दिसंबर में शुरू होगा केन-बेतवा लिंक परियोजना का काम, 6 जिलों को फायदा

मध्य प्रदेश दिसंबर में शुरू होगा केन-बेतवा लिंक परियोजना का काम, 6 जिलों को फायदा

Tejinder Singh
Update: 2021-10-01 14:46 GMT
दिसंबर में शुरू होगा केन-बेतवा लिंक परियोजना का काम, 6 जिलों को फायदा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने बुंदेलखंड क्षेत्र की महत्वाकांक्षी केन-बेतवा लिंक परियोजना को जमीन पर उतारने की कवायद तेज कर दी है। केन्द्रीय मंत्रिमंडल इस महीने के अंत तक इस महत्वपूर्ण परियोजना को हरी झंडी दिखाएगा। मंत्रिमंडल की स्वीकृति मिलने के बाद दिसंबर तक इस परियोजना का काम शुरू होने की उम्मीद है। केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने ‘दैनिक भास्कर’ का बताया कि केन-बेतवा लिंक परियोजना को लेकर सरकार काफी उत्साहित है। उन्होने कहा कि जल बंटवारे पर उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश के बीच सहमति बनाने के लिए दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री बधाई के पात्र हैं। उन्होने बताया कि केन-बेतवा लिंक परियोजना की डीपीआर तैयार हो चुका है और जरूरी पर्यावरणीय अनुमति भी मिल चुकी है। इस परियोजना में पन्ना टाइगर रिजर्व के कुछ इलाके डूब क्षेत्र में आ रहे हैं। इसे देखते हुए सरकार ने पन्ना टाइगर रिजर्व को उससे दोगुनी जमीन उपलब्ध कराएगी। केन्द्रीय मंत्री ने उम्मीद जताई कि इस महीने के अंत तक केन्द्रीय मंत्रिमंडल इस अहम परियोजना को मंजूरी दे देगा। इसके बाद इसी साल दिसंबर तक परियोजना का काम शुरू हो जाएगा। 

मप्र के 9 जिलों को होगा फायदा

इस परियोजना पर लगभग 44 हजार करोड़ रूपये खर्च होंगे। कुल लागत का 90 प्रतिशत केन्द्र सरकार वहन करेगी। बता दें कि नदियों के आपस में जोड़ने की राष्ट्रव्यापी योजना की यह पहली परियोजना है। इस परियोजना को लेकर वर्ष 2005 में मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश की सरकारों के बीच समझौता हुआ था। लेकिन परियोजना पर काम शुरू होने के पहले ही जल बंटवारे को लेकर दोनों राज्यों के बीच विवाद शुरू हो गया। आखिरकार केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री शेखावत के हस्तक्षेप के बाद इस वर्ष यह विवाद खत्म हुआ। यह परियोजना बुंदेलखंड क्षेत्र में पानी की भयंकर कमी से प्रभावित क्षेत्रों के लिए लाभकारी होगी, जिसमें मध्यप्रदेश के पन्ना, टीकमगढ़, छतरपुर, सागर, दमोह, दतिया, विदिशा, शिवपुरी और रायसेन जिले तथा उत्तरप्रदेश के बांदा, महोबा, झांसी और ललितपुर जिले शामिल हैं। परियोजना के मूर्त्त रूप लेने के बाद मध्यप्रदेश के 9 जिलों में 8 लाख 11 हजार हेक्टेयर असिंचित क्षेत्र में सिंचाई हो सकेगी। 

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