उत्तर बस्तर कांकेर : छात्रावास में रहकर पढ़ाई करने वाले बच्चों को शिक्षा के साथ ही स्वालंबन बनाने का प्रयास

उत्तर बस्तर कांकेर : छात्रावास में रहकर पढ़ाई करने वाले बच्चों को शिक्षा के साथ ही स्वालंबन बनाने का प्रयास

Aditya Upadhyaya
Update: 2020-12-09 08:33 GMT
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डिजिटल डेस्क, उत्तर बस्तर कांकेर। जिले के चारामा विकासखण्ड के ग्राम लिलेझर के प्री. मैट्रिक आदिवासी बालक छात्रावास में शिक्षा के साथ-साथ किचन गार्डन भी तैयार किया गया है, जिसमें मौसमी सब्जी जैसे भिण्डी, बैंगन, गोभी, करेला, सेमी, कुंदरु, पालक, लालभाजी इत्यादि उगाई जाती है। छात्रावास का मुख्य उद्वेश्य विद्यालय से दूरस्थ निवासरत बच्चों को विद्यालय के निकट छात्रावास में रहकर भोजन, आवास एवं अच्छी शिक्षा उपलब्ध कराना है। लिलेझर के छात्रावास अधीक्षक पंकज कुमार ने बताया कि शुरुआत के समय छात्रावास 20 सीटर का हुआ करता था जो ग्राम पंचायत के भवन में संचालित होता था। इसके बाद शासन द्वारा छात्रावास के संचालन हेतु स्वयं का भवन निर्माण कराया गया तथा सीटों की संख्या 20 से बढ़ाकर 35 कर दिया गया तथा लोक निर्माण विभाग द्वारा 2 अतिरिक्त भवन का निर्माण किया गया है। वर्तमान समय में छात्रावास में 50 बच्चों के लिए पर्याप्त व्यवस्था किया गया है। वर्ष 2019-20 में लिलेझर के छात्रावास में रहकर अध्ययन करने वाले कक्षा 10 वीं के बच्चों का परीक्षा परिणाम शत-प्रतिशत रहा तथा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होने वाले छात्रों की संख्या में वृद्धि हुई है। वर्तमान में कोविड-19 के संक्रमण के चलते शिक्षा सत्र में विद्यार्थियों की पढ़ाई का नुकसान न होने पाये, इसके लिए छत्तीसगढ़ शासन द्वारा ‘पढ़ई तुंहर दुआर’ कार्यक्रम चलाकर बच्चों की ऑनलाईन कक्षाएं संचालित की जा रही है। लिलेझर छात्रावास प्रांगण में छात्रों और छात्रावास कर्मचारियों के द्वारा बागवानी भी तैयार किया गया है, जिसमें सुंदर एवं सुगंधित फूलों के अलावा औषधि गुण वाले पौधें भी लगाए गये हैं, जिससे छात्रावास में शुद्ध एवं स्वच्छ वातावरण बना रहता है। छात्रावास में उपलब्ध रिक्त भूमि पर किचन गार्डन भी तैयार किया गया है, जिसमें मौसमी सब्जी भिण्डी, बैंगन, गोभी, करेला, सेमी, कुंदरु, पालक, लालभाजी इत्यादि सब्जियों का उत्पादन किया जा रहा है। छात्रावासी बच्चों को नैतिक विकास एवं अनुशासन के महत्व भी उन्हें बताया जाता है, जिससे छात्रावास में रहने वाले छात्रों को कर्त्तव्यों का बोध कराया जाता है। प्रतिदिन प्रातःकाल एवं संध्या समय प्रार्थना करना एवं ईश्वर एवं प्रकृति का धन्यवाद करना सिखाया जाता है साथ ही विद्यालय से दिये गये गृहकार्य को समय के साथ पूर्ण करने के लिए कहा जाता है, जिससे छात्र समय के महत्व को समझकर पूर्ण कर लेते हैं। छात्रावास परिसर में सफाई एवं बच्चों में स्वावलंबन की भावना जागृत करने के लिए सप्ताह में एक दिन श्रमदान लिया जाता है, इसके अतिरिक्त समय-समय पर छात्रावास में सांस्कृतिक, साहित्यिक कार्यक्रम एवं प्रतियोगिता का आयोजन भी किया जाता है जिससे बच्चों के प्रतिभा में निखार आ सके। शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय लिलेझर में अध्ययन पूर्ण करने के पश्चात् कई छात्र अपने पैतृक कार्य करने लगे एवं कई छात्र स्वयं का व्यापार करने लगे हैं, इनमें से कई छात्र ऐसे भी हैं, जिन्होनें अपने मेहनत और लगन से शासकीय सेवा में ग्राम मरकाटोला देव गावड़े वर्तमान में बस्तर विश्वविद्यालय में सहायक कुलसचिव के पद पर पदस्थ रहकर समाज जिलए प्रेरणास्रोत बने हैं। इसी प्रकार ग्राम बरकछार, खैरवाही, सिरसिदा और पुरी के छात्रों ने भारतीय सेना में पदस्थ रहकर गाँव एवं स्कूल का मान बढ़ाया है।

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