अंबाझरी तालाब के संवर्धन पर कोर्ट सख्त, सटीक जानकारी दें, नहीं तो 20 हजार की कॉस्ट

अंबाझरी तालाब के संवर्धन पर कोर्ट सख्त, सटीक जानकारी दें, नहीं तो 20 हजार की कॉस्ट

Anita Peddulwar
Update: 2019-11-05 08:00 GMT
अंबाझरी तालाब के संवर्धन पर कोर्ट सख्त, सटीक जानकारी दें, नहीं तो 20 हजार की कॉस्ट

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में सोमवार को अंबाझरी तालाब के संवर्धन के मुद्दे पर केंद्रित सू-मोटो जनहित याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें हाईकोर्ट ने मनपा, नासुप्र, वाड़ी नगर परिषद, एमआईडीसी, जीवन विकास प्राधिकरण सहित सभी प्रतिवादियों से अपना उत्तर प्रस्तुत करने को कहा। हाईकोर्ट में एक सप्ताह के भीतर शपथ-पत्र प्रस्तुत नहीं करने या सटीक जानकारी नहीं देने पर 20 हजार की कॉस्ट लगाई जाएगी।

दरसअल, बीते 25 जून को मनपा ने अपना शपथ-पत्र प्रस्तुत किया था, जिसमें बताया गया कि, मनपा और वन विभाग ने तालाब पर जमने वाली काई की समस्या से निपटने के लिए नीरी को जिम्मेदारी दी है। इधर राज्य सरकार के पौधारोपण कार्यक्रम के तहत अंबाझरी परिसर में भी 15 से 20 हजार पौधे लगाए जाएंगे। तालाब परिसर में चरने वाले जानवरों और असामाजिक तत्वों के दाखिल होने के लिए करीब 21 पाइंट्स हैं, इन्हें बंद करके प्रशासन परिसर में अवैध विचरण रोकने की तैयारी कर रहा है। इसी तरह वन विभाग तालाब की सफाई की भी तैयारी कर रहा है। इससे निंकलने वाली मिट्टी को शहर में हो रहे पौधारोपण में इस्तेमाल करने की तैयारी है। वही पूर्व में हाईकोर्ट जीवन विकास प्राधिकरण को भी वाड़ी में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने पर निर्णय लेने को कहा था। इन तमाम मुद्दों पर प्रतिवादियों को एक सप्ताह में शपथ-पत्र प्रस्तुत करना है।

यह है मामला
उल्लेखनीय है कि, बगैर प्रोसेस किए ही उद्योगों के रसायनयुक्त पानी को अंबाझरी तालाब में छोड़ा जा रहा था। नजदीकी रिहायशी इलाकों से भी प्रदूषित जल अंबाझरी में मिल रहा था। वाड़ी नगर परिषद मंे सीवेज ट्रीटमंेट प्लांट नहीं होने से सीवेज का सारा पानी तालाब में मिल रहा था। इससे समय के साथ-साथ तालाब में ऑक्सीजन की कमी हो गई, जिससे मछलियां मरने लगीं। तालाब के किनारे जब मरी हुई मछलियों का ढेर इकट्ठा हुआ, तब यह मुद्दा चर्चा में आया। ऐसे में हाईकोर्ट में वाड़ी में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने के मुद्दे ने जोर पकड़ा। इसके लिए वाड़ी नगर परिषद ने 52 लाख रुपए जीवन विकास प्राधिकरण को दिए हैं। तकनीकी मान्यता मिलना शेष है। मामले में नासुप्र की ओर से एड. गिरीश कुंटे, परिषद की ओर से एड. मोहित खजांची और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से एड. एस.एस सान्याल ने पक्ष रखा।

Tags:    

Similar News