शराब माफिया  ने आबकारी विभाग को लगाया सवा करोड़ का चूना, अधिकारियों से थी सांठगांंठ

शराब माफिया  ने आबकारी विभाग को लगाया सवा करोड़ का चूना, अधिकारियों से थी सांठगांंठ

Bhaskar Hindi
Update: 2019-07-25 08:01 GMT
शराब माफिया  ने आबकारी विभाग को लगाया सवा करोड़ का चूना, अधिकारियों से थी सांठगांंठ

डिजिटल डेस्क,सिंगरौली (वैढन)। तत्कालीन आबकारी के अफसरों की सांठगांठ से मास्टरमाइंड शराब माफिया द्वारा विभाग को सवा करोड़ का चूना लगाने का सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है। बताया जाता है कि शराब माफियाओं ने नौकर और गुर्गों के नाम पर मदिरा दुकान का ठेका हथियाने के बाद लायसेंस फीस को जमा नहीं किया । आरोप है कि संगठित गिरोह द्वारा साजिश रच कर आबकारी विभाग को सवा करोड़ के राजस्व की आर्थिक क्षति पहुंचाई है। इस मामले में वसूली की कार्रवाई की रिपोर्ट मिलने के बाद आबकारी अफसरों के पैर के नीचे से जमीन खिसक गई है। कलेक्टर गाजीपुर और कटनी की रिपोर्ट से यह बात सामने आई है करोड़ों का ठेका हथिया कर साल भर दुकान चलाने वाले के पास एक इंच भी जमीन नहीं है। ऐसे में चल-अचल संपत्ति से कुर्की की कार्रवाई किया जाना संभव नहीं है। कलेक्टर की रिपोर्ट मिलने के बाद आबकारी विभाग ने वसूली संभव नहीं होने का प्रस्ताव आयुक्त को भेज दिया है।

4 साल पहले बनाई थी योजना

जानकारों के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2015-16 में शराब माफियाओं ने आबकारी विभाग के अफसरों की सांठगांठ विभाग को चूना लगाने की बड़ी साजिश रची थी। शराब माफियाओं ने साजिश के तहत न सिर्फ नौकरों के नाम पर जिले की प्राइम लोकेशन की दुकानों का ठेका हथिया बल्कि सालभर दुकान चलाने के बाद लायसेंस फीस चुकाने में हाथ खड़े कर लिया है। सूत्रों का कहना है कि शराब माफिया और आबकारी अफसरों की जुगलबंदी और सुनियोजित तरीके से राजस्व की क्षति पहुंचाई गई है। बताया तो यहां तक जाता है कि आबकारी के तत्कालीन अधिकारियों ने ही शराब माफियाओं सरकारी रकम की बंदरबांट करने का तरीका बताया था। इसके के चलते शराब माफियाओं ने वित्तीय वर्ष खत्म होने से ठीक पहले लायसेंस शुल्क का भुगतान नहीं किया है। यह मामला देशी-विदेशी मदिरा की दुकान का है। वित्तीय वर्ष 2015-16 में गाजीपुर के उचौरी निवासी कमलेश कुमार कुशवाहा पिता रामप्रसाद सिंह ने शराब दुकान के लिये निगरी का ठेका लिया था। आरोप है कि ठेकेदार ने एक साल तक शराब दुकान चलाने के बाद लायसेंस फीस की रकम 39 लाख 25 हजार 193 रूपये का आबकारी विभाग को भुगतान नहीं किया है। हैरत की बात तो यह है कि लायसेंस फीस नहीं चुकाने के बाद भी ठेकेदार को मदिरा की सप्लाई नहीं बंद की गई। जांच में यह बात सामने आई है करोड़ों की शराब दुकान चलाने बाद भी ठेकेदार के पास फूटी कैड़ी तक नहीं है। इसके चलते उससे वसूली की कार्रवाई करना संभव नहीं है।

ऐसे लगाया चूना

यह मामला चितरंगी समूह की देशी और विदेशी मदिरा दुकानों का है। आबकारी विभाग द्वारा वर्ष 2015-16 के लिये गाजीपुर निवासी सुशील कुमार वर्मा पिता पारसनाथ वर्मा ने शराब दुकान का ठेका लिया था। आरोप है आबकारी विभाग के तत्कालीन अफसरों की मिलीभगत के चलते शराब ठेकेदार ने 45 लाख 64 हजार 906 रूपये का लायसेंस फीस जमा नहीं की है।  वर्ष 2015-16 में गाजीपुर निवासी सुशील कुमार वर्मा पिता पारसनाथ वर्मा ने चितरंगी के साथ सासन की शराब दुकान का ठेका लिया था। आरोप है कि ठेकेदार द्वारा जिले में दो स्थानों पर एक साथ दुकान चलाने के बाद भी आबकारी विभाग को 12 लाख 65 हजार 357 रूपये का भुगतान नहीं किया है।  कटनी के सुधार न्यास कॉलोनी निवासी विकाश दुबे ने एकल समूह के तहत ठेका लिया था। आरोप है कि साल भर नवानगर में शराब दुकान संचालित करने के बाद ठेकेदार ने 5 लाख 81 हजार 590 रूपये की लायसेंस शुल्क का भुगतान नहीं किया है। 
 

इनका कहना है

आरआरसी के यह मामले मेरे कार्यकाल के पूर्व के है। शराब ठेकेदारों से वसूली के लिये पत्र लिखा गया था। बकायदारों से वसूली की कार्रवाई शुरू होने पर यह बात सामने आई है कि उनके पास चल-अचल संपत्ति नहीं है। इसके कारण आबकारी आयुक्त को प्रस्ताव तैयार करके भेजा गया है। अनिल जैन, जिला आबकारी अधिकारी
 

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