है। इससे किसानों और ग्राहक दोनों की लूट हो रही है। इसलिए दूध उत्पादक किसान सड़कों पर उतरे हैं। यदि सरकार ने दूध के दर नहीं बढ़ाया तो आने वाले समय में आंदोलन और भड़क सकता है। किसान संगठनों के साथ मिलकर आने वाले समय में दूध दर के लिए दूसरे चरण का आंदोलन किया जाएगा। दूसरी तरफ अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय सहसचिव डॉ. अजित नवले ने कहा कि राज्य के दूध संघ और कंपनियों ने सांठगांठ करके सरकार के शासनादेश की धज्जियां उड़ा दिया है। दूध की दर को 34 रुपए से गिराकर लगभग 27 रुपए प्रति लीटर कर दिया है। इससे एक तरीके से सरकार का शासनादेश रद्दी हो गया है। शासनादेश को जलाने के लिए राज्य के 21 जिलों में आंदोलन और विरोध प्रदर्शन हुआ है। नवले ने कहा कि सरकार का दावा है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में दुग्ध जन्य पदार्थों की कीमत गिर गई है। लेकिन किसानों से कम दर पर दूध खरीदा जा रहा है पर ग्राहकों को तो पुराने दर पर ही दूध मिल रहा है। दूध कंपनियों ने ग्राहकों के लिए दर कम नहीं किया है।
प्रदेश में फिलहाल दूध की आवक प्रचंड है। दूसरी तरफ दूध से तैयार किए जाने वाले पावडर और बटर की कीमतें गिर गई है। इस कारण दूध पावडर और बटर की निर्यात पूरी तरह से ठप हो गई है। ऐसी स्थिति में यदि सरकार ने न्यूनतम दूध दर देने के लिए दूध संघों पर सख्ती किया तो सहकारी और निजी संघ किसानों से दूध का संकलन बंद कर सकते हैं। ऐसे में दूध उत्पादकों के सामने गंभीर समस्या खड़ी हो जाएगी। राधाकृष्ण विखे-पाटील, दुग्ध व्यवसाय विकास मंत्री