चंद्रपुर के सोये हुए हनुमानजी के मंदिर का बालोद्यान है, एक अच्छा पिकनिक पॉइंट

चंद्रपुर के सोये हुए हनुमानजी के मंदिर का बालोद्यान है, एक अच्छा पिकनिक पॉइंट

Anita Peddulwar
Update: 2018-02-28 10:38 GMT
चंद्रपुर के सोये हुए हनुमानजी के मंदिर का बालोद्यान है, एक अच्छा पिकनिक पॉइंट

डिजिटल डेस्क, चंद्रपुर। एक जमाना ऐसा था, जब चंद्रपुर में मनोरंजन और पर्यटन की दृष्टि से कोई स्थल या सुविधाएं नहीं थीं लेकिन जिले  का कायापलट शुरू हो गया है। जिले के पालकमंत्री सुधीर मुनगंटीवार की पहल से जिले में कई पर्यटन स्थल और मनोरंजन के संसाधन जिले के ही नहीं बल्कि विदर्भवासियों के लिए उपलब्ध हो चुके हैं। इनमें से ही एक है चंद्रपुर शहर से करीब 28 कि.मी. दूरी पर स्थित अजयपुर का हनुमान मंदिर, जिसे झोपलेला मारोती (सोये हुए हनुमानजी) के नाम से जाना जाता है। इस स्थान को वनमंत्री मुनगंटीवार की संकल्पना से निसर्ग पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया गया है। आज यह निसर्ग पर्यटन केंद्र चंद्रपुर जिले के साथ ही पूर्व विदर्भ वासियों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। धार्मिक स्थल के साथ-साथ पर्यटन स्थल भी होने के कारण यहां प्रतिदिन करीब 1 हजार लोग दर्शन के लिए पहुंचते हैं। इनमें बड़ों के साथ ही बच्चों की संख्या भी उल्लेखनीय होती है। वर्तमान में अजयपुर का निसर्ग पर्यटन केंद्र पिकनिक प्वाइन्ट बन चुका है। 

बच्चों के मनोरंजन के भी हैं साधन
चंद्रपुर-मूल महामार्ग परिसर के अजयपुर के समीप पिंपलझोरा मठ गोंडसावरी में श्री संकटमोचन हनुमान मंदिर स्थापित है। वनमंत्री सुधीर मुनगंटीवार की संकल्पना से वन विभाग ने इसका निर्माण कर 24 दिसंबर 2016 को लोकर्पित किया। प्रकृति की गोद में बसे इस पर्यटन केंद्र के चारों ओर सुरक्षा दीवार बनायी गई है। यहां पर्यटन के साथ-साथ बच्चों के मनोरंजन का भी ध्यान रखा गया है। लकड़ों से आकर्षक प्रवेश द्वार यहां बनाया गया है। भीतर प्रवेश करते ही दाएं ओर बांबू से निर्मित निसर्ग पर्यटन कार्यालय है। वहीं कुछ कदम आगे चलने पर गुफा से निकलता जंगल के राजा बाघ की प्रतिकृति दिखाई देती है। बायीं ओर खुले स्थान पर वन्यजीव प्रतिकृित संग्रहालय है। यहां हिरण, तेंदुआ, जंगली भैंसा, नीलगाय, खरगोश, बगुला आदि वन्यजीवों की जीवंत लगनेवाली प्रतिकृतियां नजर आ जाती हैं। शिकार करने छलांग लगाता तेंदुआ और और भागते हिरण की प्रतिकृति आनेवालों का ध्यान खींचती है।

प्रतिकृतियां करती हैं आकर्षित
बालोद्यान भी बेहद खूबसूरत बनाया गया है। बच्चों के खेलने कूदने के लिए यहां खेल सामग्री रखी है। युवा कसरत कर सकें  इस हेतु लकड़ों की सीढ़ियों का निर्माण कया गया है। इस स्थान पर लगे बांबू के पेड़ भी सुंदर नजर आते हैं। थोड़ा आगे बढ़ने पर हनुमानजी का मंदिर है। ठीक मंदिर के सामने वानर सेना की रामसेतु बनानेवाली प्रतिकृति दिखाई देती है। मंदिर के पास से ही नदी बहती है, जिससे निसर्ग पर्यटन को चार चांद लग गए हैं। शनिवार को यहां के मंदिर में काफी भीड़ होती है। लोगों को खाना बनाने के लिए यहां अलग से जगह की व्यवस्था की गई है। कुल मिलाकर यह ऐसा स्थान है, जहां पर सुबह से लेकर शाम तक अच्छा वक्त बिताया जा सकता है। प्रवेश द्वार पर तैनात व्यक्ति के अनुसार यहां पर रोजाना औसतन एक हजार लोग आते हैं। इसमें पिकनिक मनाने आनेवाले शालेय विद्यार्थियों की संख्या उल्लेखनीय है। रोजाना कोई न कोई शाला अपने विद्यार्थियों को पिकनिक के लिए यहां  ले आती है। संयुक्त वनव्यवस्थापन समिति के माध्यम से निसर्ग पर्यटन केंद्र चलाया जा रहा है। यहां आनेवाले लोगों का कहना है कि इस जगह का पहले के मुकाबले अच्छा विकास किया गया है। निसर्ग पर्यटन केंद्र में आने पर मन प्रफुल्लित हो जाता है। निसर्ग पर्यटन केंद्र की वर्तमान स्थिति को देखते हुए रखरखाव पर अच्छे से ध्यान दिया जाना चाहिए।

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