बेमेतरा : आने वाले समय मे गिधवा परसदा की पहचान अन्तराष्ट्रीय स्तर पर होगी

बेमेतरा : आने वाले समय मे गिधवा परसदा की पहचान अन्तराष्ट्रीय स्तर पर होगी

Aditya Upadhyaya
Update: 2021-02-01 08:07 GMT
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डिजिटल डेस्क, बेमेतरा। हमर चिरई-हमर चिन्हारी के अन्तर्गत गिधवा-परसदा मे पक्षी महोत्सव का हुआ शुभारंभ प्रत्येक वर्ष शीतऋतु मे होगा गिधवा-परसदा मे पक्षी महोत्सव-पीसीसीएफ राकेश चतुर्वेदी आदिकाल से मनुष्य एवं पक्षियों का सामंजस्य रहा है। वेदों मे भी पक्षियों का चित्रण किया गया है। मनुष्य प्राचीन समय से पेड़ एवं पशु पक्षियों की पूजा करते आ रहा है। गिधवा परसदा की पहचान आने वाले समय मे अन्तराष्ट्रीय मानचित्र पर स्थापित होगी। जहां बड़ी संख्या मे देशी एवं विदेशी पक्षी हर साल आते हैं, इस आशय के उद्गार प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख श्री राकेश चतुर्वेदी ने आज रविवार को प्रदेश के वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा हमर चिरई-हमर चिन्हारी के अन्तर्गत ग्राम-गिधवा-परसदा मे तीन दिवसीय पक्षी महोत्सव की शुरुआत करते हुए व्यक्त किये। श्री चतुर्वेदी ने कहा कि सामान्यतः बारिश के बाद अक्टूबर एवं फरवरी के बीच गिधवा-परसदा जलाशय मे पक्षी अपना डेरा डालते हैं। यहां का परिवेश देशी एवं विदेशी पक्षियों को भाता है। इन जलाशयों मे पक्षियों के लिए अच्छा भोजन मिलता है। आने वाले समय मे कोशिश होगी की दिसम्बर 2021 माह के अन्त मे पक्षी महोत्सव का आयोजन प्रत्येक वर्श किया जायेगा। श्री चतुर्वेदी ने गिधवा-परसदा-नगधा के ग्रामीणों की सराहना की जो पक्षियों के संरक्षण के लिए आगे आ रहे है। पीसीसीएफ श्री चतुर्वेदी ने यह भी बताया कि आने वाले समय मे दिसम्बर माह मे प्रदेश के 07 स्थानों मे इस तरह के आयोजन किये जाएंगे। उन्होने यह भी बताया कि सलीम अली इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञों से चर्चा कर विस्तृत परियोजना तैयार की जायेगी। राज्य जैव विविधता बोर्ड के सदस्य सचिव श्री अरुण पाण्डेय ने कहा कि गिधवा-परसदा मे आयोजित पक्षी महोत्सव अपने तरह का एक अलग कार्यक्रम है। पक्षियों के प्रति प्रेम एवं लगाव इस गांव मे देखी जा सकती है, यह अपने आप मे एक मिशाल है। भारत के केवलादेव नेशनल पार्क मे भी पक्षियों का संरक्षण किया जा रहा है। गिधवा-परसदा के ग्रामीणों की भावना पक्षियों के संरक्षण मे मदद् करेगी। उन्होने आयोजन की सफलता के लिए अपनी शुभकामनाएं दी। वन विभाग के सचिव श्री प्रेम कुमार ने कहा कि वनों एवं वाइल्ड लाईफ का क्या योगदान है, गिधवा-परसदा के ग्रामीण पक्षियों के संरक्षण के दिशा मे बेहतर काम कर रहे है। गिधवा-परसदा गांव के विकास के लिए जो भी योजना बनेगी उसे पूरा करने का प्रयास करेंगे। कलेक्टर बेमेतरा श्री शिव अनंत तायल ने कहा कि पक्षियों के संरक्षण के लिए वन विभाग द्वारा यहां बेहतर प्रयास किये जा रहे है। ग्रामीणों की सहभागिता पक्षियों की संरक्षण मे महत्वपूर्ण भूमिका है। तीन दिवसीय पक्षी महोत्सव के आयोजन से छत्तीसगढ़ एवं बाहर के सैलानी इसका लाभ उठायेंगे। हमारा प्रयास रहेगा की शीतऋतु मे पक्षी महोत्सव (बर्ड फैस्टिवल) हर वर्श आयोजित हो। मुख्य वन संरक्षक श्रीमती संजिता गुप्ता ने कहा कि गिधवा-परसदा मे विगत 25 साल से विदेशी पक्षी आ रहे हैं। यूरोप-आफ्रिका महाद्वीप से भी हजारो मील समुद्र पार कर पक्षी आते हैं। इनको यहां संरक्षण मिलता है, उनको यहां खाना उपलब्ध होता है। गिधवा-परसदा की पहचान देश ही नही विदेश मे भी होने लगी है। उन्होने उदाहरण देते हुए कहा कि गरियाबन्द-महासमुन्द की सरहद पर ग्राम लचकेरा मे भी बाहर से पक्षी आते हैं ग्रामीण इसे नुकसान नही पहुंचाते। यदि कोई नुकसान पहुंचाता है तो ग्रामीणों ने एक हजार रुपये जुर्माना तय किया है। मुख्य वन संरक्षक दुर्ग वृत्त श्रीमती शालिनी रैना ने कहा कि दिसम्बर से फरवरी के बीच गिधवा-परसदा मे देशी एवं विदेशी पक्षी बड़ी संख्या मे आते है। यहां के जलाशय इन पक्षियों को रास आ गये हैं। तीन दिवसीय पक्षी महोत्सव प्रदेश का यह पहला आयोजन है। आज कार्यक्रम के दौरान एक नया नारा उभर कर आया हमर चिरई-हमर दुवारी, हम करबो एकर रखवारी। डीएफओ दुर्ग श्री धम्मशील गणवीर ने तीन दिवसीय पक्षी महोत्सव के आयोजन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गिधवा-परसदा के दो बड़े जलाशयों मे देशी एवं विदेशी 150 प्रजाति के पक्षी आते हैं। अक्टूबर से फरवरी तक उनका निवास रहता है। उन्होने पक्षियों की संरक्षण के लिए ग्रामीणों के सहभागिता की सराहना की। तीन दिवसीय महोत्सव के दौरान चित्रकला फोटो प्रदर्शनी रंगोली पिनटैन मैराथन का आयोजन एवं स्थानीय सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। हमारा यह आयोजन प्रकृति से और नजदीक जुड़ने का प्रयास है। कार्यक्रम के दौरान ग्रामीणों ने दोनों हाथ उठाकर पक्षियों के संरक्षण के लिए सहमति जताई।

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