चीन की प्रदर्शनी के लिए जाने वाली थी म्यूजियम की मूर्तियां, ले जाने के लिए टीम ही नहीं पहुंची

चीन की प्रदर्शनी के लिए जाने वाली थी म्यूजियम की मूर्तियां, ले जाने के लिए टीम ही नहीं पहुंची

Anita Peddulwar
Update: 2018-06-27 05:47 GMT
चीन की प्रदर्शनी के लिए जाने वाली थी म्यूजियम की मूर्तियां, ले जाने के लिए टीम ही नहीं पहुंची

डिजिटल डेस्क, नागपुर। चीन में होने वाली प्रदर्शनी के लिए नागपुर म्यूजियम की कुछ मूर्तियां जाने वाली थी, लेकिन इन मूर्तियों को ले जाने के लिए चीन की टीम ही नहीं पहुंची। बता दें कुछ माह पूर्व विश्वस्तरीय पुरातत्व वस्तुओं की प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। इस प्रदर्शनी में नागपुर के मध्यवर्ती म्यूजियम से तीन मूर्तियां शामिल किए जाने की संभावना थी। म्यूजियम अधिकारी प्रतीक्षा करते रहे, किन्तु चीन ने मूर्तियों को नहीं मंगाया।

बता दें कि चीन के पैलेस म्यूजियम और नई दिल्ली के राष्ट्रीय म्यूजियम के बीच हुए करार के अनुसार चीन में प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। आयोजन चीन में होने के कारण मूर्तियों का चयन भी चीन को ही करना था। इसके लिए चीन से एक दल भारत आया था। यह दल दिल्ली, कोलकात्ता व चेन्नई के संग्रहालयों में गया था।

पिछले साल आई थी टीम
नागपुर मध्यवर्ती म्यूजियम के अभिरक्षक डॉ. विराग सोनटक्के के अनुसार, चीन की पांच सदस्यीय दल पिछले वर्ष भारत आया था। उसमें दो फोटोग्राफर व तीन अन्य सदस्य थे। यह टीम चीन सरकार का पत्र लेकर आई थी। उस पत्र को दिल्ली में भारत सरकार को सौंपा गया। वहां से देश के पुराने ख्यातनाम म्यूजियम को भेंट देने के संदर्भ में टीम ने पत्र हासिल किया था। उस पत्र के आधार पर यह चीनी टीम नागपुर के म्यूजियम का निरीक्षण करने पहुंची। टीम ने वाकाटक कालीन बुद्ध व दो हाथियों की मूर्तियों की फोटो खींची थी। इन मूर्तियों को चीन में आयोजित प्रदर्शनी में शामिल किए जाने की संभावना थी। बता दें कि यह मूर्तियां इसके पूर्व पेरिस में आयोजित विश्व प्रदर्शनी में भेजी गई थीं।

ब्रिटिशकालीन म्यूजियम
नागपुर का म्यूजियम देश का पुराना म्यूजियम है। चेन्नई (मद्रास), कोलकात्ता के बाद 1883 में नागपुर का म्यूजियम खोला गया। उस समय ब्रिटिश सरकार थी। नागपुर के तत्कालीन मुख्य आयुक्त सर रिचर्ड टेंपल, फादर रेव्हरंड हिस्लाप ओर अन्य अधिकारियों ने मिलकर इसकी स्थापना की। आज उसे मध्यवर्ती म्यूजियम के नाम से जाना जाता है। 7 मई 2018 को उसे 155 साल पूरे हो गए। यहां लगभग 2500 पुरातत्व वस्तुएं संग्रहित हैं। 250 से अधिक पेंटिंग भी हैं। लौहयुग, वाकाटक, सातवाहनकाल की युद्ध सामग्री, कवच, शस्त्र, बंदूक, धनुष-बाण व कई मूर्तियां हैं। महारानी विक्टोरिया की मूर्ति भी इस म्यूजियम की शोभा बढ़ा रही है।

Similar News