भेड़पालकों की समस्या को लेकर वसुंधरा राजे ने शिवराज को लिखा खत

भेड़पालकों की समस्या को लेकर वसुंधरा राजे ने शिवराज को लिखा खत

Bhaskar Hindi
Update: 2017-11-16 06:08 GMT
भेड़पालकों की समस्या को लेकर वसुंधरा राजे ने शिवराज को लिखा खत

डिजिटल डेस्क,भोपाल।  मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा भेड़पालकों की समस्या हल न करने से राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे परेशान हैं। दरअसल मप्र की सीमा के अंदर राजस्थान की भेड़ें आ जाती हैं और वन क्षेत्रों में चारई करती हैं जबकि मप्र के वनों में भेड़ों की चराई पर प्रतिबंध है तथा वनकर्मी इन भेड़पालकों पर जुर्माना ठोक देते हैं।

राजस्थान से मप्र के मंदसौर,नीमच, शिवपुरी, राजगढ़ आदि में भेड़ें आती हैं। मप्र के वनों में स्थानीय निवासियों की गाय, भैंस व बकरी के लिए चराई पर रोक नहीं है तथा बाहरी राज्य की गाय के आने पर भी उसकी चराई पर रोक नहीं है,लेकिन भेड़ों व ऊंटों की चराई के लिए प्रावधान नहीं है। यह समस्या काफी सालों पुरानी है तथा राजस्थान सुप्रीम कोर्ट तक में इस बारे में याचिका लगा चुकी है। सुप्रीम कोर्ट में मप्र सकार जवाब दे चुकी है कि उसने राजस्थान से उप्र और महाराष्ट्र जाने के लिए भेड़ों की आवाजाही हेतु तीन रुट वन क्षेत्रों से निकलने के प्रदान किए हुए हैं परन्तु राजस्थान के भेड़पालक इन रुटों में चार-चार किलोमीटर अंदर तक वन क्षेत्रों में भेड़ों को चराने लगते हैं जबकि नियमों में इसका प्रावधान नहीं है और क्षेत्रीय वनकर्मी इन भेड़पालकों पर जुर्माना ठोक देते हैं और जुर्माना अदा न करने पर प्रकरण न्यायालय को सौंप देते हैं।

इसी बात से परेशान होकर राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर कहा है कि वे भेड़पालकों के सामने मप्र में भेड़ चराने में आ रही कठिनाईयों का निराकरण करें तथा संबंधित वनाधिकारियों को समुचित निर्देश दें। चौहान ने यह मामला अपने वन  विभाग को भेजा तो वहां विभाग ने उन्हें सभी स्थितियां स्पष्ट कर दी तथा वन क्षेत्रों में भेड़ों की चराई की अनुमति देने से इंकार कर दिया।

मप्र  वन विभाग अपर मुख्य प्रधान वनसंरक्षक कक्ष संरक्षण बीके मिश्रा का कहना है कि राजस्थान के भेड़पालकों की मप्र के वनों में चराई की समस्या काफी पुरानी है। हाल ही में राजस्थान के वन मंत्री ने नीमच आकर भी इस समस्या को उठाया था, लेकिन वन विभाग में भेड़ों और यहां तक कि ऊंटों की चराई के प्रावधान नहीं हैं, बस उन्हें वन क्षेत्रों से निकलने के तीन रुट देने का प्रावधान है।
 

Similar News