कोयले से सल्फर हटाने के लिए जेपी नहीं गंभीर

कोयले से सल्फर हटाने के लिए जेपी नहीं गंभीर

Bhaskar Hindi
Update: 2020-06-12 09:33 GMT
गड़चिरोली में जिला खनिज निधि का नहीं हो रहा कोई उपयाेग!

डिजिटल डेस्क सिंगरौली वैढऩ । केन्द्र सरकार के निर्देशों को धता बता कर कैसे अपनी मनमानी की जाती है? इसका नमूना है, जेपी निगरी सुपर थर्मल पावर प्लांट। सिंगरौली जिले की सीमा में स्थित इस पावर प्लांट को अपनी दोनों यूनिट में कोयले से सल्फर हटाने की यूनिट एफजीडी को जून 2020 तक लगा लेनी थी लेकिन अभी तक इस दिशा में काम कागजों से बाहर नहीं आ पाया है। जेपीवीएल के प्रबंध संचालक इस दिशा में सिर्फ पत्राचार ही कर रहे हैं।
 हाल ही में जेपी निगरी के सीनियर प्रेसीडेंट ऑपरेशन एंड मेंटेनेंस विनोद शर्मा ने एमपीपीसीबी डायरेक्टर को जो पत्र लिखा है, उसमें जून 2024 तक का समय दिए जाने की मांग की है। एफजीडी के प्रति जेपी निगरी की कागजी कार्रवाई खुद यह बयां कर रही है कि वो कोयले से सल्फर हटाने के लिए गंभीर नहीं है।उल्लेखनीय है कि 20 मई 2020 को जेपी निगरी सुपर थर्मल पावर प्लांट जो जयप्रकाश पावर वेंचर्स लिमिटेड का उपक्रम है, के विनोद शर्मा ने डायरेक्टर, मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को एक पत्र लिखा। इसमें साफ-साफ कहा गया है कि हमें अपनी पहली यूनिट में 30 जून 2020तक और दूसरी यूनिट में 30 सितंबर 2020 तक एफजीडी लगाने का आदेश था। लेकिन, यह लगाना अभी संभव नहीं है और हम इस काम को क्रमश: जून 2024 और दिसंबर 2024 तक कर पायेंगे। कोयले से सल्फर अलग करने के लिए एफजीडी को केन्द्र सरकार ने सभी पावर प्लांट के लिए अनिवार्य किया है।
इसका मुख्य कारण कोयले के जलने पर सल्फर, सल्फर डाईऑक्साइड के रूप में उत्सर्जित होता है और इसका सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव हमारे श्वसन तंत्र पर पड़ता है। केन्द्र के नियमों के मददेनजर हिंडाल्को बरगवां ने अपनी 6 नंबर यूनिट पर एफजीडी लगाने का काम भी शुरू कर दिया है, मगर जेपी निगरी अभी तक कागजों में ही इस दिशा में काम कर रहा है।
एसओटू का दुष्परिणाम
सल्फर डाई ऑक्साइड उत्सर्जन का सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव मनुष्य के श्वसन सिस्टम पर पड़ता है। इससे न केवल सांस लेने में दिक्कत होती है बल्कि फेफड़ों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। अस्थमा अटैक बढ़ते हैं। हार्ट अटैक के साथ यह आपके सूंघने की क्षमता को भी बुरी तरह प्रभावित करता है।
ग्रीनपीस जारी कर चुका है रिपोर्ट-पर्यावरण संरक्षण से जुड़े एनजीओ ग्रीनपीस ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि सल्फर डाईऑक्साइड के उत्सर्जन में हमारा देश टॉप पर पहुंच गया है। उपग्रह के जरिए बनी रिपोर्ट में एसओटू उत्सर्जन के हॉटस्पॉट हमारे यहां 15 प्रतिशत बढ़े हैं। इन हॉटस्पॉट में मध्यप्रदेश का सिंगरौली, तमिलनाडू के नेवेली और चेन्नई, उड़ीसा के तालचेर और झारसुगुड़ा, छत्तीसगढ़ के कोरबा, गुजरात के कच्छ, तेलंगाना के रामागुंडम और महाराष्ट्र में चंद्रपुर और कोराडी शामिल हैं।

 

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