जहाज़रानी मंत्रालय ने सार्वजनिक परामर्श के लिए "तटीय नौवहन विधेयक 2020" का मसौदा जारी किया

जहाज़रानी मंत्रालय ने सार्वजनिक परामर्श के लिए "तटीय नौवहन विधेयक 2020" का मसौदा जारी किया

Aditya Upadhyaya
Update: 2020-10-30 08:04 GMT
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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पोत परिवहन मंत्रालय जहाज़रानी मंत्रालय ने सार्वजनिक परामर्श के लिए "तटीय नौवहन विधेयक - 2020" का मसौदा जारी किया। प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के व्यापक दृष्टिकोण के अनुरूप शासन व्यवस्था में लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करने और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए जहाज़रानी मंत्रालय ने हितधारकों तथा आम जनता से सुझाव आंमत्रित करने के लिए "तटीय नौवहन विधेयक-2020" का मसौदा जारी किया है। जैसाकि विदित है, देश में पोत परिवहन क्षेत्र तेज़ी से उभरते हुए विकसित हो रहा है और इसलिए तटीय नौवहन के लिए अलग से एक कानून होने की आवश्यकता भी महसूस की गई है। जिसे इस नौपरिवहन श्रृंखला का एक अभिन्न अंग माना जाता है और यह भारतीय जहाज़रानी उद्योग की मांगों को पूरा करने के लिए क्षेत्र की नीतिगत प्राथमिकताओं को संदर्भित करता है। इस विधेयक का मसौदा तैयार करते समय, सर्वोत्तम वैश्विक प्रथाओं पर भी विचार केंद्रित किया गया है। जहाज़रानी मंत्रालय ने मर्चेंट शिपिंग अधिनियम (व्यापार नौवहन अधिनियम)-1958 के भाग XIV के स्थान पर एक तटीय नौवहन विधेयक-2020 का मसौदा तैयार किया है। विधेयक के कुछ मुख्य अंश इस प्रकार से हैं:तटीय नौवहन और तटीय जल सीमा की परिभाषा का विस्तार किया गया है। · यह तटीय व्यापार के लिए भारतीय ध्वजवाहक जहाजों के लिए व्यापारिक लाइसेंस की आवश्यकता को दूर करने का प्रस्ताव है। · विधेयक तटीय जहाज़ों के नौवहन में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए भारतीय जहाज़ों को प्रोत्साहित करते हुए एक प्रतिस्पर्धी माहौल बनाने और परिवहन लागत को कम करने का प्रयास करता है। · इस विधेयक में अंतर्देशीय जलमार्ग के साथ तटीय समुद्री परिवहन के एकीकरण का भी प्रस्ताव है। विधेयक में राष्ट्रीय तटीय और अंतर्देशीय नौवहन सामरिक योजना के लिए भी एक प्रावधान है। विधेयक का मसौदा जहाज़रानी मंत्रालय की वेबसाइट पर अपलोड किया गया है। विधेयक के मसौदे के बारे में नागरिक अपने सुझाव और राय को 6 नवंबर 2020 तक costalshipping2020@gmail.com पर प्रस्तुत कर सकते हैं।

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