चूल्हों पर पक रहा पोषक आहार, महिलाओं को धुंआमुक्त करना दूर का सपना

चूल्हों पर पक रहा पोषक आहार, महिलाओं को धुंआमुक्त करना दूर का सपना

Anita Peddulwar
Update: 2019-09-21 10:02 GMT
चूल्हों पर पक रहा पोषक आहार, महिलाओं को धुंआमुक्त करना दूर का सपना

डिजिटल डेस्क,गोंदिया। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत सरकार महिलाओं को धुंआमुक्त करने के लिए नि:शुल्क तौर पर  गैस कनेक्शन दे रही है। ताकि महिला  एवं बच्चों को धुंए से मुक्ति मिले, किंतु शासन के ही सरकारी स्कूलों में लकड़ियां जलाकर चूल्हों पर शालेय पोषण आहार, धुंए में पकाया जा रहा है। इस धुंए से, भोजन पकाने वाली महिलाएं एवं विद्यार्थी तथा शिक्षकों के स्वास्थ्य पर विपरित परिणाम होने की आशंका को नकारा नहीं जा सकता। जिससे सवाल निर्माण हो गया है कि धुआं मुक्त भारत का सपना कैसे होगा पूरा। 

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना, गरीब परिवार की महिलाओं को धुंए से मुक्ति दिलाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा 1 मई 2016  को शुरू की गई है। इस योजना के तहत महिलाओं को मुफ्त में एलपीजी गैस कनेक्शन दिया जा रहा है। इस योजना से, धुएं के दुष्प्रभाव से मुक्ति मिलेगी। बच्चों के स्वास्थ्य की समस्या कम होकर अशुद्ध ईंधन के प्रयोग करने से होने वाला प्रदूषण कम होगा। जंगलों की कटाई कम होगी। वहीं महिलाओं के स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं पर नियंत्रण पाया जाएगा। इस योजना का लाभ एलपीजी गैस कनेक्शन से वंचित सभी महिलाओं को दिया जा रहा है, ताकि भारत धुंआ मुक्त हो जाए। जबकि हकीकत कुछ और ही दिखाई दे रही है। सरकारी स्कूलों में ही लकड़ियां जलाकर चूल्हों पर शालेय पोषण आहार धुंए में पकाया जा रहा है। जिससे विद्यार्थियों के स्वास्थ्य पर खतरा निर्माण हो गया है। जिला परिषद शिक्षा विभाग की ओर से जानकारी प्राप्त हुई है कि जिला परिषद व मान्यता प्राप्त 1345  शालाओं में शालेय पोषण आहार पकाया जा रहा है। प्रतिदिन 1 लाख 13  हजार विद्यार्थियों को पोषण आहार परोसा जाता है। किंतु यह आहार लकड़ियां जलाकर चूल्हों पर धुंए में पकाया जा रहा है। इससे अनुमान लगाया जा रहा है कि भारत कैसा धुंआ मुक्त होगा? यदि भारत को धुंआ मुक्त करना हो तो इस उज्ज्वला योजना का लाभ भी शालेय पोषण आहार पकाने वाली सभी शालाओं को एलपीजी कनेक्शन दिया जाए, तभी योजना का उद्देश्य पूरा हो सकेगा।  

कुल्हाड़ी बंदी गांवों में भी जल रही लकड़ियां 

जिले में सैंकड़ों की संख्या में कुल्हाड़ीबंदी ग्राम घोषित किए गए है। इसका अर्थ यह होता है कि इन ग्रामों में जंगलों से लकडिय़ां काटी नहीं जाती। सभी परिवार एलपीजी गैस पर भोजन पकाते हैं। किंतु इन कुल्हाड़ीबंदी ग्रामों की सरकारी स्कूलों में ही लकड़ियां जलाकर शालेय पोषण आहार पकाया जा रहा है।

नहीं मिलता फंड

शालेय पोषण आहार पकाने के लिए शासन की ओर से ऐसे कोई निर्देश नहीं है कि एलपीजी गैस कनेक्शन लिया जाए। जनसहयोग के माध्यम से ही  एलपीजी कनेक्शन ले सकते है। शासन की ओर से एलपीजी कनेक्शन के लिए ऐसा अलग से कोई फंड उपलब्ध नहीं है। चूल्हे पर ही शालेय पोषण आहार पकाया जा रहा है। 
जयप्रकाश जिभकाटे, प्रभारी पोषण आहार अधीक्षक, जिप गोंदिया

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