अवैध कब्जा खाली कराए जाने पर अनशन पर बैठा बर्खास्त हवलदार

अवैध कब्जा खाली कराए जाने पर अनशन पर बैठा बर्खास्त हवलदार

Bhaskar Hindi
Update: 2019-10-18 12:11 GMT
अवैध कब्जा खाली कराए जाने पर अनशन पर बैठा बर्खास्त हवलदार

डिजिटल डेस्क जबलपुर। पुलिस लाइन में विगत 15 वर्षों से अवैध कब्जा कर परिवार सहित निवास कर रहा बर्खास्त हवलदार किशन लाल को वहाँ से हटाकर मकान तोड़े जाने की कार्रवाई के बाद वह अपने परिवार के साथ  माल गोदाम चौक पर अनशन पर बैठ गया है। उसका कहना था कि जब तक उसे न्याय नहीं मिलेगा वह अनशन जारी रखेगा। जानकारों के अनुसार इस अवैध कब्जे को खाली कराए जाने का आदेश एसपी अमित सिंह द्वारा दिया गया था। उसके बाद उक्त मकान को तोड़कर बर्खास्त हवलदार को लाइन से बाहर कर दिया गया।   सूत्रों के अनुसार वर्ष 2005 के पहले पुलिस कंट्रोल रूम में पदस्थ किशन लाल का जीआरपी में तबादला किया गया था और उसके बाद ऐसी स्थिति निर्मित हुई कि उसे सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। बर्खास्त किए जाने के बाद भी वह पुलिस लाइन की जमीन पर मकान बनाकर निवास कर रहा था। उसे वहाँ से हटाए जाने के लिए कई बार विभागीय नोटिस जारी किया गया था, लेकिन कोई जवाब नहीं मिलने पर एसपी अमित सिंह के निर्देश पर कार्रवाई के निर्देश दिए गये थे। जिसके बाद पूर्व हवलदार की गृहस्थी का सामान निकालकर मकान को तोड़ा गया और पूरे परिवार को लाइन से बाहर किया गया। इस कार्रवाई से खफा होकर वह माल गोदाम चौक पर अनशन पर बैठ गया। 
जीआरपी में हुआ था तबादला 
 धरने पर बैठे बर्खास्त हवलदार किशन लाल और उसके परिजनो ंका कहना था कि उनका वर्ष 2005 में पुलिस कंट्रोल रूम से जीआरपी में तबादला हुआ था। वह वहाँ आमद देने पहुँचा था, लेकिन पद रिक्त न होने पर  तत्कालीन जीआरपी अधिकारियों ने  वापस लौैटा दिया था। उसके बाद वह वापस पुलिस लाइन आमद देने पहुँचा था तो आरआई ने उसे वापस लेने से मना कर दिया था। कुछ समय भटकने के बाद उसने न्यायालय की शरण ली थी। जिसके बाद उसे झूठे मामले में फँसा दिया गया था और फिर सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। 
कार्रवाई प्रभावित करने धमकी 
 विभागीय सूत्रों का कहना है कि पुलिस लाइन में अवैध ढंग से कब्जा कर निवास कर रहे पूर्व हवलदार को लाइन से बाहर किए जाने को लेकर कई बार नोटिस जारी किए गए, लेकिन वह कब्जा छोडऩे तैयार नहीं था और पूर्व में भी इस तरह की कार्रवाई प्रस्तावित की जाने पर उसके द्वारा फाँसी लगाकर आत्महत्या करने की धमकी दी गयी थी, जिसके चलते कार्रवाई नहीं हो सकी थी।
 

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