एसएसटी की मदद से पडवेडू में लहलहा रही धान की फसल, भूजल स्तर में हुई वृद्धि

किसानों के चेहरे खिले एसएसटी की मदद से पडवेडू में लहलहा रही धान की फसल, भूजल स्तर में हुई वृद्धि

Tejinder Singh
Update: 2022-06-07 16:41 GMT
एसएसटी की मदद से पडवेडू में लहलहा रही धान की फसल, भूजल स्तर में हुई वृद्धि

डिजिटल डेस्क, वेल्लोर (तमिलनाडु), अजीत कुमार। थिरुवनामलाई जिले के कई गांवों में अब धान की फसल साल भर बोई और काटी जा रही है। पहले इस इलाके में सिंचाई के लिये संसाधन की कमी और घटते भूजल स्तर की वजह से एक फसल भी काटनी मुश्किल होती थी, लेकिन अब यहाँ के किसान  साल में धान की तीन-तीन फसल उगा रहे हैं। इसके साथ ही केले की खेती भी खूब कर रहे हैं। पडवेडू ग्राम पंचायत के पुदुर गांव  के किसान पी. सुब्रमण्यम और सिद्धार्थन ने बताया कि इस इलाके में हरियाली और खेती की नई तकनीक का श्रेय श्रीनिवासन सर्विसेज ट्रस्ट (एसएसटी) को जाता है। सुब्रह्मण्यम ने बताया कि गांव के लोग अपनी समस्या लेकर  एसएसटी के फील्ड डायरेक्टर त्याग राजन के पास गए। नतीजतन आसपास के गांवों के तालाबों के जीर्णोद्धार का काम शुरू हुआ। इस संबंध में त्याग राजन ने बताया कि ग्रामीणों की समस्या सुनकर एसएसटी ने पुदुर गांव के तालाब से सिल्ट (गाद)  हटाने की योजना बनाई और उसको पूरा किया, जिसके बाद बरसात के पानी का भंडारण शुरू हुआ। अब सालभर सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध होने लगा और पुदुर गांव में भूजल स्तर 700 फीट से कम होकर 15 से 20 फ़ीट आ गया।

5,300 आबादी हो रही लाभान्वित 

त्यागराजन ने आगे बताया कि पुदुर गांव के अलावा अनंतपुरम और पडवेडू ग्राम पंचायत के 9 गांवों के 17 तालाबों से सिल्ट हटाने का काम एसएसटी ने स्थानीय ग्राम पंचायतों की मदद से पूरा किया। इसके साथ ही ताम्रई (कमल) सिंचाई तालाब से भी सिल्ट हटाने के अलावा इस तालाब में बरसात के पानी के भंडारण के चैनल (रास्ते) भी तैयार किए गए। एसएसटी के इस कार्य से दो ग्राम पंचायतों के 9 गांवों की 5,300 आबादी लाभान्वित हुई। 1,332 एकड़ कृषि भूमि को सिंचाई के लिए वर्ष भर पानी उपलब्ध होने लगा।

तैयार किया 5,050 हेक्टेयर वनक्षेत्र 

त्यागराजन ने बताया कि पौलुर और पश्चिम अरनी ब्लॉक में काफी बंजर भूमि थी। एसएसटी ने वन विभाग के सहयोग से इस क्षेत्र में पौधरोपण का काम करने का बीड़ा उठाया। वर्ष 1997 से वर्ष 2008 के दौरान इस इलाके को वनक्षेत्र में तब्दील कर हरियाली लाई गई। एसएसटी फील्ड डायरेक्टर ने बताया कि यह पहाड़ी इलाका है। गर्मियों के दिन में यहां अक्सर ही आग लगने की घटनाएं होती थी। इसके मद्देनजर एसएसटी ने दो पौधों के बीच मे एक निश्चित दूरी रखी। आग रोकने के लिये स्थानीय नागरिकों की मदद से निगरानी दल तैयार किया, ताकि यह दल वनक्षेत्र में आग की घटनाओं को रोकने के लिये पहरेदारी करता रहे। 

महाराष्ट्र सहित 5 राज्यों में काम कर रहा एसएसटी

सामाजिक कार्य के मकसद से एसएसटी की शुरुआत वर्ष 1996 में हुई और यह  ट्रस्ट तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र और हिमाचल प्रदेश में काम कर रहा है।

Tags:    

Similar News