आईआईएम में लगातार 3 साल से सीटें खाली , फीस बनी वजह

आईआईएम में लगातार 3 साल से सीटें खाली , फीस बनी वजह

Anita Peddulwar
Update: 2019-08-07 08:47 GMT
आईआईएम में लगातार 3 साल से सीटें खाली , फीस बनी वजह

डिजिटल डेस्क, नागपुर। देश के प्रतिष्ठित शिक्षा संस्थान भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) नागपुर में विद्यार्थी दाखिला लेने के  लिए भले ही एड़ी चोटी का जोर लगाते हों, लेकिन पिछले तीन साल में आईआईएम नागपुर में 18 सीटें खाली रहने की खुलासा आरटीआई में हुआ है। आरटीआई एक्टिविस्ट अभय कोलारकर को मिली जानकारी के अनुसार, आईआईएम नागपुर में 2017-19 बैच के लिए कुल 60 सीटें थीं, जिसमें से 58 सीटें ही भरी गई थीं। 2018-20 के लिए 120 सीटों में से 113 सीटें ही भरी गईं।

2019-21 के लिए सीटों की संख्या बढ़कर 130 हुई, लेकिन 121 सीटें ही भरी जा सकी है। लगातार तीन साल से यहां सीटें खाली रह रही हैं। पहले साल 2 सीटें, दूसरे साल 7 सीटें व तीसरे साल बढ़कर 9 सीटें खाली रहीं। प्रतिष्ठित संस्थान में तीन साल में कुल 18 सीटें खाली रहना चिंता की बात है। आईआईएम के दो साल के पाठ्यक्रम की फीस 12 लाख 50 हजार है।  यहां स्थानीय विद्यार्थियों को किसी तरह का आरक्षण या फीस में रियायत नहीं दी जाती। रोजगार में मंदी का असर यहां भी दिखाई दिया। 2017-19 की बैच के विद्यार्थियों का कैंपस सिलेक्शन नहीं हो सका है। आईआईएम नागपुर में टीचिंग स्टाफ के कुल 24 पद मंजूर है, जिसमें से 19 भरे गए आैर 5 पद खाली हैं।

इधर अंडरग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में बढ़ी 4 हजार सीटें

नागपुर यूनिवर्सिटी ने  संलग्न कॉलेजों में अंडरग्रेजुएट पाठ्यक्रमों की करीब 4 हजार सीटें बढ़ाई है। इसमें बीएससी, बी.कॉम, बीए जैसे पारंपारिक पाठ्यक्रमों का समावेश है। बता दें कि इस साल भी इन्हीं पाठ्यक्रमों की ओर विद्यार्थियों का रुझान है, ऐसे में अंडरग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में जल्दी सीटें फुल हो गई थीं। बड़ी संख्या में विद्यार्थी वेटिंग में थे। लिहाजा यूनिवर्सिटी ने कॉलेजों को सीटें बढ़ाने के लिए प्रस्ताव भेजने को कहा था। यूनिवर्सिटी ने इनकी 20 प्रतिशत सीटें बढ़ाने की तैयारी की। करीब 92 कॉलेजों से 20 प्रतिशत सीटें बढ़ाने का प्रस्ताव प्राप्त हुआ, जिसके बाद यूनिवर्सिटी ने  उन्हें अनुमति प्रदान की। यूनिवर्सिटी द्वारा बीते दिनों अनेक कॉलेजों में नियमित शिक्षक नहीं होने से प्रथम वर्ष में प्रवेश प्रतिबंधित कर दिए गए थे, जिससे प्रवेश दे रहे कॉलेजों में विद्यार्थियों की बड़ी वेटिंग लिस्ट हैं। पिछले कुछ वर्ष की ही तरह तकनीकी पाठ्यक्रमों को छोड़ विद्यार्थियों का रुझान बीएससी और बी.कॉम जैसे पाठ्यक्रमों की ओर है। नागपुर के अधिकांश प्रसिद्ध कॉलेजों में इन पाठ्यक्रमों की सीटें लगभग फुल हैं। ऐसे में नागपुर विश्वविद्यालय ने पाठ्यक्रमों की प्रवेश क्षमता बढ़ाने के लिए प्रस्ताव मंगाए थे। यूनिवर्सिटी को 92 कॉलेजों के प्रस्ताव मिले हैं। पिछले वर्ष 20 प्रतिशत सीटें बढ़ाने के लिए नागपुर यूनिवर्सिटी को कुल 103 कॉलेजों ने प्रस्ताव भेजे थे। यूनिवर्सिटी ने इनकी 20 प्रतिशत सीटें बढ़ाने को मान्यता दी थी।

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