अब प्रदेश के विकास प्राधिकरण प्लाट बंधक रखकर विकास अनुमति ले सकेंगे

अब प्रदेश के विकास प्राधिकरण प्लाट बंधक रखकर विकास अनुमति ले सकेंगे

Bhaskar Hindi
Update: 2018-08-14 07:47 GMT
अब प्रदेश के विकास प्राधिकरण प्लाट बंधक रखकर विकास अनुमति ले सकेंगे

डिजिटल डेस्क, भोपाल। राज्य सरकार ने बीस साल पहले बने मप्र नगरपालिका कालोनाईजर का रजिस्ट्रीकरण, निबंधन तथा शर्तें नियम 1998 में संशोधन कर विकास प्राधिकरणों अपने प्लाट बंधक रखकर विकास अनुमति लेने का प्रावधान कर दिया है। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि पहले से फण्ड के अभाव में चल रहे विकास प्राधिकरणों को आवासीय योजनाओं में विकास की अनमति हेतु निर्धारित भारी भरकम शुल्क जमा नहीं करना पड़े।

ज्ञातव्य है कि आवासीय एवं व्यवसायिक काम्प्लेक्स योजनाएं क्रियाशील करने के लिए विकास प्राधिकरणों को भी कालोनाईजर का लायसेंस लेना होता है। प्रदेश में इस समय दस विकास प्राधिकरण भोपाल, इंदौर, जबलपुर, उज्जैन, देवास, रतलाम, कटनी, अमरकंटर एवं सिंगरौली स्थापित हैं, जबकि विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरणों की संख्या पांच है जो ग्वालियर काउंटर मेगनेट, पचमढ़ी, खजुराहो, महेश्वर-मण्डलेश्वर तथा ओरछा में स्थित हैं। 

अब उक्त सभी पन्द्रह विकास प्राधिकरणों को अपने क्षेत्र में कालोनी के विकास की अनुमति हेतु निर्धारित शुल्क सक्षम प्राधिकारी को जमा कराने की जरुरत नहीं होगी तथा वे शुल्क के बराबर की कीमत के प्लाट सक्षम प्राधिकारी के समक्ष बंधक रख सकेंगे और उन्हें विकास की अनुमति मिल जाएगी और भविष्य में निर्धारित शुल्क जमा कर प्राधिकरण ए बंधक प्लाट मुक्त करा सकेंगे। सक्षम प्राधिकारी नगर निगम की दशा में नगर निगम आयुक्त हैं जबकि नगर पालिका एवं नगर परिषद की दशा में संबंधित जिले का कलेक्टर है।

कलेक्टर गाईड लाईन के अनुसार होगा विकास शुल्क
नियमों में नया प्रावधान किया गया है कि विकास प्राधिकरणों के मामले में सक्षम प्राधिकारी तत्समय प्रवृत्त कलेक्टर गाईड लाईन (दिशा-निर्देश) के अनुसार देय विकास फीस के समतुल्य मूल्य के प्लाट बंधक रखकर विकास अनुमति दे सकेगा।

इनका कहना है
‘‘कटनी एवं सिंगरौली में नए विकास प्राधिकरण बने हैं तथा अन्य प्राधिकरणों के पास भी फण्ड की समस्या है। इनके पास विकास शुल्क की राशि देने के लिए धन उपलब्ध नहीं रहता है, इसलिए कालोनाईजर लायसेंस नियम में संशोधन कर उन्हें प्लाट बंधक रखकर विकास की अनुमति लेने की सुविधा प्रदान की गई है।’’
भाशीष बेनर्जी, उप सचिव, नगरीय विकास एवं आवास विभाग मप्र

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