कोरोना के इलाज का भुगतान देने कंज्यूमर कोर्ट ने स्टार हेल्थ को दिए आदेश

दो साल से परेशान था पॉलिसीधारक क्लेम के लिए कोरोना के इलाज का भुगतान देने कंज्यूमर कोर्ट ने स्टार हेल्थ को दिए आदेश

Safal Upadhyay
Update: 2023-03-22 12:31 GMT
कोरोना के इलाज का भुगतान देने कंज्यूमर कोर्ट ने स्टार हेल्थ को दिए आदेश

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। पॉलिसीधारक कोरोना संक्रमण के शिकार हो गए थे। अस्पताल में लंबे समय तक इलाज भी लिया। कैशलेस नहीं होने के कारण इलाज के बाद अस्पताल का बिल भी मरीजों के परिजनों ने अपने पास से जमा किया। बीमित व्यक्तियों ने जब बीमा कंपनी में क्लेम किया तो आज तक बिलों को सेटल नहीं किया जा रहा है। कुछ बिलों को सेटल किया गया तो उसमें भारी भरकम कटौती कर दी गई। बीमित कटौती के कारणों को जानना चाह रहे हैं तो बीमा कंपनियाँ किसी तरह का उचित जवाब भी नहीं दे रही हैं। पीड़ितों का आरोप है कि बीमा कंपनियाँ अपने एक ग्राहक के साथ ऐसा नहीं कर रही हैं, बल्कि सभी को किसी न किसी तरह से परेशान करने में जुटी हुई हैं। बीमितों ने गंभीर आरोप लगाते हुए बीमा कंपनियों के प्रबंधन के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की माँग की है। वहीं परेशान होकर बीमितों ने कंज्यूमर कोर्ट में केस लगाया है और वहाँ से भी बीमा कंपनियों के विरुद्ध आदेश पारित हो रहे हैं।

इन नंबरों पर बीमा से संबंधित समस्या बताएँ 

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नियमों का हवाला देकर कर दिया था क्लेम रिजेक्ट

मप्र के शहडोल बुढ़ार धनपुरी वार्ड नंबर एक निवासी तरनजीत सिंह छावड़ा ने स्टार हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी से पॉलिसी ले रखी है। पॉलिसी क्रमांक पी/700002/01/2021/027764 का कैशलेस कार्ड भी बीमा कंपनी के द्वारा दिया गया था। अप्रैल 2021 में कोरोना से तरनजीत की पत्नी सोनम ग्रसित हो गई थीं। उन्हें गंभीर अवस्था में निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अस्पताल में भर्ती होने के दौरान बीमा कंपनी में कैशलेस के लिए मेल किया गया था। बीमा अधिकारियों ने बिल सबमिट करने का हवाला देकर कैशलेस रिजेक्ट कर दिया था। पॉलिसीधारक को पूरा इलाज अपने खर्च पर कराना पड़ा था। बीमित ने सारे दस्तावेज व बिल बीमा कंपनी में पत्नी के ठीक होने के बाद ऑनलाइन सबमिट किया था। स्टार हेल्थ के कैशलेस डिपार्टमेंट व सर्वेयर टीम के सदस्यों ने जल्द ही भुगतान करने का वादा किया और उसके बाद अनेक प्रकार की क्वेरी दस्तावेजों में निकाली जाने लगीं। बीमित ने कंपनी को सारे जवाब दिए उसके बाद क्लेम डिपार्टमेंट के अधिकारियों ने नियमों का हवाला देकर नो क्लेम कर दिया। बीमित का आरोप है कि उसके साथ जालसाजी की गई थी इसलिए परेशान होकर उसे कंज्यूमर कोर्ट जाना पड़ा। कंज्यूमर कोर्ट ने पूरा क्लेम व क्षतिपूर्ति देने का आदेश किया है।
 

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