सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों की बकाया राशि - सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय ने इन भुगतानों के लिए अपने प्रयास और तेज किए
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों की बकाया राशि - सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय ने इन भुगतानों के लिए अपने प्रयास और तेज किए
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। विभिन्न क्षेत्रों द्वारा एमएसएमई की बकाया राशि के भुगतान की दिशा में एक अन्य प्रमुख कदम के रूप में केन्द्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्रालय ने एमएसएमई का भुगतान प्राथमिकता के आधार पर जारी कराने के उपायों के लिए यह मुद्दा देश के निजी क्षेत्र उद्यमों के साथ भी उठाया है। आत्मनिर्भर पैकेज की घोषणा के दौरान यह इच्छा व्यक्त की गई थी कि एमएसएमई की सभी प्राप्तियों एवं बकाया राशियों का भुगतान 45 दिन के अंदर किया जाना चाहिए। तदनुसार एमएसएमई मंत्रालय ने केन्द्रीय मंत्रालयों उनके विभागों और केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यमों (सीपीएसई) के साथ इस मामले को बड़ी गंभीरता से उठाया तथा इनके साथ लिखित एवं अनुवर्ती कार्रवाई के लिए मंत्रालय ने रिपोर्टिंग हेतु ऑनलाइन प्रणाली भी तैयार की है। सैकड़ों सीपीएसई पिछले चार महीनों से मासिक देय राशियों और भुगतान के बारे में इस प्रणाली पर रिपोर्टिंग कर रही है। मंत्रालयों और सीपीएसई ने लगभग 10,000 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया है। इसी प्रकार मंत्रालय ने इस मामले को राज्यों के साथ भी उठाया है और उन्हें ऐसे भुगतान तेजी से किए जाने के बारे में निगरानी रखने के लिए प्रेरित किया है। अपने प्रयासों को और तेज करते हुए मंत्रालय ने देश के 500 शीर्ष और कॉरपोरेट समूहों के साथ इस मुद्दे को उठाया है। मंत्रालय ने इन 500 कॉरपोरेट्स के मालिकों, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशकों और शीर्ष कार्यकारियों को ई-पत्र लिखे हैं। इस कठिनाई के समय अपने समर्थन और एकजुटता को प्रदर्शित करते हुए मंत्रालय ने एमएसएमई के लंबित भुगतानों के मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाया है। अधिकांश एमएसएमई बड़े कॉरपोरेट्स समूहों के साथ व्यापार कर रहे हैं। हालांकि, उन्हें अपनी वस्तुओं और सेवाओं के लिए इन खरीददारों और उपयोगकर्ताओं से भुगतान प्राप्त नहीं हो रहा है। मंत्रालय ने यह भी कहा कि एमएसएमई क्षेत्र पर परिवारों, पेशेवरों और श्रमिकों की प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से निर्भरता सर्वव्यापक है। हाल के महीनों में एमएसएमई को भुगतान करने वालों को धन्यवाद देते हुए मंत्रालय ने कहा कि इस बारे में अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। स्थिति से निपटने के लिए मंत्रालय ने कॉरपोरेट जगत को तीन विशिष्ट सुझाव दिए हैं। मंत्रालय ने कहा कि यह भुगतान एमएसएमई के परिचालन और नौकरियों तथा अन्य आर्थिक गतिविधियों की जमीनीस्तर पर बरकरारी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इससे कॉरपोरेट जगत सहित पूरी अर्थव्यवस्था को लाभ पहुंचेगा। मंत्रालय ने कॉरपोरेट से यह भी अनुरोध किया है कि यह जांच की जाए कि क्या ऐसे भुगतान लंबित है और उन्हें जल्दी-से-जल्दी जारी किया जाए। एमएसएमई के लिए नकदी प्रवाह के मुद्दे के अन्य समाधानों के लिए इस बात पर जोर दिया गया है कि मंत्रालय ने 2018 में 500 करोड़ से अधिक टर्नओवर वाली सभी सीपीएसई और कॉरपोरेट संस्थाओं के लिए आवश्यक रूप से यह जरूरी कर दिया था कि वे टीआरईडीएस मंच पर ऑनबोर्ड हों। हालांकि, अनेक कॉरपोरेट्स अभी तक इसमें शामिल नहीं हुए हैं और इस पर लेन-देन भी नहीं कर रहे हैं। उनसे टीआरईडीएस पर ऑनबोर्ड होने और अपना लेन-देन शुरू करने का अनुरोध किया गया है। मंत्रालय ने कॉरपोरेट को यह भी याद दिलाया है कि कॉरपोरेट संस्थाओं के लिए यह भी आवश्यक बनाया गया है कि वे एमएसएमई की बकाया राशियों के बारे में कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय के पास अर्द्ध-वार्षिक रिटर्न दाखिल करें। कॉरपोरेट्स से यह अनुरोध किया गया है कि अगर उन्होंने अपने रिटर्न दाखिल नहीं किए हैं तो वे अपनी रिटर्न दाखिल करें। छोटी इकाइयों के प्रति अच्छे व्यवहार के लिए कॉरपोरेट इंडिया से अपील करते हुए एमएसएमई मंत्रालय ने एमएसएमई विकास अधिनियम 2006 के तहत कानूनी प्रावधानों के बारे में भी स्%8