सिर्फ पावडर लगे नोट मिलना दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त नहीं, रिश्वतखोरी के मामले में मिली राहत 

सिर्फ पावडर लगे नोट मिलना दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त नहीं, रिश्वतखोरी के मामले में मिली राहत 

Tejinder Singh
Update: 2021-02-01 12:58 GMT
सिर्फ पावडर लगे नोट मिलना दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त नहीं, रिश्वतखोरी के मामले में मिली राहत 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। आरोपी के पास से सिर्फ पावडर लगा पैसा मिलना घूसखोरी के मामले में दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त नहीं है। बांबे हाईकोर्ट ने 300 रुपए रिश्वत लेने के आरोप में दोषी पाए गए एक आरोपी की सजा को रद्द करते हुए उपरोक्त बात कही है। निचली अदालत ने आरोपी राजू काकफले को इस मामले मे एक साल के साधारण कारावास व दो हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई थी। निचली कोर्ट में चपरासी के रुप में कार्यरत आरोपी ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी। आरोपी पर मुख्य रुप से एक शख्स को अदालत के आदेश की प्रमाणित प्रति उपलब्ध कराने के एवज में घूस लेने का आरोप था। कार्रवाई के दौरान उसकी जेब से पावडर लगे नोट मिले थे। न्यायमूर्ति एस के शिंदे ने कहा कि इस मामले में घूस मांगने व स्वीकार करने को लेकर सबूतों का अभाव नजर आ रहा है। इसलिए आरोपी के पास से सिर्फ कोटेड करंसी का मिलना उसे दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त नहीं है।  

सुनवाई के दौरान आरोपी के वकील सत्यव्रत जोशी ने कहा कि मेरे मुवक्किल की ड्युटी कोर्ट रुम में थी। उनका आदेश की सर्टिफाइड प्रदान करनेवाले सेक्शन से कोई संबंध नहीं था। इसलिए यह बात ही स्पष्ट नहीं होती है कि शिकायतकर्ता आरोपी से क्यों मिला था। अभियोजन पक्ष ने मेरे मुवक्किल के घूस मांगने व स्वीकार करने के विषय में कोई ठोस सबूत नहीं पेश किया है। मेरे मुवक्किल की इस  मामले में कोई भूमिका नहीं है। क्योंकि आदेश की प्रमाणित प्रति दूसरे सेक्सन को देनी थी। 

वहीं अतिरिक्त सरकारी वकील ने इस मामले में कहा कि आरोपी व शिकायतकर्ता के बीच हुई बातचीत का एक टेप मौजूद है जो आरोपी की संलिप्तता को दर्शाने के लिए पर्याप्त है। किंतु न्यायमूर्ति ने कहा कि आरोपी ने इस टेप की प्रमाणिकता को दर्शाने वाला कोई प्रमाणपत्र नहीं पेश किया है। इसलिए साक्ष्य अधिनियम के तहत इसे सबूत के तौर पर नहीं देखा जा सकता। इसलिए घूसखोरी के मामले में सिर्फ कोटेड करंसी मिलना आरोपी को दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त नहीं है। न्यायमूर्ति ने आरोपी को राहत प्रदान करते हुए दोषी ठहराने वाले आदेश को रद्द कर दिया। 
 

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