हाईकोर्ट ने कहा - आप को पता है औरंगाबाद में सप्ताह के सिर्फ एक दिन पानी आता है  

खेल के मैदान से पहले देखेंगे जल संकट हाईकोर्ट ने कहा - आप को पता है औरंगाबाद में सप्ताह के सिर्फ एक दिन पानी आता है  

Tejinder Singh
Update: 2022-07-21 15:39 GMT
हाईकोर्ट ने कहा - आप को पता है औरंगाबाद में सप्ताह के सिर्फ एक दिन पानी आता है  

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने औरंगाबाद के जल संकट का जिक्र करते हुए कहा कि पहले हम महाराष्ट्र के गांवों में पानी की व्यवस्था को सुनिश्चित करेंगे इसके बाद खेल के मैदान में पीने के पानी के मुद्दे को देखेंगे। हाईकोर्ट ने यह बात खेल के मैदानों में पीने के पानी व शौचालय की सुविधा उपलब्ध कराने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कही। इस विषय पर पेशे से वकील राहुल तिवारी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में सार्वजनिक खेल के मैदानों पर पीने का पानी व शौचालय सहित बुनियादि सुविधाएं उपलब्ध कराने का निर्देश देने की मांग की है। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि क्या आप को पता है कि महाराष्ट्र के कई जिले ऐसे हैं जहां रोजाना पाइप से पीने योग्य पानी की आपूर्ति नहीं होती है। औरंगाबाद में तो ऐसा पानी लोगों को सप्ताह में सिर्फ एक दिन मिलता है। ऐसे में  यदि क्रिकेट खेलने वाले बच्चों के अभिभावक उन्हें खेल का साजो समान खरीद कर दे सकते हैं तो उन्हें पानी की बोतल क्यों नहीं खरीद कर दे सकते और खिलाड़ी अपनी पानी की बोतल लेकर मैदान में क्यों नहीं आते। इसके अलावा आप क्रिकेट का खेल खेलते हैं जो मूल रुप से भारत का खेल नहीं है।

खंडपीठ ने कहा कि गांव में रहनेवालों के बारे में सोचिय जो पानी भी हासिल नहीं कर पाते है। ऐसे में पहले हम सुनिश्चित करेंगे की महाराष्ट्र के गांवों को पानी मिले। क्योंकि याचिका में जो मुद्दा उठाया गया है वह एक तरह की लक्जरी से जुड़ा है जो प्राथमिकता की सूची में  सौ वें पायदान पर आता है। खंडपीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि पहले आप (याचिकाकर्ता) अपने मौलिक कर्तव्यों पर ध्यान दे। खंडपीठ ने कहा क्या अपने कभी औरंगाबाद व चिपलून में रहनेवाले लोगों के बारे में सोचा है। हम नहीं चाहते कि याचिकाकर्ता अदालत का समय नष्ट करें। वह जीवित प्राणियों के बारे में विचार करे और अपनी मौलिक कर्तव्यों पर ध्यान दे। याचिका में जो मुद्दा उठाया गया है वह प्राथमिकताओं की सूची में निचले पायदान पर आता है। 

 

 

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