डॉ. हर्षवर्धन ने एक समावेशी एसटीआईपी 2020 बनाने और उसे जमीन तक पहुंचाने के लिए राज्यों के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रियों के साथ विस्तृत विचार-विमर्श किया

डॉ. हर्षवर्धन ने एक समावेशी एसटीआईपी 2020 बनाने और उसे जमीन तक पहुंचाने के लिए राज्यों के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रियों के साथ विस्तृत विचार-विमर्श किया

Aditya Upadhyaya
Update: 2020-10-24 09:07 GMT
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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्रीय विज्ञान प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान, स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने राज्यों से साक्ष्य-निर्देशित, समावेशी राष्ट्रीय विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार नीति एसटीआईपी 2020 के निर्माण की प्रक्रिया में शामिल होने की अपील की है, जिसे जमीनी स्तर तक ले जाना होगा। डॉ. हर्षवर्धन एसटीपी-2020, जिसे अभी बनाया जा रहा है, पर चर्चा के लिए वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से राज्यों के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रियों के साथ आयोजित बैठक में बोल रहे थे। प्रस्तावित एसटीआई नीति पर सभी राज्यों के एसएंडटी मंत्रियों के साथ इस पहली बैठक में शामिल प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, “हम इसे निश्चित तौर पर सभी पहलुओं में एक समावेशी नीति बनाना चाहेंगे- प्रत्येक राज्य को न केवल इसके निर्माण में एक समान भागीदार बनना चाहिए, इसके स्वामित्व और उत्तरदायित्व को साझा करना चाहिए, बल्कि इसे पूरी ताकत से लागू करने में भी शामिल होना चाहिए।” उन्होंने कहा, "इस नीति का उद्देश्य हमारे वैज्ञानिक पारिस्थितिकी तंत्र को दोबारा ऊर्जावान बनाना और प्राथमिकताओं व क्षेत्रवार केंद्र बिंदुओं को नए सिरे से पारिभाषित करना है, ताकि विज्ञान और प्रौद्योगिकी में हमारे प्रयास सीधे हमारे समाज और अर्थव्यवस्था के लिए लाभ में परिवर्तित हो जाए।" उन्होंने कहा कि मौजूदा महामारी स्वदेशी एसटीआई निर्माण और विकास की तत्काल आवश्यकता की गवाह है, जिसे सहकारी संघवाद के आदर्शों पर आधारित केंद्र-राज्य सामंजस्यपूर्ण संबंधों के जरिए प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने कहा, "इसलिए केंद्र-राज्य सहयोग सही अर्थों में आत्मनिर्भर भारत निर्माण के हृदय में है।" इस संदर्भ में डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि एसएंडटी मंत्रियों के साथ एसटीआईपी 2020 पर परामर्श केंद्र और राज्यों व राज्यों के बीच बेहतर सामंजस्य बनाने की दिशा में एक मील के पत्थर जैसा कार्यक्रम है। “यह बैठक प्रक्रियाओं पर अच्छी तरह से बात करने की उम्मीद करती है, जो इस अंतर-संबंधों को बढ़ावा देगी। एसटीआई पारिस्थितिकी तंत्र को सशक्त बनाने के लिए संस्थागत संपर्क और संयुक्त वित्तीय प्रणालियों को मजबूत करने की जरूरत है। राज्य एसएंडटी परिषदों को भी निश्चित तौर पर फिर से मजबूत बनाना चाहिए, क्योंकि वे इन लक्ष्यों को पाने में बहुत महत्वपूर्ण हैं।” पहले की राष्ट्रीय विज्ञान नीतियों- विज्ञान नीति संकल्प 1958, प्रौद्योगिकी नीति वक्तव्य 1983, विज्ञान और प्रौद्योगिकी नीति 2003 और विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं नवाचार नीति 2013 को रेखांकित करते हुए डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, "पिछले कुछ वर्षों ने प्रकाशन, पेटेंट और शोध प्रकाशनों की गुणवत्ता, प्रति व्यक्ति शोध एवं विकास (आरएंडडी) खर्च, अति सक्रिय आरएंडडी परियोजनाओं में महिलाओं की भागीदारी और उभरती प्रौद्योगिकियों जैसे नैनो प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की उभरती हुई भागीदारी, समावेशी और कम खर्चीले नवाचार, केंद्र और राज्यों द्वारा छात्रों और युवा शोधकर्ताओं के बीच आरएंडडी संस्कृति को मदद और प्रोत्साहन के लिए लागू की गई योजनाओं के अर्थों में भारत को वैश्विक एसआईटी अगुआ के तौर पर स्थापित करने वाले तेज विकास को देखा है।” डॉ. हर्षवर्धन ने जोर दिया, “व्यापक विचार-विमर्श के जरिए, विज्ञान प्रौद्योगिकी नवाचार नीति, 2020, केंद्र-राज्य एसटीआई जुड़ावों के संस्थाकरण और नीतिगत उपकरण को सफलतापूर्वक जमीनी स्तर पर उतारने के लिए रास्तों के निर्माण का प्रस्ताव करती है। उन राष्ट्रीय प्राथमिकताओं की चिह्नित करने की जरूरत है, जो राज्यों की जरूरत से निर्देशित होती हैं। 

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