तीन तलाक के अध्यादेश को मुस्लिम महिला ने दी HC में चुनौती, 19 जनवरी को सुनवाई

तीन तलाक के अध्यादेश को मुस्लिम महिला ने दी HC में चुनौती, 19 जनवरी को सुनवाई

Bhaskar Hindi
Update: 2018-12-17 15:29 GMT
तीन तलाक के अध्यादेश को मुस्लिम महिला ने दी HC में चुनौती, 19 जनवरी को सुनवाई

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। हाईकोर्ट में भोपाल की एक मुस्लिम महिला शिक्षक ने तीन तलाक के अध्यादेश को चुनौती है। चीफ जस्टिस एसके सेठ और जस्टिस विजय शुक्ला की युगल पीठ ने सभी पक्षों को तैयारी करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है। मामले की अगली सुनवाई 19 जनवरी को नियत की गई है। शिक्षिका समरीन जीशान ने कहा है कि तीन साल की सजा का प्रावधान रखा गया है। उनका कहना है कि महिलाएं इसका दुरूपयोग करेंगी और पति को जेल जाना पड़ेगा। इसमें जमानत भी नहीं है, जिसके कारण पति अपना पक्ष नहीं रख सकेगा।

तीन साल की सजा का प्रावधान
भोपाल के बुधवार क्षेत्र में रहने वाली शिक्षिका समरीन जीशान सिद्दीकी की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि केन्द्र सरकार ने 19 सितंबर 2018 को अध्यादेश जारी कर तीन तलाक को दंडनीय अपराध बना दिया है। याचिका में कहा गया है कि अध्यादेश में तीन तलाक देने वाले पति को तीन साल की सजा का प्रावधान किया गया है।

होगा दुरूपयोग
इस अपराध में गिरफ्तार पति को जमानत भी नहीं मिल सकती है। याचिका में कहा गया है कि यदि पत्नी तीन तलाक की झूठी शिकायत करती है तो पति तत्काल जेल चला जाएगा। उसकी जमानत भी नहीं हो सकेगी। अध्यादेश में कड़े प्रावधान होने की वजह से महिलाएं इसका दुरूपयोग करेंगी। पति को अपना पक्ष रखने का मौका भी नहीं मिलेगा। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अमित खत्री ने तर्क दिया कि तीन तलाक अध्यादेश की फिर से समीक्षा की जाए, ताकि इस अध्यादेश का दुरूपयोग नहीं हो पाए।

मामले की अगली सुनवाई 19 को
इस मामले में केन्द्रीय कानून मंत्रालय, राज्य शासन और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को पक्षकार बनाया गया है। सुनवाई के बाद युगल पीठ ने सभी पक्षों को तैयारी के लिए चार सप्ताह का समय दिया है। मामले की अगली सुनवाई 19 जनवरी को नियत की गई है।

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