बॉम्बे हाईकोर्ट: निजी स्कूलों को आरटीई प्रवेश से छूट देने के महाराष्ट्र के फैसले पर लगाई रोक

  • अदालत ने रोक लगाते हुए व्यापक जनहित का दिया हवाला
  • 19 जून को मामले की अगली सुनवाई

Tejinder Singh
Update: 2024-05-06 16:00 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई. बॉम्बे हाईकोर्ट ने निजी स्कूलों को आरटीई प्रवेश से छूट देने के राज्य सरकार के फैसले पर रोक लगाई दी है। अदालत ने इसके लिए व्यापक जनहित का हवाला दिया है। सरकार ने 9 फरवरी में एक अधिसूचना जारी की थी, जिसमें सरकारी या सहायता प्राप्त स्कूलों के 1 किलोमीटर के दायरे में आने वाले निजी स्कूलों को आरटीई अधिनियम कोटा में गरीब छात्रों के प्रवेश से छूट दी गई थी। 19 जून को मामले में अगली सुनवाई होगी।

मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ एस.डॉक्टर की खंडपीठ के समक्ष सोमवार को सहायता प्राप्त स्कूलों के प्रबंधन के सदस्य और सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के माता-पिता समेत 17 लोगों की याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान खंडपीठ ने सरकार के फैसले पर रोक लगाते हुए कहा कि यह मामला अत्यधिक जनहित वाला है। इसमें संशोधन बच्चों के निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 का उल्लंघन है। इसे आरटीई के नाम से भी जाना जाता है। आरटीई अधिनियम के तहत निजी स्कूलों को यह सुनिश्चित करना होता है कि कक्षा 1 में प्रवेश पाने वाले 25 प्रतिशत छात्र उसके आस-पास के कमजोर वर्ग और वंचित समूह से हों।

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील गायत्री सिंह ने दलील दी कि सरकार की अधिसूचना पर रोक लगाई जानी चाहिए। यह आरटीई अधिनियम के विपरीत है। इसके तहत बीएमसी के स्कूलों, सहायता प्राप्त स्कूलों और निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों में कोटा होता है। सरकार के फैसले के कारण कई जरूरतमंद छात्र प्रवेश लेने में असमर्थ हैं।

पिछले साल जहां करीब 500000 छात्रों ने आरटीई के जरिए आवेदन किया था, वहीं इस साल अब तक 50,000 से भी कम छात्रों ने आवेदन किया है। 29 अप्रैल को राज्य सरकार ने हाई कोर्ट को सूचित किया कि आरटीई अधिनियम के तहत प्रवेश के लिए ऑनलाइन आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि 30 अप्रैल से बढ़ाकर 10 मई कर दी जाएगी। सोमवार को याचिकाकर्ताओं ने आग्रह किया कि 10 मई से शुरू होने वाले स्कूल में प्रवेश के कारण मामले में अंतरिम रोक लगाई जाए।

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