जागरुकता का अभाव: देहदान की संख्या अभी कम- अध्ययन के लिए मृतदेह की दूसरे कॉलेजों से भी मांग
- मेडिकल में 20 मृतदेह हर साल देहदान में मिलते हैं
- स्वैच्छिक अंगदान के सालाना 250 फॉर्म
डिजिटल डेस्क, नागपुर. शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल (मेडिकल) के शरीर रचना शास्त्र विभाग को सालाना 20 मृतदेह दान में मिलते हैं। इनमें से विदर्भ के दूसरे सरकारी मेडिकल कॉलेजों को उनकी मांग के हिसाब अनुसार 1 या 2 मृतदेह दिये जाते हैं। विदर्भ में केवल नागपुर का मेडिकल कॉलेज ही ऐसा है, जहां सालाना 20 देहदान होता है, जबकि दूसरे शहरों के मेडिकल कॉलेजों में यह प्रमाण नाममात्र बताया जाता है। इसलिए नागपुर के मेडिकल कॉलेज से मृतदेह की मांग की जाती है। हाल ही में यहां मध्यप्रदेश के एक कॉलेज को मृतदेह दिया गया।
सालाना चाहिए 40, देहदान केवल 20
मेडिकल कॉलेज नागपुर समेत पूरे विदर्भ में भविष्य के डॉक्टरों के लिए वरदान बना है। इसके अलावा मध्यप्रदेश में भी मृतदेह की जरूरत होने पर नागपुर मेडिकल से अनुरोध किया जाता है। मेडिकल कॉलेज द्वारा ऐसे मामले में हमेशा सकारात्मक भूमिका दिखायी जाती है। सूत्रों ने बताया कि मेडिकल में ही सालाना 35 से 40 मृतदेह की आवश्यकता होती है। एमबीबीएस के अलावा बीडीएस व ओटीपीटी के विद्यार्थियों को अध्ययन के लिए मृतदेह की आवश्यकता होती है। पीजी की कार्यशालाएं, सर्जरी प्रैक्टिस, ईएनटी, न्यूरोलॉजी आदि के लिए मृतदेह की जरूरत होती है। पहले से ही यहां जरूरत के हिसाब से 50 फीसदी देहदान कम होता है। बावजूद दूसरे कॉलेजों के विद्यार्थियों को अध्ययन के लिए मदद की जाती है। बताया गया कि मध्यप्रदेश के एक डेंटल कॉलेज में पीजी का इन्स्पेक्शन था। इस कॉलेज को मृतदेह की आवश्यकता थी। उस समय कॉलेज प्रबंधन ने नागपुर मेडिकल से मृतदेह की मांग की। तब मेडिकल प्रशासन ने इसकी दखल लेते हुए एक मृतदेह दिया। इस तरह मेडिकल से सालाना एक या दो मृतदेह दूसरे कॉलेजों को दिये जाते है।
स्वैच्छिक अंगदान के सालाना 250 फॉर्म
देहदान के मामले में अभी भी जागरुकता का अभाव है। देहदान का प्रमाण बढ़ने पर भविष्य के डॉक्टरों को अध्ययन में आसानी होगी। कई कॉलेजों में कम्प्यूटर के माध्यम से अध्ययन किया जाता है। नागपुर के मेडिकल में सालाना 225 से 250 स्वैच्छिक देहदान के फॉर्म जमा होते हैं। इस मेडिकल कॉलेज में सालाना 40 मृतदेह की आवश्यकता होती है। जबकि यहां केवल 20 मृतदेह ही प्राप्त होते हैं। देहदान का प्रमाण कम होने के पीछे मृतक के परिजनों की इच्छाशक्ति का अभाव, विविध भ्रांतियां, पुरानी सोच आदि होना शामिल है।