हालात: गंभीर मरीज ही आते हैं, इसलिए रोज हो रही है औसतन 8 मरीजों की मौत

आने वाले अधिकांश मरीज पहले से रहते हैं गंभीर बीमार

Anita Peddulwar
Update: 2023-10-06 06:09 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहर के मेडिकल, सुपर स्पेशलिटी और मेयो अस्पताल में गुणवत्तापूर्ण सेवा देने के लिए प्रशासन प्रतिबद्ध है। यहां आने वाले मरीज पहले से गंभीर बीमार रहते हैं, इसलिए सरकारी अस्पतालों में प्रतिदिन औसतन 8 मरीजों की मृत्यु होती है, जबकि यहां भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या हजारों में होती है। इसलिए किसी भी अफवाहों पर ध्यान न देते हुए सरकारी स्वास्थ्य सेवा का लाभ उठाने का आह्वान जिलाधिकारी डॉ. विपिन इटनकर व अधिष्ठाता डॉ. राज गजभिये ने पत्रकार परिषद में किया है।

मृतकों की हालत पहले से थी गंभीर : जिला प्रशासन की तरफ ली गई पत्र-परिषद में डॉ. इटनकर ने कहा कि प्रसार माध्यमों ने संबंधितों से ब्योरा लेकर ही आम लोगों तक जानकारी पहुंचानी चाहिए। मनुष्यबल की कमी को लेकर उन्होंने बताया कि क्लास 3 और क्लास 4 की आने वाले दो महीने में भर्ती प्रक्रिया पूरी की जाने वाली है। मेडिकल व मेयो को लेकर मृत्यु के आंकड़ों पर उन्होंने स्पष्ट किया कि 4 अक्टूबर को मेडिकल में कुल 12 लोगों की मृत्यु हुई है। यह सभी मरीज गंभीर हालात में थे। इनमें से 11 मरीजों को आईसीयू में ही रखा गया था। एक सामान्य वार्ड में था। उन्होंने जनवरी से सितंबर तक मेडिकल में भर्ती, स्वस्थ्य व मृत मरीजों की जानकारी दी। इसमें औसत 8 से 10 मरीजों की औसत मृत्यु का प्रमाण है।

अपडेशन के लिए 1100 करोड़ का प्रावधान : डॉ. इटनकर ने बताया कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे व उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मेडिकल पर लक्ष्य केंद्रित कर जरूरी सुविधाएं, व कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दिए हैं। यहां 233 नर्सेस की भर्ती प्रक्रिया अंतिम चरण में है व दो महीने में वर्ग चार के 511 रिक्त पदों के साथ ही वर्ग 3 के पदों पर भी भर्ती प्रक्रिया पूरी की जाने वाली है। दवाओं के लिए मेडिकल, सुपर स्पेशलिटी को 13-13 करोड़ व मेयो को जिला वार्षिक योजना से 8 करोड़ का निधि मंजूर किया गया है। राज्य के बजट से दोनों अस्पतालों को 800 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। दोनों अस्पतालों में 3 महीने का पर्याप्त दवा का स्टॉक उपलब्ध है। मेडिकल के अपडेशन के लिए सरकार ने 500 करोड़ व मेडिकल के लिए 300 करोड़ रुपए मंजूर किए गए हैं।

कैंसर इन्स्टीट्यूट निर्माण की प्रक्रिया प्रारंभ : उन्होंने बताया कि पुलिस आयुक्त से चर्चा कर यहां के मरीजों को दूसरे अस्पतालों में लेकर जाने वाले, एंबुलेंस चालक, संबंधित हॉस्पिटल व लैब पर कार्रवाई की जाएगी। मेडिकल में 40 लाख रुपए खर्च कर सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं। कैंसर रोग विभाग के लिए जरूरी उपकरणों की खरीदी प्रक्रिया भी जल्द पूरी की जानेवाली है। कैंसर इन्स्टीट्यूट का भूमिपूजन हो चुका है। वहां के पेड़ काटने के लिए पैसे भर दिए हैं। इसके अलावा मेडिकल 7500 पौधे लगाने का काम कर रहा है। कर्मचारियों की उपस्थिति पर नजर रखने बायोमीट्रिक मशीनें लगाई जाने वाली है। अधिष्ठाता डॉ. राज गजभिये ने नांदेड़ के सरकारी अस्पताल के अधिष्ठाता के साथ हुई घटना का निषेध किया।

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