रासायनिक खाद के पैकेट पर जहर लिखा होना चाहिए - आचार्य बालकृष्ण

सलाह रासायनिक खाद के पैकेट पर जहर लिखा होना चाहिए - आचार्य बालकृष्ण

Tejinder Singh
Update: 2022-08-03 16:21 GMT
रासायनिक खाद के पैकेट पर जहर लिखा होना चाहिए - आचार्य बालकृष्ण

डिजिटल डेस्क, अजीत कुमार, हरिद्वार। पतंजलि आयुर्वेद के सीईओ आचार्य बालकृष्ण जैविक खेती और आयुर्वेद के इस्तेमाल से होने वाले फायदे पर खूब जोर देते हैं। उनका कहना है कि  रासायनिक खाद एक जहर है। कंपनियों को इसके पैकेट पर "दवा" की जगह "जहर" लिखना चाहिए। इन विषयों पर उन्होंने हमारे दिल्ली प्रतिनिधि अजीत कुमार से लंबी बातचीत की। प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश 

प्रश्न : पतंजलि योगपीठ ने नव हरित क्रांति की शुरूआत की है। यह नव हरित क्रांति क्या है और इससे किसानों को कितना फायदा होने वाला है?
उत्तर : जैविक खेती को लेकर हमने एक नव हरित क्रांति लाई है। हमलोगों ने इस पर काफी डेटा इकट्‌ठा किया है। इस पर खूब डिजिटल काम किया है। नव हरित क्रांति प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कृषि विजन का मॉडल डॉक्यूमेंटेशन है। भारतवर्ष में कृषि को लेकर यह एक संपूर्ण समाधान है। नव हरित क्रांति इसी का एक मॉडल है

प्रश्न : नव हरित क्रांति को लेकर राज्यों से कुछ बात हुई है? कौन-कौन से राज्य इस पर काम कर रहे हैं?
उत्तर : नव हरित क्रांति पर हम केन्द्र से लेकर राज्य सरकारों तक से बात कर रहे हैं। मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, पंजाब, उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों से बात हुई है। कुछ राज्यों में यह पायलट प्रोजेक्ट के रूप में काम शुरू भी हो चुका है

प्रश्न : दुनिया में नव हरित क्रांति को लेकर क्या धारणा है? 
उत्तर : भारत में नव हरित क्रांति की सफलता को देखकर दुनिया के कई देशों ने आगे आकर पतंजलि से संपर्क साधा है। यह अलग बात है कि पतंजलि ने दूसरे देशों को नव हरित क्रांति के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है

प्रश्न : महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में नव हरित क्रांति को लेकर क्या कार्य हो रहे हैं?
उत्तर : महाराष्ट्र में बड़ा काम करना है। नागपुर में हमारा एक प्लांट पूरा होने की स्थिति में है। वहां संतरे के लिए काफी कम करना है। हालांकि कुछ तकनीकी अड़चनों की वजह से यहां काम में देरी हुई है। लेकिन अब ये अड़चनें दूर हो रही हैं। म ध्यप्रदेश में नव हरित क्रांति को लेकर काफी कार्य हुआ है। राज्य के मुरैना जिले में इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चलाया गया, जो शत प्रतिशत सफल रहा। प्रदेश सरकार भी नव हरित क्रांति को लेकर काफी उत्साहित है।

प्रश्न : रासायनिक कीटनाशकों से किसानों को काफी नुकसान होता है। क्या इस पर प्रतिबंध लगना चाहिए?
उत्तर : रासायनिक कीटनाशक समय की मांग थी। इसलिए इसके इस्तेमाल को लेकर किसानों को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। इसे पूरी तरह प्रतिबंधित कर पाना तो एक बार में संभव नहीं है। धीरे-धीरे इसके इस्तेमाल पर रोक लगानी चाहिए। रासायनिक कीटनाशाक एक जहर है, इसलिए इसके पैकेट पर सावधानी के रूप में दवा की जगह जहर लिखा होना चाहिए, जैसा कि सिगरेट के पैकेटों पर लिखा होता है। प्रतिबंधित रासायनिक कीटनाशकों पर तो पूरी तरह रोक लगनी चाहिए

प्रश्न : "वर्ल्ड हर्बल इनसाइक्लोपीडिया" एक वृहद् संग्रह है। इसे तैयार करने में आपको किस तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा?
उत्तर : वर्ल्ड हर्बल इनसाइक्लोपीडिया एक ही स्थान पर सभी औषधीय पौधों और उनके व्यापक उपयोग के बिखरे हुए ज्ञान को इकठ्ठा करने का एक प्रयास है। यह 109 वोल्यूम में तैयार किया गया है। 51 वोल्यूम का प्रकाशन हो चुका है। वर्ष 2016 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने डमी के रूप में इसके पहले वोल्यूम का लोकार्पण किया था। अभी 58 वोल्यूम पर काम जारी है, जो अगले साल 5 जनवरी तक पूरा हो जाएगा। ऐसी पुस्तक तैयार करने में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी अपने हाथ खड़े कर दिए थे। 2008 से इस लक्ष्य पर हमने काम करना शुरू किया। बीच में कई बार लगा कि यह मुमकिन नहीं है। लेकिन स्वामी रामदेव के सहयोग से इसे पूरा किया जा सका।

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