यहां हमें इलाज के लिये लाये हैं या मारने - कोरोना संक्रमित ने सुनाया कोविड सेंटर का हाल

यहां हमें इलाज के लिये लाये हैं या मारने - कोरोना संक्रमित ने सुनाया कोविड सेंटर का हाल

Bhaskar Hindi
Update: 2020-08-31 13:08 GMT
यहां हमें इलाज के लिये लाये हैं या मारने - कोरोना संक्रमित ने सुनाया कोविड सेंटर का हाल

डिजिटल डेस्क सिंगरौली वैढऩ। कोरोना संक्रमितों को आइसोलेशन में रखने के लिये जो तैयारियां जिला प्रशासन ने की हैं उससे हर पीडि़त असंतुष्ट नजर आ रहा है। अभी तक पीडि़तों की सबसे ज्यादा समस्या जिला अस्पताल में बनाये गए आइसोलेशन सेंटर से आती थीं लेकिन ताजा वाक्या एनसीएल के कल्याण मंडपम् का है। यहां से एक पीडि़त ने व्यवस्था का जो हाल सुनाया, उससे एक बात तो साफ हो गई कि कोरोना पीडि़तों को लेकर आम जनमानस के साथ प्रशासकीय और स्वास्थ्य अमले में भी उपेक्षा का भाव है। 
जानकारी के अनुसार ताली निवासी एक व्यक्ति को लगभग पन्द्रह दिन पहले सर्दी खांसी की शिकायत सामने आई। परिजनों और रिश्तेदारों के कहने पर उन्होंने एक सप्ताह पहले टेस्ट कराया। तीन-चार दिन पहले वे अपने को नार्मल भी महसूस करने लगे थे, लेकिन शनिवार को आई रिपोर्ट में उन्हें कोरोना पॉजिटिव बताया गया। फिर क्या था? प्रशासकीय अमला आ धमका और उन्हें कल्याण मंडपम् ले जाया गया।
सुबह मिले बदबू मारते चने 
शिकायत के मुताबिक शनिवार की रात को उन्हें दवाई और खाना दिया गया। सुबह नाश्ते में फूले हुए चने, दूध और अंडे दिये गए। उन्होंने कहाकि मैं तो मारवाड़ी आदमी, अंडे क्यों खाने चला। इस पर नाश्ता लाने वाले ने कहाकि खाना हो तो खाओ और कुछ नहीं मिलने वाला। लगभग कप दूध इतना पनियल था मानो पांच लीटर पानी में एक लीटर दूध मिलाकर सर्व किया जा रहा हो। चनों से इतनी बदबू आ रही थी कि उन्हें फेंकना ही पड़ा। दिन के खाने में पानी से भी पतली दाल और उसमें बेरोकटोक डाला गया नमक था। रोटी और चावल भी ऐसा था कि  हलक से नीचे न उतरे। देर शाम तक और कुछ नहीं दिया गया।
 डस्टबिन से फैल रही संडाध 
बताया जा रहा है कि जिस हॉल में उन्हें रोका गया, वहां 45 बेड पड़े हैं और सबके पास ही डस्टबिन रखे हैं। डस्टबिन्स की नियमित सफाई न होने से वे संडाध मार रहे हैं। साफ सफाई भी सरकारी व्यवस्था को मात देती नजर आ रही है। 
न काढ़ा और ना ही गरम पानी 
पीडि़त को इस बात का अफसोस है कि उन्हें कल से न तो गरम पानी दिया गया, न काढ़ा और ना ही हीटर या केतली दी गई कि वे खुद पानी गरम कर लें। रविवार को सुबह से न तो कोई देखने आया और ना ही दवायें दी गईं। उन्होंने हाल में मौजूद दूसरे पीडि़तों से बात की तो उनका कहना था कि अभी पहला दिन है, दो चार दिन में आप अभ्यस्त हो जाओगे। कोरोना के कारण हमें और हमारे परिवार को जितना सामाजिक अपमान झेलना पड़ रहा है, उससे ज्यादा आइसोलेशन सेंटर्स की अव्यवस्थाएं हमें कोरोना से जंग में कमजोर बना रही हैं। 
इस संबंध में जिम्मेदारों से संपर्क करने का प्रयास किया गया किंतु वे उपलब्ध नहीं हो सके। हमें उम्मीद है कि कलेक्टर, इस शिकायत पर स्वत: संज्ञान लेकर  पीडि़तों के लिए व्यवस्थाएं बेहतर करने में मदद करेंगे।
 

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