लोकसभा : किसानों और मछुआरों को वित्तीय सहायता, लोनार झील को भारत दर्शन योजना में शामिल करने की मांग

लोकसभा : किसानों और मछुआरों को वित्तीय सहायता, लोनार झील को भारत दर्शन योजना में शामिल करने की मांग

Tejinder Singh
Update: 2019-12-05 17:18 GMT
लोकसभा : किसानों और मछुआरों को वित्तीय सहायता, लोनार झील को भारत दर्शन योजना में शामिल करने की मांग

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। शिवसेना सांसद गजानन कीर्तिकर ने गुरुवार को लोकसभा में महाराष्ट्र के बेमौसम बारिश से प्रभावित किसानों और मछुआरों का मसला उठाते हुए सरकार से इनके लिए 50 हजार करोड़ रुपये की शीघ्र वित्तीय सहायता दिए जाने की मांग की। सदन में नियम 193 के तहत जारी चर्चा के दौरान इस मसले को उठाते हुए सांसद कीर्तिकर ने कहा कि बेमौसम बारिश से महाराष्ट्र में 93.89 लाख हेक्टेयर में खरीप और बागवानी फसल को क्षति पहुंची है। इससे 1 करोड 4 लाख किसान प्रभावित हुए है। महाराष्ट्र सरकार ने खरीप की फसल को हुए नुकसान के लिए प्रति हेक्टेयर 8 हजार रुपये और बागवानी के लिए प्रति हेक्टेयर 18 हजार रुपये की मदद घोषित की है और नुकसान की भरपाई के लिए 10 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया। लेकिन प्रत्यक्ष में 2,059 करोड 36 लाख रुपये की राशि ही दी गई। अप्रत्यक्ष रुप से यह किसानों के साथ धोखा है।
इसे ध्यान में रखते हुए सरकार से मांग है कि खेती के लिए प्रति हेक्टेयर कम से कम 20 हजार रुपये और बागवानी के लिए प्रति हेक्टेयर 30 रुपये नुकसान भरपाई दी जाए। उन्होने चर्चो को आगे बढाते हुए सदन में 7 मांगे रखी। जिनमें जमीन राजस्व में पूरी छूट दी जाए, स्कूली एव महाविद्याल के छात्रों की सभी फी माफ की जाए, फसल ऋण का पुर्नगठन करके किसानों का पूरा कर्ज माफ किया जाए, कृषि पंप के बिजली बिल में अगली फसल आने तक छूट दी जाए। उन्होने कहा कि किसानों को कम ही सही मदद घोषित की गई, लेकिन कयार और महा चक्रवाती तूफान से मछआरों को काफी नुकसान झेलना पड़ा है। चक्रवाती तूफान से मछआरों का करीब 50 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है और हर मछुआरे की नौका का लगभग 14 लाख रुपये का नुकसान हुआ है। 

लोनार झील को भारत दर्शन योजना में शामिल किया जाए-सांसद जाधव

बुलढाणा से सांसद प्रतापराव जाधव ने लोकसभा में लोनार झील के विकास का मुद्दा उठाते हुए सरकार से इसके लिए निधि जारी कराए जाने के साथ इसे भारत दर्शन कार्यक्रम में शामिल करने की मांग की। गुरुवार को शून्यकाल के दौरान इस मसले को उठाते हुए उन्होने कहा कि केन्द्र सरकार से 20 साल पहले लोनार झील को पर्यटन का ए-ग्रेड मिल चुका है, लेकिन इसके विकास के लिए केन्द्र से कोई राशि नही मिल रही है। 50 हजार साल पुरानी लोनार झील देखने के लिए देश-विदेश के पर्यटक बड़ी संख्या में आते है, लेकिन यहां आने-जाने के लिए अच्छी सड़क या रहने की अच्छी व्यवस्था नही है। लिहाजा सरकार से मांग है कि इसके विकास के लिए निधि जारी की जाए। 

जरुरतमदों को नही मिल रहा है प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ

अमरावती से सांसद नवनीत रवि राणा ने गुरुवार को लोकसभा में प्रधानमंत्री आवास योजना का उनके क्षेत्र के कई जरुरतमंद लोगों को लाभ नही मिलने की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित किया। उन्होने कहा कि आवेदन पत्रों में इतनी त्रुटियां निकाली जाती है कि जरुरतमंद ही इस योजना के लाभ से वंचित रह रहे है। शून्यकाल के दौरान इस मसले को उठाते हुए सांसद राणा ने कहा कि आज कई लोग झुग्गियों में रह रहे है वह अतिक्रमित भूमि है। चाहे वह गांव हो या शहर 20-20 सालों से वे वहां रह रहे है। हर उस व्यक्ति का सपना है कि उन्हे पक्का घर मिले। प्रधानमंत्री ने वादा किया है कि 2020 तक सबको घर देंगे, लेकिन इसके लिए इतनी त्रुटियां निकाली जाती है जैसे यदि किसी के पास स्थायी निवासी पता नही है तो उन्हे उस योजना का लाभ नही मिल पाता। सांसद राणा ने कहा कि अमरावती विभाग के तहत यवतमाल, अकोला, वाशिम, बुलढाणा आदि जिले आते है और इनकी कुल जनसंख्या लगभग डेढ़ करोड़ है, लेकिन इनमें से इस योजना के तहत केवल दो लाख लोगों को घरकुल दिया गया है। शेष जो बचे है उनके लिए इस योजना को कब तक पूरा करेंगे और कैसे करेंगे यब बड़ा सवाल है? उन्होने अपने संसदीय क्षेत्र का उदाहरण देते हुए कहा कि अमरावती महानगर पालिका में 65000 आवेदन दाखिल हुए है, लेकिन इनमें से केवल 6000 लोगों को ही घरकुल मिला है। दूसरी बात यह कि शहरों में इस योजना के लिए ढाई लाख रुपये दिए जाते है जबकि ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 1,38000 रुपये राशि दी जाती है। सरकार से मांग है कि इस योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों के लिए भी ढाई लाख रुपये ही दिए जाए।

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