उपराष्ट्रपति ने स्वस्थ जीवन शैली को बनाए रखने के लिए “दिनचर्या” और “ऋतुचर्या” की अवधारणा का पालन करने की सलाह दी

उपराष्ट्रपति ने स्वस्थ जीवन शैली को बनाए रखने के लिए “दिनचर्या” और “ऋतुचर्या” की अवधारणा का पालन करने की सलाह दी

Aditya Upadhyaya
Update: 2020-09-30 09:52 GMT
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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति, श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज एक स्वस्थ शरीर एवं स्वस्थ मन के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि हमें स्वस्थ जीवन को बनाए रखने के लिए "दिनचर्या"– दैनिक अनुशासन और ‘ऋतुचर्या”- मौसमी अनुशासन की अवधारणाओं का पालन करना होगा। "कोविड के बाद स्वास्थ्य सेवा की दुनिया- नई शुरुआत" विषय पर फिक्की हील के 14वें संस्करण का एक वीडियो कॉन्‍फ्रेंस के माध्यम से उद्घाटन करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि इस महामारी ने हमें शारीरिक और मानसिक, दोनों, रूप से स्वस्थ रहने के बढ़ते महत्व को समझाया है। उन्होंने आगे कहा कि बीमारियों को दूर रखने के लिए संतुलित आहार के साथ फिटनेस आवश्यक है। उन्होंने इस तथ्य को रेखांकित किया कि निष्क्रिय जीवनशैली देश में गैर-संचारी रोगों की बढ़ती घटनाओं के प्रमुख कारकों में से एक है। उन्होंने लोगों से फिट रहने के लिए स्पॉट जॉगिंग/रनिंग/ब्रिस्क वॉकिंग/एरोबिक्स एवं स्ट्रेचिंग जैसी शारीरिक गतिविधियों के किसी भी रूप को अपनी रोज की दिनचर्या का हिस्सा बनाने का आग्रह किया। उन्होंने डॉक्टरों और मीडिया से स्वस्थ एवं फिट रहने के लिए लोगों में जागरूकता पैदा करने और उन्हें शिक्षित करने का भी आह्वान किया। श्री नायडू ने कहा कि एक बार सामान्य स्थिति लौटने के बाद स्कूलों और कॉलेजों में खेल के साथ-साथ योग एवं ध्यान को दैनिक समय-सारिणी का हिस्सा बनाया जाना चाहिए। इस कार्यक्रम के विषय “कोविडकेबादस्वास्थ्य–सेवाकीदुनियामेंनईशुरुआत”काउल्लेखकरतेहुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि नई शुरुआत पुरानी आदतों की ओर लौटने के बारे में भी होनी चाहिए। उन्होंने आगे कहा, “हमारे पूर्वजों ने हमें पोषण युक्त भोजन दिया है। हमें फास्ट-फूड और बिना सोचे-विचारे खाने से बचना चाहिए।” लोगों से न्यू नॉर्मल की संस्कृति के अनुकूल ढलने और कॉवेड-19 महामारी से लड़ने के लिए निर्धारित सभी सावधानियों को गंभीरता से लेने का आह्वान करते हुए, उन्होंने कहा कि लोगों का जिम्मेदारी के साथ काम करना और इस खूंखार वायरस के संचरण को तोड़ने के लिए सरकार एवं स्वास्थ्य पेशेवरों के बहुमुखी प्रयासों का समर्थन करना बेहद जरूरी था। उन्होंने आगे कहा, “हम बस शिथिलता बरतने और अपनी सुरक्षा को कम करने की इज़ाजत नहीं दे सकते।” राष्ट्र को हमेशा के लिए लॉकडाउन में नहीं रखा जा सकता का तर्क देते हुए, उन्होंने प्रधानमंत्री के इस बयान का हवाला दिया कि जीवन महत्वपूर्ण है, लेकिन आजीविका भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। निकट भविष्य में टीके के मोर्चे पर अच्छी खबर आने की उम्मीद व्यक्त करते हुए, श्री नायडू ने लोगों से मास्क पहनने, सामाजिक दूरी बनाए रखने और बार-बार हाथ धोने का आग्रह किया। कोविड–19 के अग्रणी योद्धाओं तथा रोगियों के साथ कलंक एवं भेदभाव की घटनाओं की निंदा करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि इस किस्म का व्यवहार अस्वीकार्य है और इसे शुरुआत में ही कुचल दिया जाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा, “यह जरूरी है कि हम किसी ऐसे व्यक्ति के साथ भेदभाव न करें जो कोविड पॉजिटिव है या किसी कोविड के मरीज के संपर्क में आया है। हमें कोविड–19 के बारे में सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण एवं सकारात्मक संदेश को बढ़ावा देना होगा।” इस महामारी के कारण होने वाले सार्वभौमिक मनोवैज्ञानिक-सामाजिक प्रभाव के बारे में बोलते हुए, उन्होंने कहा, "वृद्ध लोगों, उनकी देखभाल करने वालों, मनोरोगी रोगियों और हाशिए के समुदायों के मनोवैज्ञानिक-सामाजिक पहलुओं पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।" इस वायरस को हराने के लिए नए सिरे से दृढ़ संकल्प के साथ सामूहिक रूप से आगे बढ़ने की जरूरत पर जोर देते हुए, श्री नायडू ने कहा,“न सिर्फ हमें इस वायरस को खत्म करने के तरीके खोजने की जरूरत है, बल्कि हमें कोविड के बाद की चुनौतियों का सामना करने लिए तैयार रहना होगा और भविष्य के किसी भी महामारी का सामना करने के लिए और अच्छी तर

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