भारतीय वायुसेना का विमानों के बेड़े के रखरखाव में स्वदेशीकरण पर जोर

भारतीय वायुसेना का विमानों के बेड़े के रखरखाव में स्वदेशीकरण पर जोर

Aditya Upadhyaya
Update: 2021-02-03 08:13 GMT
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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रक्षा मंत्रालय भारतीय वायुसेना का विमानों के बेड़े के रखरखाव में स्वदेशीकरण पर जोर भारतीय वायु सेना विदेशी मूल के विभिन्न विमानों के बेड़ों का संचालन करती है जिनमें मिग-21बाइसन से लेकर अत्याधुनिक राफेल विमान शामिल हैं। आत्मनिर्भरता में वृद्धि के लिए भारतीय वायुसेना का ध्यान अब अपने विमानों के रखरखाव और इससे जुड़े उत्पादों की पूर्ति के स्वदेशीकरण के साथ ही विमानों के स्वदेशीकरण और इस प्रक्रिया में इस्तेमाल होने वाले पुर्जों की आपूर्ति के लिए स्वदेशी मरम्मत और ओवरहाल (आरओएच) सुविधाओं की स्थापना करने पर भी है। विमान के सामान्य प्रयोजन के पुर्जों, जैसे नट, बोल्ट, केबल, गास्केट, स्प्रिंग्स इत्यादि से लेकर जटिल उच्च प्रौद्योगिकी के पुर्जों जैसे कि एवियोनिक्स उपकरण, एरोएन्जीन एक्सेसरीज़ जैसे विभिन्न प्रकार के पुर्जों और उपकरणों के लिए भारतीय वायुसेना में स्वदेशीकरण की अपार संभावना है। विमान और प्रणालियों के रखरखाव के लिए पुर्जों का स्वदेशीकरण देश के विभिन्न भागों में स्थित भारतीय वायुसेना के बेस रिपेयर डिपो (बीआरओ) और नासिक में स्थित नंबर 1केंद्रीय स्वदेशीकरण और विनिर्माण डिपो (सीआईएमडी) के माध्यम से किया जाता है। भारतीय वायुसेना के आत्मनिर्भर भारत मिशन पर ध्यान केंद्रित करने के हिस्से के रूप में वायुसेना स्वदेशीकरण की तेजी से ट्रैकिंग करने के साथ-साथ भारतीय एयरोस्पेस और रक्षा उद्योग, विशेषकर सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) की भागीदारी के दायरे को बढ़ा रही है। इसकी ओर वायुसेना ने पहले ही लगभग 4000पुर्जों के स्वदेशीकरण आवश्यकताओं की पहचान कर ली है। स्वदेशीकरण के लिए महत्वपूर्ण आवश्यकताओं में एविएशन ग्रेड फिल्टर (ईंधन, हाइड्रोलिक और न्यूमैटिक), एयरोसाइन बियरिंग्स, हाइड्रोलिक और न्यूमैटिक हॉज, मल्टीफ़ंक्शन डिस्प्ले, एविएशन ग्रेड सर्किट ब्रेकर, लैंप फिलामेंट्स, स्पार्क प्लग आदि शामिल हैं। इस जोरदार स्वदेशीकरण अभियान में भारतीय वायुसेना के साथ हाथ मिलाने के लिए एमएसएमई सहित भारत में एयरोस्पेस और रक्षा उद्योग के भागीदारों के लिए प्रचुर अवसर उपलब्ध हैं। पुर्जों और मरम्मत से जुड़े अन्य उत्पादों के निर्माण के अलावा, भारतीय वायुसेना का ध्यान भारत में मरम्मत और ओवरहाल (आरओएच) सुविधाओं को स्थापित करने के लिए अन्य उद्योगों को भी साथ जोड़ने पर है। वायुसेना एमआरओ सुविधाओं को विकसित और प्रोत्साहित करने के अलावा, वित्तीय खजाने की भारी बचत करने को भी लक्ष्य के रूप में लेकर चल रही है जिससे मरम्मत के लिए समय सीमा कम हो और उपलब्ध संसाधनों का इस कार्य में ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल किया जा सके। स्वदेशीकरण के लिए आवश्यकताओं के प्रसार की सुविधा के लिए प्रस्ताव के लिए अनुरोध की जानकारी बीआरओ /सीआईएमडी द्वारा केंद्रीय सार्वजनिक खरीद पोर्टल के माध्यम से वायुसेना की वेबसाइट indianairforce.nic.in पर उपलब्ध है। इसके अलावा रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट srijandefence.gov.in.में उच्च गुणवत्ता पूर्व-आयात पुर्जों (यूनिट लागत> 10लाख रुपये) की 200से अधिक लाइन्स की एक सूची डाली गई है। भारतीय वायुसेना के एयरो इंडिया के दौरान हॉल सी में अपने स्टॉल के माध्यम से स्वदेशी आवश्यकताओं की मेजबानी का प्रदर्शन करेगा। स्वदेशीकरण और संबंधित प्रक्रियाओं की आवश्यकताओं को समझाने के लिए उद्योग के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करने के लिए विभिन्न बीआरओ के प्रतिनिधि स्टॉल में उपलब्ध होंगे।

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