भुजबल के चुनावी क्षेत्र में खोई जमीन तलाश रही शिवसेना, किसी जमाने में था वर्चस्व

भुजबल के चुनावी क्षेत्र में खोई जमीन तलाश रही शिवसेना, किसी जमाने में था वर्चस्व

Bhaskar Hindi
Update: 2017-11-13 15:58 GMT
भुजबल के चुनावी क्षेत्र में खोई जमीन तलाश रही शिवसेना, किसी जमाने में था वर्चस्व

डिजिटल डेस्क, नाशिक। दो साल से ज्यादा आर्थर रोड़ जेल में बंद एनसीपी के कद्दावरनेता और विधायक छगन भुजबल के चुनावी क्षेत्र में शिवसेना ने कदम रखा है। वरिष्ठ नेता और सांसद संजय राऊत ने येवला, नांदगाव और चांदवड के पदाधिकारियों से मुलाकात की। राऊत पार्टी के लिए जमीन मजबूत करने रविवार देर रात येवला पहुंचे थे। इस दौरान वहां उन्होंने स्थानीय नेताओं से कामकाज का ब्यौरा लिया। किसी जमाने में यहां शिवसेना वर्चस्व था। जिसे दस साल तक भुजबल के नेतृत्व में एनसीपी ने पूरी तरह से समाप्त कर दिया था। पिछले विधानसभा चुनाव में शिवसेना उम्मीदवार कम अंतर से पराजित हुए थे। लेकिन अब यहां शिवसेना अपनी खोई हुई जमीन फिर तलाश रही है।

संगठन का विस्तार करने में मशगुल बीजेपी
संजय राऊत ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी संगठन का विस्तार करने में मशगुल है। उनका विकास से कोई सरोकार नही। उन्होंने कहा कि गुजरात में हो रहे विधानसभा चुनाव के लिए शिवसेना कार्यकर्ता सूरत, बड़ोदा सहित तकरीबन 40 से 50 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। विधानसभा चुनाव में भाजपा को पराजित कर गुजरात में शिवसेना परचम लहराने की कोशिश कर रही है। राऊत ने कहा कि इसी तरह महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले राकांपा अध्यक्ष शरद पवार के अलावा कांग्रेस प्रचार प्रसार में जुट गई है। जिन्हें टक्कर देने के लिए शिवसेना पूरी तरह तैयार है।

भुजबल को लेकर शिवसेना का रुख नर्म

गठबंधन को लेकर राऊत ने कहा कि समय से पहले विधानसभा बरखास्त कर चुनाव का सामना करने के लिए जिगर चाहिए। जब्कि चुनाव की घोषणा पार्टी पक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे के हाथ है। हालांकि ये बात और है कि सत्ता के तीन वर्ष बाद सभी पार्टियां चुनाव की तैयारियों में जुट जाती है। शिवसेना विधानसभा और लोकसभा चुनाव की तैयारियों में पूरी तरह जुट गई है। जिसके चलते आगामी चुनाव में भाजपा की हालत पतली होना तय है। राऊत ने कहा कि शिवसेना हमेशा सच्चाई के साथ होती है। भुजबल को लेकर उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सदन के निर्माण को लेकर उनपर कई आरोप लगे। लेकिन शिवसेना सदन निर्माण का हमेशा समर्थन करती रही है। यह अकेले छगन भुजबल का निर्णय नही था, बल्कि मंत्रीमंडल का निर्णय था। इसलिए केवल भुजबल को जिम्मेदार ठहराना ठीक नहीं। राऊत के मुताबिक यदी राज्य में शिवसेना की सरकार होती, तो भुजबल को इतने महीने जेल में बिताने नहीं पड़ते।

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