बीजेपी हेडक्वॉर्टर से मिटा आडवाणी का नाम, एमपी कांग्रेस ने बीजेपी को घेरा
बीजेपी हेडक्वॉर्टर से मिटा आडवाणी का नाम, एमपी कांग्रेस ने बीजेपी को घेरा
डिजिटल डेस्क, भोपाल। राजधानी भोपाल में BJP कार्यालय से वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी की लगी शिलापट्टिका समेत कई जगह से उनके नाम हटा दिए गए हैं। यह सब BJP अध्यक्ष अमित शाह के दौरे से ठीक पहले किया गया। इन सबको लेकर एमपी कांग्रेस के नेताओं ने भी BJP के क्रियाकलापों पर सवाल उठाए हैं। गौरतलब है कि वर्ष 1996 में BJP MP मुख्यालय भवन का उद्घाटन लालकृष्ण आडवाणी ने ही किया था।
MP कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता केके मिश्रा ने अमित शाह के भय से आडवाणी की लगी शिलापट्टिका हटा दिए जाने को लेकर BJP से सवाल पूछे हैं। केके मिश्रा ने पूछा है कि क्या महज राजनैतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए अपने पितृ-पुरूषों का इस तरह किया जाने वाला ऐसा घिनौना अपमान ही उसकी संस्कृति, संस्कारों और "पार्टी-विद-ए-डिफरेंस" की परिभाषा में निहित है? क्या यह वे ही आडवाणी हैं, जिन्हें सीएम शिवराज सिंह चौहान बार-बार MP में विभिन्न योजनाओं का शुभारंभ करने के लिए न केवल आमंत्रित करते थे, बल्कि उन्होंने ही आडवाणी को वर्ष 2014 में संपन्न लोकसभा निर्वाचन के दौरान भोपाल संसदीय सीट से चुनाव लड़ने का विधिवत आमंत्रण भी दिया था?
केके मिश्रा ने जानना चाहा कि जिस राजनैतिक दल ने पूरे देश में मिस्ड कॉल के आधार पर करोड़ों लोगों को फर्जी सदस्य बनाकर विश्व की सबसे बड़ी राजनैतिक पार्टी होने का दावा किया हो, उसे MP में अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष के स्वागतार्थ राजधानी भोपाल की साज-सज्जा के लिए निगम के वाहनों और कर्मचारियों का उपयोग क्यों करना पड़ा, यह सत्ता का दुरूपयोग है अथवा कार्यकर्ताविहीन पार्टी संगठन?
मिश्रा ने कहा कि विश्व की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा करने वाली भाजपाई विचारधारा की स्पष्ट बहुमत वाली सरकार MP में विगत साढ़े 13 वर्षों से काबिज है। लोकसभा अध्यक्ष, कई केंद्रीय मंत्रियों सहित लगभग 30-32 सांसद (लोकसभा-राज्यसभा), कई राष्ट्रीय पदाधिकारी काबिज है। जनसंघ की संस्थापक (अब अपमानित हो रही सिंधिया परिवार की प्रमुख) राजमाता स्व. विजयाराजे सिंधिया, भाजपा के पितृ-पुरुष स्व. कुशाभाऊ ठाकरे का सम्मानित नाम भी लिया जाता है। उस राजनैतिक दल को निगमकर्मियों से पोस्टर, बैनर आदि की सजावट करवाना पड़े, हास्यास्पद है? उन्होंने कहा कि शाह क्या ऐसे लचर संगठन के दम पर ही वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में 350+ सीटें लाने का सपना देख रहे हैं?