एयर क्वालिटी इंडेक्स पर परदेदारी, एलईडी में प्रदर्शित नहीं की शहर की हवा

प्रदूषण बोर्ड का क्षेत्रीय कार्यालय जबलपुर स्थानांतरित एयर क्वालिटी इंडेक्स पर परदेदारी, एलईडी में प्रदर्शित नहीं की शहर की हवा

Safal Upadhyay
Update: 2022-07-07 09:19 GMT
एयर क्वालिटी इंडेक्स पर परदेदारी, एलईडी में प्रदर्शित नहीं की शहर की हवा

डिजिटल डेस्क, कटनी। शहर की आबो-हवा सेहत के लिए नुकसान दायक या फिर फायदेमंद है। इसकी जानकारी पिछले कई दिनों से आम लोगों को नहीं लग पा रही है। नगर निगम के ऊपर प्रदूषण विभाग ने जो कंट्रोल रुम बनाया था। उसमें विगत कई दिनों से ताला लटका हुआ है तो मुख्य मार्ग में जो एलईडी स्क्रीन लगाया गया था। वह भी बंद है। लोगों का कहना है कि अब जिम्मेदार वायु प्रदूषण के मामले में परदा प्रथा अपना रहे हैं। जिसके चलते इस तरह की स्थिति निर्मित है। मानसून सीजन में भी एक्यूआई का स्तर 68 पर बना हुआ है।

इस तरह से घटा-बढ़ा स्तर

मैटर             औसत        न्यूनतम      अधिकतम
पीएम 2.5        45            20            67
पीएम 10         68            32           122
एनओटू          18             10            33
अमोनिया         3              2              4
एसओटू          17             16            18
ओजोन           13             9              31

पानी गिरने के बाद भी गुड का नहीं लेवल

शहर के अंदर हवा का स्तर किस तरह से रहता है। पानी गिरने के बाद भी हवा का स्तर गुड पर नहीं पहुचा। बुधवार को एक्यूआई का स्तर 68 पर रहा। मतलब सेहतमंदों के लिए तो हवा ठीक है, लेकिन जो एलर्जिक हैं। उन्हें सांस लेने में थोड़ी बहुत समस्या हो सकती है। 51 से लेकर 100 तक का स्तर संतोषजनक माना जाता है, जबकि 101 से 200 तक का सतर मॉडरेट, 201 से 300 तक का पुअर और इससे अधिक वैरी पुअर की श्रेणी में हवा का स्तर आता है। 401 का स्तर पार करने पर यह रेड जोन में पहुंच जाता है।

पार्टिकुलेट मैटर से होती है गणना

वायु में पार्टिकुलेट मैटर की गणना मशीन से की जाती है। हवा में पीएम 2.5 और  पीएम 10 का स्तर बढऩे से हवा प्रदूषित हो जाती है। हवा में पीएम 2.5 की मात्रा 60 और पीएम10 की मात्रा 100 होने पर ही इसे सुरक्षित माना जाता है। पीएम 2.5 का स्तर ज्यादा होने पर ही धुंध बढ़ती है और साफ दिखना कम हो जाता है। इतना ही नहीं ये कण सांस लेते समय शरीर में प्रविष्ट होते हैं। जिससे सांस अंदर खींचने में परेशानी के साथ-साथ कई और अन्य बीमारी होने का खतरा बन जाता है। पीएम 2.5 और पीएम10 का हवा में स्तर बढऩे का सबसे बुरा असर बच्चों और बुजुर्गों पर पड़ता है। इसके बावजूद सुधार की पहल नहीं की जा रही है। दूसरा कारण वाहनों की बढ़ती संख्या है। दोपहर में तो इसका स्तर 67 और पीएम 10 का 122 तक पहुंच जाता है। 
 

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