नागपुर: लड़कियों के लिए संस्थाएं बनीं आशा की किरण, पालन-पोषण और शिक्षा की जिम्मेदारी भी

  • उठा रही पालन-पोषण और शिक्षा की जिम्मेदारी
  • सर्वाइकल कैंसर से बचने के लिए लगाई गई वैक्सीन

Bhaskar Hindi
Update: 2024-05-26 07:09 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर। भारत में सर्वाइकल कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जो महिलाओं में अधिक देखी जाती है। यह खासकर 35 से 44 एज ग्रुप में अधिक असर करता है, लेकिन यंग एज में इसकी शुरुआत हो जाती है। इससे बचने के लिए ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) नामक वैक्सीन की डोज दी जाती है, जिसकी कीमत हजारों में है। इसे खरीदना हर किसी के लिए संभव नहीं है, खासकर किसी अनाथ आश्रम में रह रहीं लड़कियों के लिए तो काफी मुश्किल होगा।

इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए शहर की विभिन्न संस्थाओं ने एक साथ मिलकर शहर के कामठी मार्ग स्थित खसाला के आशा किरण अनाथ आश्रम की 50 बच्चियों की मदद की है। संस्था के लोगों ने बच्चियों की देखभाल का जिम्मा उठाया है। उल्लेखनीय है कि पिछले साल सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए 9 से 20 वर्ष की लड़कियों को एचपीवी वैक्सीन का पहला डोज लगाया गया था और शुक्रवार को दूसरा डोज लगाया गया।

सुविधाओं का ध्यान

आशा किरण अनाथ आश्रम में बच्चियों के संरक्षण के अलावा उनके स्वास्थ्य, शिक्षा और उनके दैनंदिन जरूरतों के लिए उच्च स्तरीय सुविधाओं का ध्यान रखा जाता है। गर्मी की छुट्टियों में बच्चियों को समर कैंप की सुविधा प्रदान की जाती है। उनके मनोरंजन का ध्यान रखा जाता है। उन्हें सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के लिए विभिन्न धर्मों, जातियों की जानकारी, किसी से भेदभाव न करने की शिक्षा, स्नेहपूर्ण व्यवहार की शिक्षा दी जाती है। इन बच्चियों की मदद में शिल्पी सिंह बागड़ी, नीरज श्रीवस्तव, डॉ. दीपिका चंडोक, इंजी. अभिषेक चावला, डॉ. जसमीत चंडोक, अजय तिवारी, डॉ. भावना पेंडके, अंकुश बिजेवार, हेमचंद्र सालोदकर, मंजू कारेमोरे, संजीव सिंह, अनिकेत इंगले, वैष्णवी बुढे खजांची आदि शामिल रहे।

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