राशन दुकानों की टाइमिंग में उलझा आम आदमी

दोपहर बाद खुलती ही नहीं दुकानें राशन दुकानों की टाइमिंग में उलझा आम आदमी

Safal Upadhyay
Update: 2022-12-23 08:28 GMT
राशन दुकानों की टाइमिंग में उलझा आम आदमी

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। राशन दुकानों के खुलने के लिए इतनी बार टाइमिंग बदली गई कि खुद टाइमिंग कन्फयूज हो गई होगी। खाद्य विभाग हर कुछ दिनों में टाइमिंग तो बदल देता है लेकिन कभी भी यह नहीं देखता कि इस टाइमिंग का पालन हो रहा है या नहीं। हकीकत यह है कि अधिकांश दुकानें केवल सुबह की पाली में ही खुल रही हैं। दोपहर बाद वाली पाली की 80 फीसदी दुकानें बंद ही रहती हैं। सुबह से निकला इंसान जब शाम को कुछ कमाई कर राशन खरीदने पहुँचता है तो उसे पता चलता है कि दुकान तो अब कल ही खुलेगी।

इस प्रकार राशन दुकान संचालक गरीबों के साथ मजाक कर रहे हैं और प्रशासन खामोशी से यह सब देख रहा है। खाद्य विभाग ने राशन दुकानों को खोलने का समय पहले सुबह 10 बजे से दोपहर 1 और 3 बजे से 7 बजे तक का किया था। इसके बाद इसे बदलकर सुबह 10 बजे से 1 और 3 बजे से शाम 5 बजे तक किया गया। हाल ही में इसमें फिर बदलाव किया गया और अब दुकानों को खाेलने का समय सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे और दोपहर 3 बजे से शाम 6 बजे तक निर्धारित किया गया है। सुबह 10 बजे जब लोगों को काम पर जाना होता है तो दुकानें खुलती हैं और जब वे काम से वापस आते हैं तो दुकानें बंद हो जाती हैं। लोग हमेशा माँग करते हैं कि सुबह 8 से रात 8 बजे तक दुकानें खाेली जाएँ लेकिन ऐसा नहीं हो पाता है। 

सप्ताह में पूरे दिन नहीं खुलतीं 

राशन दुकानाें के संचालक पूरी तरह अपनी मर्जी के मालिक हो गए हैं। जब उनका मन होता है तब दुकान खोलते हैं बाकी समय दुकानें बंद ही रखी जाती हैं। लोगों को पूरा अनाज मिल रहा है या नहीं, सभी उपभोक्ताओं ने अनाज ले लिया या नहीं इसकी भी उन्हें परवाह नहीं होती है।

दोपहर बाद भटकते है लोग

सुबह की पाली में जो लोग अनाज नहीं ले पाते हैं उन्हें फिर भटकना ही पड़ता है। दोपहर की पाली में दुकान खुलेंगी या नहीं इसकी कोई गांरटी नहीं होती है और अक्सर दुकानें बंद ही मिलती हैं। खुद खाद्य विभाग के अधिकारियों का मानना है कि 80 फीसदी दुकानें बंद ही रहती हैं।

राशन दुकानों का संचालन शासन के नियमों के तहत ही होना चाहिए। इसके लिए सभी को आदेश भी दिए गए हैं। जो भी संचालक या समिति आदेश का पालन नहीं करेगी उस पर कार्यवाई की जाएगी।                                  (कमलेश तांडेकर, खाद्य आपूर्ति अधिकारी)

 

Tags:    

Similar News