आसमान से गिरे खजूर पर अटके -निर्माण तो पूरा न हो सका, अब मरम्मत के भरोसे
आसमान से गिरे खजूर पर अटके -निर्माण तो पूरा न हो सका, अब मरम्मत के भरोसे
एनएच-39 को लगा राजनीति का ग्रहण, सात साल में नहीं बन पायी 107 किमी फोरलेन
डिजिटल डेस्क सिंगरौली (मोरवा) । अक्टूबर 2018 से काम छोड़कर भागे गैमन इंडिया को मनाकर हर महीने तारीख पर तारीख दी जा रही थी। 10 दिन में काम शुरू होगा तो कभी इसी महीने की 20 तारीख से और नतीजा ढाक के तीन पात निकला। आखिरकार गैमन इंडिया को बर्खास्त कराकर राजनीतिज्ञों ने एक और अवरोध खड़ा कर दिया! अब दो साल में सड़क बन जाने का भरोसा दिलाया जा रहा है! एक चुनाव और इसी रोड के भरोसे लड़ा जायेगा। जनता पीछे भागेगी वह भी पैदल। यही हश्र हुआ है सिंगरौली से सीधी के बीच महज 13 किमी रोड का। जो भौतिक रूप से अपूर्ण है। इसी को पूरा करने के लिए कल तक गैमन इंडिया को फंड उपलब्ध कराया जा रहा था। उसके अतिरिक्त न्यू प्लान की सभी शर्तें मानी जा रही थीं। हवाला दिया जा रहा था कि बीओटी मोड को मॉर्थ भी बदल नहीं सकता है। लिहाजा परिवहन मंत्री ने आधा दर्जन बैठकें अपने आवास में बुलाकर दो जिलों के लोगों से इस पुनीत कार्य को पूरा कराने की वाहवाही लूटी। ठेका कम्पनी के रवैय्ये की जानकारी सभी को थी। इसके लिए जो कदम सात साल बाद उठाया गया है। यदि यही निर्णय पहले ले लिया गया होता तो फोरलेन सड़क पर सरपट वाहन दौड़ रहे होते। लेकिन दूरदर्शिता की कमी और राजनैतिक रोटियां सेंकने के कारण जो हालत सड़क की हुई है उसे जनता शायद ही कभी माफ करेगी। इसी सड़क को बनवाने के लिए मौजूदा केन्द्र और राज्य के सत्ताधारियों ने गोरबी में जाम लगाकर अभी के अभी सड़क बनवाएं जाने की मांग की थी। सड़क निर्माण को मुद्दा कुछ भी हो लेकिन सांसद रीति पाठक के द्वारा बार बार जनता को यह संदेश देना कि अगले महीने फलां तारीख से काम शुरू हो रहा है। सड़क परिवहन व राज्य मार्ग मंत्रालय ने यह भरोसा दिया है। एमपीआरडीसी के भोपाल कार्यालय से यह सूचना है आदि आदि जनता को हजम होने वाली नहीं है। नया टेंडर जब होगा तब होगा मौजूदा समय में जो घाव एनएच ने दिये हैं उस पर मरहम कैसे लगेगा? राजनीति से परे हट कर आम लोग सड़क की दुर्दशा के लिए जबाव मांग रहे हैं और राजनैतिक शून्यता बता रहे हैं।
मरम्मत के 16 करोड़ भी इसी ठेके का हिस्सा!
सूत्रों पर गौर करें तो इस सड़क की मरम्मत कार्य के लिए 16 करोड़ का टेंडर भी इसी ठेके का एक हिस्सा है। जो ठेकेदार के काम पूरा करने पर उसके मद से बतौर पेनाल्टी काटा जाना था। यह रकम न तो एमपीआरडीसी की है और न किसी अन्य मद की। इसकी मरम्मत के लिए बीते 10 जुलाई को काम शुरू होना था। जिसे बीएलएस ज्वाइंट बेंचर के द्वारा लिया जा चुका है। यदि इसका काम शुरू करना था तो बारिश समाप्त होने का इंतजार क्यों किया जा रहा है। जबकि इस मरम्मत कार्य के लिए विद रेनी सीजन इंक्ल्यूडेड कंडीशन रखी गई थी। पूर्ण ठेके के निरस्त होने के बाद इस मरम्मत कार्य के छोटे से ठेके पर भी ग्रहण लगता नजर आ रहा है।
एनसीएल लगा चुका लाखों
इस सड़क के लिए एनसीएल शुरूआती दौर में ही बड़ी रकम देना चाह रहा था। लेकिन ठेके की शर्तों और मॉर्थ की कंडीशन के कारण एनसीएल खनहना से लेकर कांटा मोड़ तक वह भी मरम्मत के नाम पर अब तक लाखों खर्च कर चुका है। एक अलग टेंडर जारी कर लगभग सवा करोड़ खर्च करने की तैयारी में है। जिसका जल्द ही काम शुरू कराया जाना है जो कांटा मोड़ से खनहना तक लगभग 6 किमी के लिए है। जिले की सीमा से मोरवा, गोरबी, बरगवां, सजहर से देवसर तक और देवसर पार करते ही झोंको गोपद पुल तक एनएच 39 का दंश झेलने वाले लोगों को लिए राहत नहीं मिल सकी है। निजी ठेकेदार,आम लोग अपने घरों और गांव के सामने हर दिन एनएच के गड्ढे पाटने के लिए मजबूर हैं।