पिछले कई साल से नागपुर की इस तहसील में नहीं खुली नई राशन दुकान

पिछले कई साल से नागपुर की इस तहसील में नहीं खुली नई राशन दुकान

Tejinder Singh
Update: 2021-06-13 10:58 GMT
पिछले कई साल से नागपुर की इस तहसील में नहीं खुली नई राशन दुकान

डिजिटल डेस्क, नागपुर। लगभग ढाई लाख की आबादी वाले कामठी तहसील के नागरिकों को सरकारी अनाज देने के लिए शहर में 33 और ग्रामीण क्षेत्र में 73 राशन दुकानें हैं। लॉकडाउन के चलते इन राशन दुकानों का महत्व पहले की अपेक्षा अधिक बढ़ गया है। तहसील में कुछ दुकानें ऐसी हैं जहां 2 से 3 हजार तक विविध योजनाओं के कार्डधारक हैं। इसका एक उदाहरण कामठी शहर से लगे येरखेड़ा ग्राम पंचायत में संचालित सर्वोदय संस्था की राशन दुकान है।जानकारी के अनुसार लगभग 40 से 50 वर्ष पूर्व तत्कालीन जनसंख्या को देखते हुए राशन दुकान आवंटित की गई थी। अब यह जनसंख्या बढ़कर चौगुनी हो गई है। येरखेड़ा ग्राम पंचायत का उदाहरण लें तो यह नाम के लिए ग्राम पंचायत है, लेकिन यहां की जनसंख्या 38 से 40 हजार के आसपास है। इस ग्राम पंचायत में एक ही सर्वोदय नामक संस्था है। इस दुकान में कार्डधारक ज्यादा होने से कुछ वर्ष पूर्व सर्वोदय संस्था ने दूसरी दुकान खोली। येरखेड़ा स्थित सर्वोदय संस्था की पहली दुकान में वर्तमान समय में 1 हजार 867 तथा रविदास नगर में कुछ वर्ष पहले सर्वोदय संस्था की दूसरी दुकान खोली गई। उसमें 1 हजार 976 विविध योजना के राशनकार्ड धारक हैं। दोनों दुकान मिलाकर 3 हजार 843 कार्डधारक हैं। जब दुकानों में राशन का अनाज आता है तो कार्डधारक ज्यादा होने से जरूरतमंद जनता एक साथ अनाज लेने दुकान पहुंचने पर कोरोना के नियमों का पालन नहीं हो पाता है।

इस ओर स्थानीय प्रशासन द्वारा नजरअंदाज करना येरखेड़ा ग्राम पंचायत में कोरोना के चलते संक्रमण बढ़ा है। येरखेड़ा ग्राम पंचायत में कुछ परिवार ऐसे हैं, जिनके पूर्वजों के जमाने से यह व्यवसाय चलाते आ रहे हैं। हालांकि समय के साथ जनसंख्या बढ़ने से राशन दुकानों की संख्या को बढ़ाना चाहिए। विशेषकर कोरोना के चलते अनदेखी करना कहां तक उचित है। इसका जवाब संबंधित विभाग नहीं दे पा रहे हैं।

अन्न आपूर्ति विभाग कामठी तहसील कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार तहसील में 106 दुकानें हैं। जिसमें कुछ राशन दुकानों में हजारों से अधिक विविध योजना के राशनकार्ड धारक हैं। लॉकडाउन के चलते काम धंधे बंद होने से राज्य व केंद्र सरकार द्वारा जनता को सहायता के तौर पर मुफ्त में इन राशन दुकानों द्वारा अनाज उपलब्ध कराया जा रहा है। कोरोना के चलते शासन बार-बार हिदायत देते रहा है कि, नागरिकों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना चाहिए, लेकिन कुछ दुकानों को छोड़ जिन राशन दुकानों में बड़ी मात्रा में राशनकार्ड धारक हैं। ऐसी दुकानों में सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाते देखी गई। जिन दुकानों में कोरोना नियमों का पालन नहीं किया गया उन्होंने कोरोना के दिशा-निर्देशों की पूरी तरह से अनदेखी की। जिनके कार्ड ऑनलाइन नहीं हुए उन्हें नहीं मिला अनाज : जिसका प्रमुख कारण महीने के कुछ दिनों में निश्चित समय में अनाज वितरण करना प्रमुख कारण रहा। यदि कोई कार्डधारक निर्धारित समय से बाहर आया तो उसे राशन से वंचित रहना पड़ा। तहसील में कई कार्डधारक अनाज लेने से वंचित रहे। जिनका राशनकार्ड ऑनलाइन प्रक्रिया में ज्वाइंट नहीं हुआ है। उन्हें आरसीआईडी नंबर नहीं मिलने से राशन नहीं मिल पाया। 

1970-80 के दशक में वितरित की थीं दुकानें

संदीप शिंदे, तहसील आपूर्ति अधिकारी के मुताबिक यह अनाज दुकानें 1970-80 के दशक में वितरित की गई थी। जहां तक येरखेड़ा ग्राम पंचायत में सरकार द्वारा चलाई जाने वाली सर्वोदय संस्था की अनाज दुकान अरुण गवते नामक व्यक्ति चला रहा है। वर्षों से दुकानदार के पूर्वजों के समय से यह दुकान एक ही परिवार चला रहा है। नई दुकान को अनुमति देना यह मेरे अधिकार में नहीं है, जबकि मुझे तहसील के कुछ राशनकार्ड धारक बढ़ने की जानकारी है। फिर भी कोरोना के चलते दुकानदार ने सरकार के दिशा निर्देशों का पालन करना चाहिए। लाकडाउन के चलते रविदास नगर की दुकान लोगों की शिकायत मिलने पर बंद कर दी गई थी। बाद में दुकानदार को हिदायत देकर शुरू की गई है।

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