नई शिक्षा नीति का उद्देश्य भारत को ज्ञान के क्षेत्र में वैश्विक महाशक्ति बनाना है

नई शिक्षा नीति का उद्देश्य भारत को ज्ञान के क्षेत्र में वैश्विक महाशक्ति बनाना है

Aditya Upadhyaya
Update: 2020-11-18 08:24 GMT
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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उप राष्ट्रपति सचिवालय नई शिक्षा नीति का उद्देश्य भारत को ज्ञान के क्षेत्र में वैश्विक महाशक्ति बनाना है: उपराष्ट्रपति भारत को एक बार फिर विश्व गुरु बनने की ख्वाहिश रखनी चाहिए : उपराष्‍ट्रपति उपराष्‍ट्रपति ने उच्च शिक्षा संस्थानों और विश्वविद्यालयों से भारत को ज्ञान और नवाचार का एक महत्वपूर्ण केंद्र बनाने का आह्वान किया नई शिक्षा नीति का उद्देश्‍य भारतीय शिक्षा को समग्र, बहु-विषयक और व्यावहारिक बनाना है : उपराष्‍ट्रपति उपराष्ट्रपति ने छात्रों को बड़े सपने देखने और समर्पण व अनुशासन के साथ काम करने के लिए कहा छात्रों को ग्रामीण भारत के सामने आने वाली चुनौतियों को समझने के लिए गांवों में कुछ समय बिताना चाहिए : उपराष्ट्रपति उपराष्ट्रपति ने उच्च शिक्षा संस्थानों को छात्रों को नौकरी चाहने वालों की जगह नौकरियां देने वाले उद्यमियों में बदलने की सलाह दी उपराष्ट्रपति ने कॉर्पोरेट क्षेत्र से प्रमुख अनुसंधान परियोजनाओं के लिए अनुदान देने का आग्रह किया उपराष्‍ट्रपति ने एनआईटी अगरतला के 13वें दीक्षांत समारोह को हैदराबाद से वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया उपराष्‍ट्रपति श्री एम.वेंकैया नायडू ने आज कहा कि नई शिक्षा नीति (एनईपी) का लक्ष्‍य भारत को ज्ञान के क्षेत्र में एक वैश्विक महाशक्ति बनाना है। उन्‍होंने इस बात को रेखांकित किया कि भारत को एक बार फिर शिक्षा के क्षेत्र में विश्‍व गुरु का दर्जा हासिल करना चाहिए। उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि नई शिक्षा नीति प्राचीन भारतीय शिक्षा पद्धति से प्रेरित है, जिसमें छात्रों के व्‍यक्तित्‍व के समग्र और सम्‍पूर्ण विकास को केन्‍द्र में रखा जाता था। उन्‍होंने कहा कि नई शिक्षा नीति का उद्देश्‍य भारतीय शिक्षा व्‍यवस्‍था को समग्र, बहु-विषयक और व्‍यावहारिक बनाना है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्‍थान (एनआईटी), अगरतला के 13वें दीक्षांत समारोह को वर्चुअल माध्यम से संबोधित करते हुए श्री नायडू ने कहा कि प्राचीन शिक्षा पद्धति ने हमें हमेशा प्रकृति के साथ समभाव से जीना और सभी मनुष्‍यों व जीव-जन्‍तुओं का आदर करना सिखाया है। उन्‍होंने कहा, "हमारी शिक्षा व्‍यावहारिक, समग्र और जीवन के प्रति तादात्‍म्य रखने वाली थी।" उच्‍च शिक्षा संस्‍थानों और विश्‍वविद्यालयों से भारत को ज्ञान और नवोन्‍मेष का उभरता केन्‍द्र बनाने के प्रयास करने का आह्वान करते हुए श्री नायडू ने उनसे कहा कि वे विभिन्‍न क्षेत्रों में नए से नए अनुसंधान कार्यक्रमों को अपनाएं, उद्योगों और अन्‍य समान प्रकार के संस्‍थानों के साथ तालमेल कायम करें और हमारे शिक्षा परिसरों को सृजनात्‍मकता और अनुसंधान के उत्‍साही केन्‍द्र बनाने में सहयोग करें। पूर्व राष्‍ट्रपति श्री एपीजे अब्‍दुल कलाम की युवा शक्ति को ऊंचे सपने देखने की सलाह को याद करते हुए उपराष्‍ट्रपति ने छात्रों से कहा कि वे अपने लक्ष्‍य तय करें और उन्‍हें हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करें। उन्‍होंने कहा, "अगर आप समर्पण, अनुशासन और पूरी ईमानदारी से अपने चुने हुए रास्‍ते से बिना डिगे कर्म करेंगे, तो सफलता अवश्‍य मिलेगी।" उन्‍होंने छात्रों से कहा कि वे वर्षों तक कड़ी मेहनत से तैयार अपने प्रखर और सफल कैरियर को बनाने के समय हासिल किए गए ज्ञान, कुशलता और योग्‍यता का पूरा इस्‍तेमाल करें। छात्रों को चौकन्‍ना रहने की जरूरत बताते हुए उपराष्‍ट्रपति ने कहा, "छात्रों, अनुसंधानकर्ताओं और अकादमिशियनों को यथास्थितिवादी नहीं होना चाहिए। उन्‍हें लगातार ज्ञानार्जन करते रहना चाहिए, खुद को अद्यतन करना चाहिए और प्रतिदिन कुछ नया सोचना चाहिए।" उन्‍होंने कहा, "वह, जो सीखता है और बेहतर ढंग से चीजों को आत्‍मसात करता है, वहीं आगे बढ़ता है।" उन्‍होंने कहा अब समय आ गया है जब विश्‍वविद्यालयों, आईआईटी, एनआईटी और अन्‍य उच्‍च शिक्षा संस्‍थानों को अपने पठन-पाठन के तरीके में आमूल-चूल बदलाव लाना चाहिए और अपने अध्‍यापकों को 21वीं सदी की जरूरतों के अनुरूप नई अध्‍यापन तकनीकों से लैस करना चाहिए। श्री नायडू ने इस बात पर जोर दिया कि मानवता के सामने पेश- गरीबी हटाने, कृषि उत्‍पादन में सुधार लाने और प्रदूषण एवं बीमारियों से निपटने जैसी अन्‍य चुनौतियों का समाधान करने के लिए अन्‍तर-विषेयक दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है।

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