मंत्रियों व अफसरों को नया फरमान-विधानसभा में आश्वासन देने से बचें

मंत्रियों व अफसरों को नया फरमान-विधानसभा में आश्वासन देने से बचें

Bhaskar Hindi
Update: 2018-04-15 07:52 GMT
मंत्रियों व अफसरों को नया फरमान-विधानसभा में आश्वासन देने से बचें

डिजिटल डेस्क, भोपाल। प्रदेश की शिवराज सरकार ने मंत्रियों एवं उनके विभागों के अफसरों को नया फरमान जारी किया है जिसमें कहा गया है कि वे विधानसभा में प्रश्नों या चर्चा के जवाब में आश्वासन देने से बचें। संसदीय कार्य विभाग की प्रमुख सचिव वीरा राणा की ओर से सभी विभागों के अपर मुख्य सचिवों/प्रमुख सचिवों/सचिवों को भेजे गये इस नए फरमान में कहा गया है कि विभागीय अधिकारी प्रश्नों के उत्तरों की संरचना, प्रश्नों की अन्तर्वस्तुत की गहराई से विवेचना करें तो आश्वासनों की व्यापक संख्या में काफी कमी आ सकती है। मंत्रियों को प्रत्येक विषय पर आश्वासन देने में बड़ी सतर्कता बरतना होती है। यदि किसी विषय पर आश्वासन दे दिया जाता है तो यथाशीघ्र उसका परिपालन भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए। इसलिए अपेक्षा है कि ऐसे ही मामलों में आश्वासन दिए जाएं जिनकी पूर्ति की जाना संभव हो। वीरा राणा ने फरमान में समझाया है कि विधानसभा को भेजे जाने वाले उत्तर या जानकारी को तैयार करते समय 34 प्रकार की शब्दावली से बचें जिससे अनावश्यक आश्वासन नहीं बनेंगे।

इन शब्दावलियों से बचना होगा 
वीरा राणा ने 34 प्रकार की शब्दावलियां बताई हैं जिनसे बचने के लिये कहा गया है। इनमें शामिल हैं : यह विषय विचारणीय है। मैं उनकी छानबीन करुंगा। पूछताछ की जा रही है। इसका संबंध मुख्यत: केंन्द्र सरकार से है किन्तु मैं इसकी छानबीन करुंगा। मैं केंद्र सरकार को लिखूंगा। मैं सदन को आश्वासन देता हूं कि माननीय सदस्यों द्वारा दिए गये सब सुझावों पर सावधानी से विचार किया जाएगा। मैं अपने दौरे के समय मौके पर जाकर स्थिति का अध्ययन करुंगा। मैं इस पर विचर करुंगा। मैं केंद्र सरकार को सुझाव दूंगा। मैं देखूंगा कि इस संबंध में क्या किया जा सकता है। इस विषय पर कने के पूर्व इसकी छानबीन करुंगा। सुझाव पर विचार किया जाएगा। रियायतें दे दी जाएंगी। विधिवत कार्यवाही की जाएगी। इस संबंध में फैसला शीघ्र ही लिया लायेगा। आदेश शीघ्र ही पारित किए जाएंगे।


प्रारंभिक जांच करवा ली जाएगी। यह कार्य निकट भविष्य में समज्ञपत हो जाएगा। आवश्यक अनुसंधान किया जाएगा। इन जरुरतों को शीघ्र पूरा किया जाएगा। सरकार इस संबंध में बातचीत करेगी। नियम बनाते समय दिए गये सुझावों का ध्यान रखा जाएगा। हम इस विषय को एक संकल्प के रुप में रखेंगे। सरकार से इस विषय पर पत्र व्यवहार किया जाएगा। मैं सरकार का ध्यान इस ओर आकर्षित करुंगा और मुझे विश्वास है कि वह उपयुक्त कदम उठायेगी। अंतिम रुप से तैयार हो जाने पर प्रतिवेदन की प्रति के पुस्तकालाय में रख दी जाएगी। मैं समझता हूं कि यह किया जा सकता है। यदि माननीय सदस्य का अभिकथन सत्य हो तो नि:संदेह मैं इस विषय में छानबीन करवा लूंगा। हमें इसका पता लगाना होगा। यह सुझाव कार्यवाही करने के बो में है, इस पर विचार किया जाएगा। जानकारी एकत्रित की जा रही है और वह सदन के पटल पर रख दी जाएगी। बजट पर चर्चा के दौरान विभिन्न सदस्यों द्वारा उठाये गये प्रश्नों पर विचार किया जाएगा और प्रत्येक सदस्य के पास परिणाम की सूचना दे दी जाएगी। अध्यक्ष, उपाध्यक्ष या समिति द्वारा निर्देश देने पर कार्यवही की जाएगी। ऐसे सब विशिष्ट मुद्दे जिन पर जानकारी मांगी गई हो और देने का वचन दिया जाए।

आश्वासन शाखा विधानसभा सचिवालय के अपर सचिव बीडी सिंह का कहना है, "विधानसभा में इस समय करीब ढाई हजार आश्वासन लंबित हैं। विधायिक अपना काम करती है और कार्यपालिका अपना। पता नहीं संसदीय कार्य विभाग ने ऐसा क्यों लिख दिया। विधानसभा में जनहित के मुद्दे आते हैं जिनमें मंत्रीगण आश्वासन देते हैं।"

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