ग्रामीण आरटीओ: धूल खा रहे है इंटरसेप्टर व्हीकल, चलाने वाला कोई नहीं, कैसे कसेंगे लगाम

  • 18 ड्राइवरों का करार किया गया
  • कैसे काम करता है यह वाहन

Tejinder Singh
Update: 2024-04-28 12:39 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर. ट्रैफिक नियमों को धता बताने वालों पर लगाम कसने के लिए हाल ही में आरटीओ को इंटरसेप्टर वाहन दिए गए हैं, ताकि इन वाहनों की मदद से गश्त कर कार्रवाई की जा सके, लेकिन ग्रामीण आरटीओ में यह वाहन धूल खा रहे है, क्योंकि इन्हें चलाने वाला कोई नहीं है। ऐसे में नियम तोड़ने वालों पर आखिर लगाम कैसे लगेगी, यह सवाल अब सामने है। 

18 ड्राइवरों का करार किया गया

वर्तमान स्थिति में शहर व ग्रामीण दोनों क्षेत्र में वाहनों की दुर्घटनाओं के ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। जब दुर्घटनाओं के मामलों की जांच की गई, तो ज्यादातर मामले ओवर स्पीड से होते नजर आए हैं। ऐसे में संबंधित प्रशासन को फटकार लगाई गई। तो आरटीओ ने बताया कि, उनके पास वाहनों की स्पीड नापने की कोई यंत्रणा ही नहीं है। ऐसे में राज्य सरकार की ओर से आनन-फानन में इन्हें इंटरसेप्टर व्हीकल दिये हैं। लेकिन हर बार कर्मचारियों का रोना रोनेवाला प्रादेशिक परिवहन विभाग के पास इस व्हीकल को चलाने के लिए मैन पॉवर ही नहीं था। ऐसे में वाहन बेकार पड़ने की आशंका पैदा हो रही थी। ऐसे में एसटी महामंडल से कुल 18 ड्राइवरों का करार किया गया, जिन्हें कुछ समय के लिए आरटीओ के इन वाहनों को चलाने का जिम्मा सौपा गया है। लेकिन अभी तक उनका प्रशिक्षण ही पूरा नहीं हो सका है। इस कारण यह वाहन अभी तक बाहर ही नहीं निकले हैं, पार्किंग में धूल खाती अवस्था में पड़े हैं।

कैसे काम करता है यह वाहन

इंटरसेप्टर व्हीकल में एक रडार बेस्ड कैमरा डिवाइस लगा होता है। इसका इस्तेमाल गाड़ियों की स्पीड और डिटेल्स पर नजर रखने के लिए होता है। इसमें लगे एचडी कैमरा और रडार रोड पर आ रही कार की स्पीड और डिटेल्स 200 से 700 मीटर दूरी से ही कैप्चर कर लेते हैं। 

प्रशिक्षण जारी है

आर. सरक, डिप्टी आरटी, ग्रामीण के मुताबिक इसे चलाने वालों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जल्द ही फ्लाइंग स्क्वॉड इन वाहनों के माध्यम से ट्रैफिक नियम तोड़ने वालों पर कार्रवाई कर सकेंगे।



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