श्रावणी एकादशी पर मुस्लिमों ने दिया एकता का परिचय, नहीं दी गई कुर्बानी

श्रावणी एकादशी पर मुस्लिमों ने दिया एकता का परिचय, नहीं दी गई कुर्बानी

Bhaskar Hindi
Update: 2018-08-22 11:34 GMT
श्रावणी एकादशी पर मुस्लिमों ने दिया एकता का परिचय, नहीं दी गई कुर्बानी

डिजिटल डेस्क, पंढरपुर। इस्लाम धर्म में हर साल दो बड़े त्योहार मनाए जाते हैं। पहला ईद-उल-फितर जिसे मीठी ईद कहा जाता है। दूसरी ईद-अल-अज़हा जिसे बकरीद कहा जाता है। ये त्योहार हिजरी महीनों के आखिरी महीने ‘ज़ु-अल-हज्जा’ में मनाया जाता है। बकरीद को कुरबानी के लिए जाना जाता है। इस दिन बकरे की कुरबानी देने की प्रथा है। इस कुर्बानी के बाद बकरे के गोश्त को तीन हिस्सों में बांटा जाता है। ये सिलसिा लगातार 20 दिनों तक चलता है। लेकिन आज बकरद के मौके पर महाराष्ट्र के पंढरपुर में मुस्लिम समुदायों के द्वारा बकरे की कुर्बानी नहीं दी गई। ऐसा इसलिए क्योंकि आज बकरीद के साथ ही श्रावण मास की एकादशी भी है। 

मुस्लिमों ने दिया हिन्दू मुस्लिम एकता का परिचय 
ईद-उल-अजहा (बकरीद) आज पूरे देश में मनाई जा रही है, लेकिन पंढरपुर के मुस्लिमों ने हिन्दू-मुस्लिम एकता का परिचय देते हुए आज के खास मौके पर कुर्बानी देने से इंकार कर दिया। इसकी वजह थी बकरीद के दिन श्रावणी एकादशी। जिसके कारण कुर्बानी नहीं देने का निर्णय लिया गया। बता दें कि पंढरपुर में श्रावणी एकादशी के लिए लगभग साढ़े तीन लाख से अधिक श्रद्धालु विटठ्ल-रुक्मणी के दर्शन के लिए पहुंचे हैं। विट्‌ठल-रुक्मणी की इस भूमि पर एकादशी के दिन कुर्बानी न देने का निर्णय मुस्लिमों ने एक बैठक में लिया। 

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