अब निजी संस्था करेगी MP के सरकारी देवस्थानों का जीर्णोध्दार

अब निजी संस्था करेगी MP के सरकारी देवस्थानों का जीर्णोध्दार

Bhaskar Hindi
Update: 2017-10-08 06:43 GMT
अब निजी संस्था करेगी MP के सरकारी देवस्थानों का जीर्णोध्दार

डिजिटल डेस्क,भोपाल। प्रदेश सरकार के स्वामित्व वाले विरासती एवं अन्य देव स्थानों के जीर्णोध्दार का काम अब लोक निर्माण विभाग की जगह निजी संस्था इंडियन नेशनल ट्रस्ट फार आर्ट एंड कल्चर हेरिटेज यानी इंटेक करेगी। पहली बार शिवराज सरकार ने ऐसा प्रावधान किया है।

गौरतलब है कि शासकीय विरासती एवं देवस्थानों के जीर्णोध्दार का काम राज्य का धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग कराता है तथा वह यह काम लोक निर्माण विभाग के माध्यम से कराता था। लोक निर्माण विभाग भी यह काम टेंडर जारी कर ठेकेदारों के माध्यम से पूरा कराता था, लेकिन पाया गया कि विरासती एवं देवस्थानों के जीर्णोध्दार में हेरिटेज का ध्यान नहीं रखा जाता था। ये पुरातात्विक स्थल जिस स्वरुप के होते थे उसी स्वरुप में उनका जीर्णोध्दार करने में लोक निर्माण विभाग विशेषज्ञ नहीं है। 

27 जनवरी 1984 को नई दिल्ली में रजिस्टर्ड सोसायटी के रुप में बनी इंटेक संस्था के पास यह माहरत है कि वह विरासती स्थलों का उनके मूल स्वरुप में जीर्णोध्दार करती है। इस संस्था ने वर्ष 1991 में उज्जैन हेरिटेज जोन का कन्जरवेशन प्लान तैयार किया था तथा देशभर में अनेक विरासती स्थलों का जीर्णोध्दार किया है।प्रदेश के विरासती स्थलों के जीर्णोध्दार का काम इन्टेक संस्था को देने के लिए राज्य सरकार ने प्रावधान किया है कि धर्मस्व विभाग को लोक निर्माण विभाग के माध्यम से कोई टेंडर नहीं निकलाना होगा तथा सीधे इंटेक संस्था को जीर्णोध्दार का काम दे दिया जाएगा। इसके लिए इंटेक को लोक निर्माण विभाग को 9 प्रतिशत पर्यवेक्षण शुल्क का भुगतान करना होगा। जल्द ही इंटेक के साथ मप्र सरकार MoU साइन करेगी तथा इसके बाद जिस विरासती स्थल का जीर्णोध्दार किया जाना है उसका इंटेक से प्राक्कलन तैयार कराया जाएगा तथा इसके बाद धर्मस्व विभाग उसे स्वीकृति देगा। जीर्णोध्दार का काम इंटेक ही करेगा।

रिटायर्ड IAS एवं कन्वीनर इंटेक,मदन मोहन उपाध्याय का कहना है कि इंटेक ने भोपाल के गौहर महल का तथा ग्वालियर के विक्टोरिया मार्केट का जीर्णोध्दार किया है। हाल के सिंहस्थ में भी उसने कार्य किए हैं। विरासती स्थलों के जीर्णोध्दार में इंटेक की विशेषज्ञता है। 

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