रोगी कल्याण समितियों से बाहर हुए राज्यसभा सदस्य

रोगी कल्याण समितियों से बाहर हुए राज्यसभा सदस्य

Bhaskar Hindi
Update: 2018-07-30 13:41 GMT
रोगी कल्याण समितियों से बाहर हुए राज्यसभा सदस्य

डिजिटल डेस्क, भोपाल। राज्य सरकार ने शासकीय जिला अस्पतालों की रोगी कल्याण समितियों से राज्यसभा सदस्यों को बाहर कर दिया है। इसके लिये वर्ष 2010 में बनी नियमावली निरस्त कर नए दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं, जिसमें अब सिर्फ लोकसभा सदस्य ही रोगी कल्याण समितियों के सदस्य हो सकेंगे तथा राज्यसभा सदस्य इसमें मेम्बर नहीं बन सकेंगे।

नए दिशा-निर्देश के में उक्त रोगी कल्याण समितियों में जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी को भी सदस्य बनाने का प्रावधान किया गया है, जबकि पहले यह प्रावधान नहीं था। इसी प्रकार अब इन समितियों में जिले के प्रेस क्लब द्वारा नामित प्रतिनिधि भी सदस्य नहीं होगा जिसका पहले प्रावधान था।

आय के स्रोत बढ़ाएं
नए दिशा-निर्देशों में रोगी कल्याण समितियों के आय के स्रोतों में इजाफा कर दिया है। अब ये समितियां उपभोक्ता शुल्क के अंतर्गत बाह्य रोगी पंजीयन, अंत: रोगी पंजीयन, प्रयावेट रुम किराया, ब्लड ट्रांसफ्यूजन, विशेष जांच- सोनोग्राफी/सीटी स्केन/डायलिसिस आदि तथा एम्बूलेंस सेवा शुल्क निर्धारित कर आय प्राप्त कर सकेगी। इसके अलावा दानदाताओं से नकद दान एवं सामग्री के रुप में दान प्राप्त कर सकेगी। राज्य एवं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन से अनुदान ले सकेगी। व्यवसायिक गतिविधियों के अंतर्गत दुकान किराया/लीज से आय, पार्किंग सुविधा से आय तथा केंटीन/लांड्री सुविधा आदि से आय प्राप्त कर सकेगी। इसके अलावा निवेश से आय, निदान तथा उपचार सेवा से आय तथा निविदा शुल्क, इंटर्नशिप/प्रशिक्षण/दण्ड/शास्ति आदि से भी आय प्राप्त कर सकेगी।

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में अब नहीं बनेंगी समितियां
नए दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की रोगी कल्याण समितियों की आय ना के बराबर है। इससे वर्तमान में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की क्रियाशीलता अत्यंत सीमित होकर रह गई है। इसलिए अब नए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों/शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में रोगी कल्याण समितियों का गठन नहीं किया जाएगा तथा इनका संचालन विकासखण्ड मुख्यालय पर स्थित सिविल/सामुदायिक अस्पताल की रोगी कल्याण समितियों के माध्यम से किया जाएगा। प्रदेश में इस समय 51 जिला अस्पताल, 67 सिविल अस्पताल, 334 सामुदायिक अस्पताल तथा 1170 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र संचालित हैं।

इनका कहना है
‘‘रोगी कल्याण समितियों के कामकाज में नए दिशा-निर्देशों से क्लीयरिटी लाई गई है तथा इनका संचालन बेहतर बनाया गया है।’’
डॉ. केके ठस्सु, संचालक अस्पताल प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग

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