सरकारी कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर्स की नियुक्ति पर रोक, दिव्यांगों को निर्धारित सीमा से दोगुना आरक्षण देने का आरोप

सरकारी कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर्स की नियुक्ति पर रोक, दिव्यांगों को निर्धारित सीमा से दोगुना आरक्षण देने का आरोप

Bhaskar Hindi
Update: 2019-01-07 15:45 GMT
सरकारी कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर्स की नियुक्ति पर रोक, दिव्यांगों को निर्धारित सीमा से दोगुना आरक्षण देने का आरोप

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। हाईकोर्ट ने एमपी पीएससी द्वारा प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में की जा रही असिस्टेंट प्रोफसर्स की नियुक्ति पर फिलहाल रोक लगा दी है। चीफ जस्टिस एसके सेठ और जस्टिस विजय शुक्ला की युगल पीठ ने असिस्टेंट प्रोफेसर्स की नियुक्ति प्रक्रिया पर यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिए हैं। युगल पीठ ने राज्य शासन और अन्य से जवाब-तलब भी किया है। याचिका की अगली सुनवाई 29 जनवरी को नियत की गई है। बताया जाता है कि इसके कारण सामान्य और अन्य पिछड़े वर्ग के उम्मीदवारों को नियुक्ति नहीं मिल पाएगी।

यह कहा याचिका में
सीहोर निवासी घनश्याम चौकसे, मुरैना निवासी राकेश कुमार और अन्य की ओर से दायर याचिकाओं में कहा गया कि एमपी पीएससी ने प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में अलग-अलग विषयों के लिए 195 असिस्टेंट प्रोफसर्स की नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला गया था। इन पदों में से 24 पद दिव्यांगों के लिए आरक्षित कर दिया गया। याचिका में कहा गया कि केन्द्र सरकार के नियमों के अनुसार दिव्यांगों के लिए 6 प्रतिशत आरक्षण निर्धारित किया गया है। असिस्टेंट प्रोफसर्स पद के लिए निर्धारित सीमा से दोगुने से अधिक पद दिव्यांगों के लिए आरक्षित कर दिए गए।

यथा स्थिति बनाए रखने के आदेश
अधिवक्ता उदयन तिवारी, ब्रम्हानंद पांडे और नित्यानंद मिश्रा ने कोर्ट को बताया कि अंग्रेजी विषय में 13 और अन्य विषय में 18 प्रतिशत से अधिक दिव्यांगों के लिए आरक्षित कर दिए गए। एमपी पीएससी ने बिना किसी कानून के 7 सीट भूगोल में और 33 सीट अंग्रेजी में सामान्य वर्ग से कैरी फारवर्ड करने की योजना बना ली। इसकी वजह से सामान्य और अन्य पिछड़े वर्ग के उम्मीदवारों को नियुक्ति नहीं मिल पाएगी। प्रांरभिक सुनवाई के बाद युगल पीठ ने नियुक्ति प्रक्रिया पर यथास्स्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है। याचिका पर अगली सुनवाई 29 जनवरी को होगी। इसके साथ ही राज्य शासन और अन्य से जवाब-तलब भी किया है।

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