वायुसेना स्टेशन कारनिकोबार स्थित भारतीय वायुसेना के कोविड-19 हेलिकॉप्टर उड़ान दल ने अपने सूक्ति वाक्य ‘अपत्सु मित्रं’ की सार्थकता को बढ़ाया

वायुसेना स्टेशन कारनिकोबार स्थित भारतीय वायुसेना के कोविड-19 हेलिकॉप्टर उड़ान दल ने अपने सूक्ति वाक्य ‘अपत्सु मित्रं’ की सार्थकता को बढ़ाया

Aditya Upadhyaya
Update: 2021-01-01 08:43 GMT
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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रक्षा मंत्रालय वायुसेना स्टेशन कारनिकोबार स्थित भारतीय वायुसेना के कोविड-19 हेलिकॉप्टर उड़ान दल ने अपने सूक्ति वाक्य ‘अपत्सु मित्रं’ की सार्थकता को बढ़ाया अंडमान और निकोबार द्वीप समूह पृथ्वी के सबसे सुंदर द्वीपों में से एक होने के बावजूद कनेक्टिविटी के स्तर पर काफी चुनौतियों का सामना करता है। कनेक्टिविटी के मामले में न तो आसपास के मुख्य भूभाग के साथ इसका बेहतर संपर्क है, और न ही खुद अपने निर्धारित भूभाग में बेहतर कनेक्टिविटी है। वर्तमान कोविड-19 महामारी के दौर में जब मरीज़ों को विभिन्न द्वीपों से ले जाकर पोर्ट ब्लेयर तक तुरंत और सुरक्षित पहुँचाना बेहद ज़रूरी है, ऐसे में कनेक्टिविटी की ये समस्या राहत और सुरक्षा के काम को बाधित करने के साथ कई अन्य समस्याएं भी पैदा करती है।ऐसी विपरीत परिस्थितियों के बावजूद, अंडमान और निकोबार कमान के तहत वायुसेना स्टेशन कारनिकोबार में भारतीय वायुसेना की हेलीकॉप्टर टीम को गंभीर हालत वाले मरीजों को पोर्ट ब्लेयर पहुंचाने की जिम्मेदारी सौंपी गई और इस साल जून से लेकर अब तक इसने दिन-रात काम करते हुए कई उड़ानें भरीं। इस कोविड-19 राहत दल में पायलट और तकनीशियनों की एक समर्पित टीम है, जिसे किसी भी समय अपनी ज़िम्मेदारी को निभाने के लिए पूरी तरह से तैयार रखा गया ताकि अल्प सूचना पर भी मरीज़ों को सुरक्षित स्थान तक पहुँचाया जा सके। रखरखाव टीम ने सुरक्षित उड़ान को सफल बनाने के लिए 24x7 काम करके हेलीकॉप्टरों की उच्च परिचालन क्षमता को सुनिश्चित किया। इन एयर वॉरियर्स के लिए सख्त कोविड प्रोटोकॉल और सुरक्षा उपाय निर्धारित किए गए थे, जिसमें किसी भी समय राहत पहुँचाने के क्रम में “कोविड से सुरक्षित” उड़ान सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक उड़ान के बाद टीम के इन सदस्यों को लंबे समय तक आईसोलेशन में रखना शामिल है।वहीं दूसरी ओर, उड़ान के दौरान संक्रमण के खतरे को कम करने के लिए मरीज़ों और उड़ान टीम के सदस्यों के बीच विभाजन किया गया, ताकि मरीज़ और उड़ान दल एक-दूसरे के संपर्क में न आएं। शारीरिक और मानसिक चुनौतियों के बावजूद जोश और उत्साह से भरे इन पेशेवरों ने अपने दायित्व के प्रति असाधारण समर्पण दिखाया है और हमारे नागरिकों के लिए उड़नदूत बनकर मदद करते रहे हैं।ये पेशेवर जुलाई 2020 से अब तक लगभग 34 कोविड रोगियों को सुरक्षित तरीके से पोर्ट ब्लेयर पहुंचा चुके हैं। पिछले कुछ महीनों से इन हेलिकॉप्टरों को अन्य गंभीर मरीज़ों को भी सुरक्षित स्थान तक पहुँचाने और उन्हें चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराने के काम में सक्रिय रूप से लगाया गया है। इस ज़िम्मेदारी को निभाते हुए इन हेलिकॉप्टरों ने पाँच गर्भवती महिलाओं को, जो कि गृभावस्था की जटिलताओं का सामना कर रहीं थी, उनको सुरक्षित स्थान तक पहुँचाया है। ऐसा करके भारतीय वायुसेना ने अपने हेलिकॉप्टरों के साथ जुड़े उस ‘अपत्सु मित्रं’ सूक्ति वाक्य को प्रमाणित कर दिया है, जिसका अर्थ है ‘विपत्ति में मौजूद दोस्त’। भारतीय वायुसेना के हेलिकॉप्टर और उड़ान दल हमेशा सतर्क रहते हैं, और हमारे नागरिकों की त्वरित गति से सेवा करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।

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