कमरे के तापमान पर काम करने वाले नैनोरोड आधारित ऑक्सीजन सेंसर भूमिगत खदानों, अधिक ऊंचाई वाले स्थानों में लोगों की जान बचा सकते हैं!

कमरे के तापमान पर काम करने वाले नैनोरोड आधारित ऑक्सीजन सेंसर भूमिगत खदानों, अधिक ऊंचाई वाले स्थानों में लोगों की जान बचा सकते हैं!

Aditya Upadhyaya
Update: 2021-06-04 09:09 GMT
कमरे के तापमान पर काम करने वाले नैनोरोड आधारित ऑक्सीजन सेंसर भूमिगत खदानों, अधिक ऊंचाई वाले स्थानों में लोगों की जान बचा सकते हैं!

डिजिटल डेस्क | विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय कमरे के तापमान पर काम करने वाले नैनोरोड आधारित ऑक्सीजन सेंसर भूमिगत खदानों, अधिक ऊंचाई वाले स्थानों में लोगों की जान बचा सकते हैं| भारतीय वैज्ञानिकों ने एक नैनोरोड्स-आधारित ऑक्सीजन सेंसर विकसित किया है जो अल्ट्रा वायलेट (यूवी) विकिरण की सहायता से सामान्य (कमरे के) तापमान पर काम करता है और भूमिगतखदानों/ खानों, अत्यधिक ऊंचे ऊंचाई वाले स्थानों, हवाई जहाज और अनुसंधान प्रयोगशालाओं जैसे स्थानों में ऑक्सीजन गैस की सांद्रता का पता लगा सकता है। बहुत कम पीपीएम-स्तर में ऑक्सीजन (O2) सांद्रता की निगरानी सबसे महत्वपूर्ण है, और कमरे के तापमान पर काम करने वाला एक तेज़ और चयनात्मक ऑक्सीजन सेंसर भूमिगत खदानों, उच्च ऊंचाई जैसी जगहों पर लोगों की जान बचा सकता है और अनुसंधान प्रयोगशालाओं में किए जा रहे कई प्रयोगों की सटीकता में सुधार कर सकता है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के तहत एक स्वायत्त अनुसंधान संस्थान, सेंटर फॉर नैनो एंड सॉफ्ट मैटर साइंसेज (सीईएनएस) के वैज्ञानिक डॉ. एस. अंगप्पन के नेतृत्व में वैज्ञानिकों की एक टीम ने मेटल ऑक्साइड सेमीकंडक्टर (एमओएस) का निर्माण किया है। नैनोरोड्स एरे (सरणी)-आधारित ऑक्सीजन यह सेंसर यूवी विकिरण की सहायता से कमरे के तापमान पर काम करता है और ऑक्सीजन गैस की सांद्रता की व्यापक पीपीएम रेंज का पता लगा सकता है। डॉ. एस. अंगप्पन के नेतृत्व में हिरन ज्योतिलाल, गौरव शुक्ला, सुनील वालिया और भरत एसपी का सहयोग लेते हुए हुए इस उद्देश्य और कार्य के लिए टाइटेनियम ऑक्साइड का उपयोग किया और इसके विवरण को और सामग्री अनुसंधान पत्रिका बुलेटिन में प्रकाशित किया I

टीम ने प्रदर्शित किया कि यह सेंसर कम बिजली की खपत के साथ सबसे अच्छी संवेदनशीलता देता है और कमरे के तापमान पर काम करता है। तैयार किए गए सेंसरों ने 1000 पीपीएम पर क्रमशः लगभग 3 सेकंड और 10 सेकंड की प्रतिक्रिया और पुनर्प्राप्ति का समय प्रदर्शित किया। सेंसर अच्छी स्थिरता के साथ 25 पीपीएम से 10 लाख पीपीएम (100%) तक ऑक्सीजन सांद्रता में काम करता है। सुपीरियर सेंसिंग प्रॉपर्टी का कारण बढ़ी हुई विद्युत चालकता, एक्साइटन (एक इलेक्ट्रॉन और एक धनात्मक छिद्र का संयोजन) और यूवी विकिरण द्वारा सेंसर सतह से पानी के अणुओं (सतह से बाहर निकलने वाले) के अवशोषण बताया जाता है, जिससे ऑक्सीजन अणुओं की बढ़ी हुई मात्रा के स्लैंटेड नैनोरोड्स एरे (तिरछी नैनोरोड्स सरणी) में मौजूद टाइटेनियम डाइऑक्साइड में निहित क्रोमियम से परस्पर सम्पर्क में आसानी होती है I

सीईएनएस टीम एक उपयुक्त इलेक्ट्रॉनिक नाक (नोज) बनाने के लिए सेंसर और उसकी इलेक्ट्रॉनिक्स इंटरफेसिंग को अन्य गैस सेंसर के साथ मिलाकर और छोटे स्वरूप में विकसित करने पर काम कर रही है। चित्र : (ऊपर बाएं) सेंसिंग प्रयोगों के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक ऑक्सीजन सेंसर डिवाइस, (ऊपर दाएं) 1000पीपीएम O2 के प्रति क्रोमियम-टाईटेनियम डाई ऑकसाइड (Cr-TiO2) आधारित ऑक्सीजन सेंसर डिवाइस का एक कमरे का तापमान सेंसिंग रिस्पॉन्स प्लॉट, जिसने सबसे अच्छी संवेदनशीलता दिखाई, (नीचे बाएं) संवेदनशीलता तुलना प्लॉट O2 की विभिन्न पीपीएम रेंज की ओर टाइटेनियम डाईऑक्साइड/ क्रोमियम-टाईतेनियम डाई ऑकसाइड (TiO2/Cr-TiO2) आधारित ऑक्सीजन सेंसर डिवाइस, (नीचे दाएं) चयनात्मकता प्लॉट O2 के प्रति टाइटेनियम डाईऑक्साइड/ क्रोमियम-टाईटेनियम डाई ऑकसाइड (TiO2/Cr-TiO2) आधारित सेंसर उपकरणों की उच्च संवेदनशीलता को दर्शाता है। प्रकाशन लिंक: https://doi.org/10.1016/j.materresbull.2021.111324 अधिक जानकारी के लिए, डॉ. एस. अंगप्पन (ईमेल: angappane@cens.res.in) से संपर्क किया जा सकता है।

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